उत्तराखंड की जलविद्युत परियोजनाओं पर गुहार

बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना एक बार फिर उत्तराखंड सरकार की प्राथमिकता में आ गया है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) त्रिवेंद्र सरकार की सबसे बड़ी परेशानी प्रतिवर्ष एक हजार करोड़ की बिजली खरीदने की है। इसके अलावा राज्य सरकार का 2,709 करोड़ रुपए का व्यय भी फंसा हुआ है और 41,000 करोड़ रुपये का निवेश भी बाधित हो रहा है।

Update:2018-02-11 14:39 IST

देहरादून: बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना एक बार फिर उत्तराखंड सरकार की प्राथमिकता में आ गया है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) त्रिवेंद्र सरकार की सबसे बड़ी परेशानी प्रतिवर्ष एक हजार करोड़ की बिजली खरीदने की है। इसके अलावा राज्य सरकार का 2,709 करोड़ रुपए का व्यय भी फंसा हुआ है और 41,000 करोड़ रुपये का निवेश भी बाधित हो रहा है।

सरकार को इससे भी ज्यादा तकलीफ तब होती है जब वह देखती है कि हिमाचल प्रदेश इतनी ही बिजली बेच रहा है। इसीलिए बाकी चीजों को छोड़कर त्रिवेंद्र अवरुद्ध बिजली परियोजनाओं को शुरू कराने में जुट गए हैं। 15 फरवरी को मुख्यमंत्रियों की बैठक में यह मामला प्रमुखता से उठना तय है और इसमें किसाऊ व लखवाड़ जलविद्युत परियोजनाओं का मामला छाए रहने की उम्मीद है।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत राज्य की जल विद्युत परियोजनाओं के सम्बंध में जल्द ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ ही केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी और सुश्री साध्वी उमा भारती से वार्ता करेंगे। इसके अलावा मुख्यमंत्री दिल्ली में 15 फरवरी को मुख्यमंत्रियों की बैठक में किसाऊ व लखवाड़ जल विद्युत परियोजनाओं के सम्बंध में हिमाचल और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों से भी विचार विमर्श करेंगे। राज्य में कुल 18,175 मेगावाट जल उत्पादन क्षमता में से मात्र 5,186 मेगावाट क्षमता यानी 29 प्रतिशत का ही उपयोग कर पा रहा है।

विभिन्न कारणों से 4028 मेगावाट की 34 परियोजनाएं ठप पड़ी हुई हैं। राज्य ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि विशेषज्ञ दल की रिपोर्ट के आधार पर जल संसाधन, ऊर्जा और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय संयुक्त रूप से क्लीयरेंस के लिए प्रयास करे।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि राज्य सरकार प्रदेश की नदियों की अविरल व निर्मल धारा को बनाये रखने के लिए संकल्पबद्ध है। नीरी द्वारा किये गये वैज्ञानिक अध्ययन व परीक्षण में भी यह तय सामने आया है कि टिहरी बांध बनने के बाद गंगा नदी के जल की गुणवत्ता व निर्मलता में कोई कमी नही आयी है। मुख्यमंत्री इस मामले में केन्द्रीय मंत्री साध्वी उमा भारती को भी आश्वस्त कर चुके हैं। सीएम जल विद्युत परियोजनाओं के संबंध में विशेषज्ञ दल की रिपोर्ट के आधार पर जल संसाधन, ऊर्जा, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र प्रस्तुत किये जाने सम्बंधी प्रकरण भी केन्द्रीय मंत्रियों के समक्ष रखेंगे।

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