Uttarakhand Election 2022 : स्वतंत्रता सेनानियों के गांव में सब लगाएंगे NOTA
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Election 2022) में चंपावत जिले (Champawat District) की एक ऐसा निर्वाचन क्षेत्र है जहां के बाशिन्दों की एक ही पसंद है- नोटा (NOTA)। यानी हर प्रत्याशी रिजेक्टेड।
Uttarakhand Election 2022 : उत्तराखंड विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Election 2022) में चंपावत जिले (Champawat District) की एक ऐसा निर्वाचन क्षेत्र है जहां के बाशिन्दों की एक ही पसंद है- नोटा (NOTA)। यानी हर प्रत्याशी रिजेक्टेड। ये सीट है 'आम खड़क'' जहां के लोग सभी नेताओं से निराश हो चुके हैं। दिलचस्प बात ये है, कि आम खड़क में कम से कम चार स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं।
चंपावत के आम खड़क के ग्रामीणों की सबसे पुरानी मांग रही है पिथौरागढ़ लिंक रोड की। लंबे समय से लंबित मांग को पूरा करने में प्रशासन की विफलता से निराश ग्रामीणों ने आगामी में नोटा के लिए मतदान करने का फैसला किया है। यहां 14 फरवरी को वोट पड़ने हैं।
'कनेक्टिविटी' सबसे बड़ी समस्या
इस क्षेत्र में कनेक्टिविटी की कमी के चलते पहले ही लगभग 65 फीसदी निवासी गांव छोड़ने के लिए मजबूर हो चुके हैं। आम खड़क के ग्रामीणों का कहना है कि वे वर्ष 2007 से 1,500 मीटर लिंक रोड की मांग कर रहे हैं। हालांकि, प्रस्तावित परियोजना को जिला योजना में शामिल किया गया था, लेकिन यह आज तक काम नहीं हुआ। यदि लिंक रोड का निर्माण किया जाता है, तो यह गांव को टनकपुर-चंपावत राजमार्ग (Tanakpur-Champawat Highway) से जोड़ेगी और उनकी कई चिंताओं का समाधान करेगी।
अब तक सिर्फ आश्वासन
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब भी चुनाव नजदीक आते हैं, हमें राजनीतिक दलों (Political parties) के नेताओं से आश्वासन मिलता है कि अगर वे सत्ता में आते हैं तो सड़क का निर्माण करवाएंगे। लेकिन चुनाव के बाद वे हमें भूल जाते हैं। हमारे पास इस बार नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) का सहारा लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। लोगों का कहना है कि स्वतंत्रता सेनानियों का गांव होने के बावजूद आम खड़क शिक्षा, चिकित्सा और बैंकिंग सुविधाओं से रहित है। गांव के निवासी और स्वतंत्र सेनानी उत्तराधिकारी संगठन, चंपावत के जिला अध्यक्ष महेश चौराकोटी ने कहा, कि 'सड़क के अभाव में ग्रामीणों को मामूली चिकित्सा सहायता के लिए टनकपुर और स्कूली शिक्षा के लिए श्यामलताल पहुंचने के लिए लगभग 5 किमी की यात्रा करनी पड़ती है।'
चार फ्रीडम फाइटर
आम खड़क में चार गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानियों- राम चंद्र चौराकोटी, बेनीराम चौराकोटी, बची राम चौराकोटी और पद्मदत्त चौराकोटी का जन्म हुआ था। इन्होंने 1942 के 'भारत छोड़ो आंदोलन' में योगदान दिया था।
तकनीशियन गांव आने से हिचकता है
स्थानीय लोगों का कहना है, कि सड़क और बुनियादी सुविधाओं के अभाव के कारण, 65 फीसदी से अधिक ग्रामीण गांव से पलायन कर गए हैं। राज्य के गठन से पहले कुल 71 परिवारों में से केवल 25 ही बचे हैं। लिंक रोड नहीं होने के कारण अधिकारी या निचले स्तर के सरकारी कर्मचारी और तकनीशियन गांव का दौरा करने से हिचकिचाते हैं। नतीजतन, छोटी से छोटी खराबी को भी ठीक होने में लंबा समय लग जाता है।अगर बिजली आपूर्ति में थोड़ी सी भी खराबी आती है, तो उसे ठीक करने के लिए हमें एक तकनीशियन के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता है।