Uttarakhand Governor: बेबी रानी मौर्य पर क्यों दांव लगा रहा भाजपा नेतृत्व

उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।

Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update: 2021-09-08 10:24 GMT

उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

Uttarakhand Governor: उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने आज अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति रामनाथ कोविद को भेज दिया है। बेबी रानी मौर्य ने पूरे तीन साल तक उत्तराखण्ड के राज्यपाल की भूमिका निभाई। माना जा रहा है कि पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान वह फिर से सक्रिय राजनीति में उतर सकती है।

राजनीतिक गलियारों में तो यहां तक चर्चा है कि अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाली बेबी रानी मौर्य उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी उतर सकती हैं। इसके पहले राजस्थान के राज्यपाल रहे कल्याण सिंह तथा पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने भी राज्यपाल के पद से हटने के बाद भाजपा की सदस्यता लेकर दोबारा राजनीति शुरू कर की थी। पर पचहत्तर की उम्र वाले फ़ार्मूले के चलते इन्हें चुनाव मैदान में नहीं उतारा जा सका। बेबी रानी मौर्य अभी पैंसठ की है।

दो दिन पहले जब बेबीरानी मौर्य ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी उसी समय से इस बात के कयास लगने शुरू हो गए थें कि उन्हे यूपी विधानसभा समेत अन्य चार राज्यों में होने वाले चुनाव को देखते हुए सांगठनिक कार्यों में लगाया जाएगा।

जब भाजपा आज के दौर की तरह ताकतवर पार्टी नहीं थी उस दौर में बेबी रानी मौर्य वर्ष 1995 में आगरा की मेयर हुआ करती थीं। इसके बाद 1997 में राष्ट्रीय अनुसूचित मोर्चा के तत्कालीन अध्यक्ष राम नाथ कोविंद के साथ कोषाध्यक्ष के भूमिका निभा चुकी है। इसके बाद जब प्रदेश में राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्रित्व वाली सरकार थी तो वर्ष 2001 में प्रदेश, सामाजिक कल्याण बोर्ड की सदस्य बन थी।

इसके बाद अटल विहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में वह वर्ष 2002 में राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य बनी। उन्हे कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है जिसमें वर्ष 1996 में सामाजिक कार्यों के लिए समाज रत्न, 1997 में उत्तर प्रदेश रत्न तथा 1998 नारी रत्न सम्मान शामिल है। बेबी रानी मौर्य ने 26 अगस्त, 2018 को उत्तराखण्ड के राज्यपाल के पद की शपथ ली थी।

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