Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड की इस सीट का अनोखा चुनावी इतिहास, हमेशा महिलाओं की होती जीत
Uttarakhand Election 2022 : उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर निर्वाचन क्षेत्र का एक अनोखा चुनावी इतिहास बना है। वैसे, इस राज्य में महिलाओं की राजनीतिक शक्ति का ये एकमात्र उदाहरण है।
Uttarakhand Election 2022 : उत्तराखंड में एक ऐसी विधानसभा सीट है, जहां महिलाओं ने अपने नाम रिज़र्व करा रखी है। ये रिजर्वेशन आधिकारिक नहीं है, बल्कि इस सीट पर हर चुनाव में महिला प्रत्याशी की ही जीत होती आई है। ये सीट है पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर निर्वाचन क्षेत्र की जिसने एक अनोखा चुनावी इतिहास बना रखा है। वैसे, इस राज्य में महिलाओं की राजनीतिक शक्ति का ये एकमात्र उदाहरण है। क्योंकि यहां न कभी कोई महिला मुख्यमंत्री बनी है और मंत्री पड़ तक बहुत कम महिलाओं के हिस्से में आये हैं। उत्तराखंड में सिर्फ चार महिला विधायक हैं।
बहरहाल, यमकेश्वर से कोई पुरुष आज तक नहीं जीत सका है। इस बार भाजपा ने रेणु बिष्ट को मैदान में उतारा है जिन्होंने पिछली बार यानी 2017 में यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ा था। इस बार रितु बिष्ट के सामने चार पुरुष उम्मीदवार हैं। रितु बिष्ट के सामने यमकेश्वर की महिला शक्ति को बरकरार रखने की चुनौती है।
आधे से कम महिला मतदाता
यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र में कुल 90,638 मतदाता हैं, जिसमें 42,075 महिलाएं हैं। यमकेश्वर विधानसभा में वर्ष 2007 तक जहां महिलाओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से अधिक थी, वहीं अब पुरुष मतदाताओं की संख्या अधिक हो गई है।
भाजपा का दबदबा
राज्य में 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव से लेकर 2012 तक भारतीय जनता पार्टी की नेता विजया बर्थवाल ने लगातार तीन बार इस सीट से जीत हासिल की थी। 2002 में उन्होंने कांग्रेस की सरोजिनी केंटुरा को हराया। 2007 में कांग्रेस की रेणु बिष्ट को हराया और 2012 में भी आसान जीत हासिल की। 2017 में भाजपा ने विजया की जगह पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी की बेटी रितु खंडूरी को टिकट दिया और वो भी यहां से जीत गईं। इस बार भाजपा ने रेणु बिष्ट को मैदान में उतारा है जिन्होंने 2017 में इस सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था और खंडूरी के बाद उन्हें सबसे ज्यादा वोट मिले थे।
पुरुष मतदाताओं की संख्या बढी
2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में यमकेश्वर में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक थी। यही वजह रही कि पहले ही चुनाव में इस सीट पर भाजपा व कांग्रेस ने महिला प्रत्याशी उतारी थीं। 2007 में भी यमकेश्वर सीट पर महिला मतदाता ही निर्णायक भूमिका में रहीं। परिसीमन के बाद 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कोई खास भौतिक बदलाव नहीं हुआ। लेकिन पुरुष मतदाताओं की संख्या बढ़ गई। और ये सिलसिला इस बार भी है।
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