उत्तराखंड: आइये यहां ,चाय की चुस्की के साथ लीजिए पर्यटन का आनंद
उत्तराखंड सरकार की चाय उत्पादन योजनाओं को राज्य के पर्यटन सर्किट से जोड़ते हुए किसानों के हाथ मजबूत करने जा रही है। योजना के तहत पर्यटकों को उत्तराखंड
देहरादून:उत्तराखंड सरकार की चाय उत्पादन योजनाओं को राज्य के पर्यटन सर्किट से जोड़ते हुए किसानों के हाथ मजबूत करने जा रही है। योजना के तहत पर्यटकों को उत्तराखंड की चाय से रूबरू कराया जाएगा। इस सर्किट में चाय की खेती के साथ दर्शनीय, धार्मिक, पौराणिक स्थलों की सैर का भी समावेश किया जाएगा।
इस संबंध में श्यामखेत के चाय बागान, घोडाखाल गोलज्यू धाम, कैंची धाम, शीतलादेवी व हैडाखान धाम को जोड़ते हुए एक पर्यटन सर्किट का प्रस्ताव शासन को भेजने को कहा, ताकि चाय की खेती से काश्तकारों को जोड़ा जा सके। योजना के तहत उत्तराखंड में उत्पादित होने वाली चाय के छोटे-छोटे बिक्री स्टाल राष्ट्रीय राजमार्गों पर लगाये जाएंगे, ताकि यहां आने वाले पर्यटकों को सुगमता से यहां की चाय उपलब्ध हो सके।
इस संबंध में सैनिक स्कूल की अतिरिक्त 20 हेक्टेअर भूमि चाय बागान को स्थानान्तरित करने की दिशा में सकारात्मक कार्यवाही करने को भी कहा। उन्होंने कहा कि चाय बागान का उत्पादन जंगली जानवरों से सुरक्षित है, तथा मुनाफे का सौदा भी है। इसलिए इस खेती का विस्तार वन पंचायतों में भी किया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक महिलाओं को भी रोजगार मिल सके।
हालांकि चाय बागान में कार्यरत महिलाओं को काफी कम मजदूरी मिल रही है और उन्होंने मजदूरी को बढ़ाने की गुहार भी लगाई है। नैनीताल जनपद के रामगढ़ ब्लाक के श्यामखेत-निगलाट में 12.61 व नथुवाखान में 30.22 सहित कुल 42.83, धारी के पदमपुरी में 28.091 तथा सरना, गुनियालेख में 40.68 मिलाकर कुल 68.776 तथा बेतालघाट में 11.921 मिलाकर कुल 128.52 हेक्टेयर क्षेत्रफल मे बागान विकसित किए गए हैं। योजना के तहत ही प्रदेश के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिह भीमताल ब्लाक के श्यामखेत चाय बागान का निरीक्षण कर चुके हैं।