उत्तराखंड: उत्तराखंड में पिछले दिनों दमयंती रावत का नाम सुर्खियों में रहा। शिक्षा विभाग की इस अधिकारी को लेकर उत्तराखंड में दो वरिष्ठ मंत्रियों श्रम मंत्री हरक सिंह रावत व शिक्षा मंत्री अरविंद सिंह पांडेय के बीच खुली जंग छिड़ी जिसमें जीत आखिरकार हरक सिंह रावत की हुई। शिक्षा विभाग की अधिकारी दमयंती रावत ने भवन एवं अन्य संन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में अपर कार्याधिकारी (एईओ) का पदभार संभाल लिया। जबकि शिक्षा विभाग उनके खिलाफ जांच कर रहा था जिसमें उनकी बर्खास्तगी तक की लोग उम्मीद लगा रहे थे। पिछली सरकार में भी इन्हीं दमयंती रावत को लेकर हरक सिंह रावत को तत्कालीन शिक्षामंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी का विरोध झेलना पड़ा था और तब हरीश रावत ने मध्यस्थता करके रावत की ये जिद पूरी की थी। ये बात अलग है कि बाद में इन्हें बाहर का रास्ता भी दिखाया गया था।
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दमयंती रावत के लिए श्रम मंत्री रावत के कहने पर विभागीय सचिव ने शिक्षा विभाग से उनके भवन एवं अन्य संन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में अपर कार्याधिकारी पद पर प्रतिनियुक्ति के लिए फाइल चलाई थी। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने दमयंती रावत के तबादले के बावजूद नई नियुक्ति पर कार्यभार नहीं लेने पर जांच के आदेश तक दे दिए थे। इन सब बातों को नजरअंदाज कर दमयंती ने अपने मूल विभाग को छोड़कर श्रम विभाग के नये दफ्तर जाकर वहां चल रहे कार्यों को भी देखा। कांग्रेस सरकार में हरक सिंह रावत जब कृषि मंत्री थे उस समय शिक्षा अधिकारी दमयंती रावत को बीज एवं जैविक प्रमाणिकरण अभिकरण का निदेशक बनाया था। बाद में जब हरक सिंह रावत भाजपा में आए तो हरीश रावत ने दमयंती को किनारे लगा दिया था।
2012 में कांग्रेस शासन के दौरान काबीना मंत्री हरक सिंह ने दमयंती रावत को मुख्यमंत्री से अनुमोदन करवाकर जैविक उत्पाद परिषद का अध्यक्ष बनवा दिया था। इस मामले पर शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथाणी और हरक सिंह के बीच काफी खींचतान चली थी।
आखिर सीएम बहुगणा के हस्तक्षेप के बाद मामले का कुछ पटाक्षेप हुआ जरूर लेकिन दमयंती रावत को शिक्षा मंत्री अपने मूल विभाग में नहीं ले जा सके। हरक सिंह ने दमयंती को अपने विभाग में ओएसडी नियुक्त करा लिया था।
श्रम मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत से जब इस बारे में पूछा गया तो उनका कहना है कि बोर्ड में इस वक्त सिर्फ हरबंस चुघ बतौर सदस्य सचिव काम कर रहे हैं, वो शासन के भी सचिव हैं। ऐसे में काम चलाने को फुलटाइम अधिकारी भी चाहिए। इसीलिए दमयंती रावत को प्रतिनियुक्ति पर लाया गया है। बोर्ड बैठक में इस बाबत प्रस्ताव पारित किया गया था।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता किशोर उपाध्याय कहते हैं कि हरक सिंह की करतूतों की वजह से ही कांग्रेस ने उनको निकाला था। उन पर कई बार महिलाओं ने आरोप लगाए हैं। ऐसे व्यक्ति को साथ लेकर भाजपा किसका या क्या विकास कर सकती है यह वही बता सकती है। प्रदीप बत्रा भी कांग्रेस से बाहर हैं उनके कारनामों पर भाजपा को कार्रवाई करनी चाहिए। उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि मामला खत्म हो चुका है। कहीं कोई विवाद नहीं है। अगर किसी विधायक या मंत्री पर कोई आरोप साबित होता है तो मुख्यमंत्री की जीरो टालरेंस नीति के तहत कार्रवाई की जाएगी।
हरक सिंह रावत इससे पहले लक्ष्मी राणा को लेकर चर्चा में आए थे। लक्ष्मी राणा को राज्य उपभोक्ता फोरम का सदस्य बनाया गया था और उसके नाम तेल का डिपो भी किया गया था। इस मामले पर कांग्रेसी खूब हंगामा करते रहे थे। फर्जी दस्तावेजों पर जमीन की रजिस्ट्री मामले में लक्ष्मी राणा का नाम आया था। इसके पहले वर्ष 2016 में दिल्ली की एक महिला ने हरक पर रेप का आरोप लगाया था। 2014 में भी उन पर एक महिला ने उत्तराखंड में छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। इस मामले की जांच फिलहाल जारी है। 2003 में हर रावत पर सहसपुर की एक मुस्लिम महिला की जमीन को फर्जी दस्तावेजों से हड़पने का आरोप भी सुर्खियों में रहा था।
हरक सिंह अपने बहनोई की नियुक्ति को लेकर भी चर्चा में आए। भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता बहनोई यशवंमत बर्तवाल को कृषि विभाग में उपनिदेशक बना दिया गया था। हरक सिंह रावत के पूर्व पीआरओ युद्वीर सिंह रावत की हत्या की आरोपी सुधा पटवाल ने यह कहकर सनसनी फैलाई थी कि उसकी गिरफ्तारी हरक सिंह के घर पर हुई है। इस मामले में भी हरक सिंह रावत के पीआरओ पर मेडिकल एडमिशन रैकेट में संलिप्तता के आरोप थे। हरक सिंह रावत के घर पर एक पार्टी के दौरान विधायक कुवर प्रणव चैंपियन ने गोली चलाई थी जो कांग्रेसी नेता विवेकानंद खंडूरी को लगी थी।