Uttarakhand Mein Barish: उत्तरखण्ड में प्राकृतिक आपदा ने मचाया कहर, 46 लोगों की भारी बारिश और बाढ़ से मौत

Uttarakhand Mein Barish: उत्तरखण्ड में भारी बारिश के चलते बुधवार सुबह तक मरने वालों की संख्या तेजी से बढ़कर 46 तक जा पहुंची है।

Written By :  Rajat Verma
Published By :  Shraddha
Update:2021-10-20 14:09 IST

उत्तरखण्ड में प्राकृतिक आपदा ने मचाया कहर (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)

Uttarakhand Mein Barish: उत्तराखंड में मौसम (Uttarakhand Mein Mausam) का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। भारी बारिश के चलते बुधवार सुबह तक मरने वालों की संख्या तेजी से बढ़कर 46 तक जा पहुंची है। इसी के साथ ही 11 लोग लापता होने की खबर है। भारतीय सेना और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की कई टीमें साझा रूप से बचाव और राहत कार्य में जुटी हुई हैं।

उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) ने प्राकृतिक आपदा (Prakartik Apda) में जान गंवाने वाले परिवारों को 4 लाख की सहायता राशि प्रदान करने की घोषणा के साथ ही बुधवार को स्थिति का जायजा लेने के लिए बाढ़ ग्रस्त कुमाऊं जिले का दौरा किया । जो राज्य के सबसे अधिक बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में से एक है। इन विकट परिस्थितियों से निपटने के लिए मुख्यमंत्री ने प्रदेश के प्रत्येक जिलाधिकारियों को सरकारी कोष से 10-10 करोड़ रुपये की मंज़ूरी भी दे दी है, जिससे आवश्यकता पड़ने पर किसी भी प्रकार का विलंभ ना होने पाए।

भारी बारिश और बाढ़ से उत्तराखंड में कई पर्यटक स्थल और धार्मिक स्थल तबाह

भारी बारिश से लोगों के घर तबाह हो गए (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)

ऋषिकेश में गंगा नदी खतरे के निशान से महज 20 सेंटीमीटर नीचे बह रही है। त्रिवेणी घाट के आरती स्थल समेत विभिन्न गंगा घाट जलमग्न हो गए हैं। ऋषिकेश में गंगा का जलस्तर 340.30 मीटर पर पहुंच गया है जो कि चेतावनी निशान 340.50 मीटर से महज .20 सेंटीमीटर नीचे है। नतीजन, केंद्रीय जल आयोग ने मैदानी जिलों को लेकर अलर्ट कर दिया है। पर्यटन के तौर पर लोगों की पहली पसंद नैनीताल में भारी बारिश से माल रोड पर पानी भर गया है, जिसके चलते आवागमन ठप्प होने के हालात उत्पन्न हो गए हैं। आपको बता दें कि नैनीताल स्थित मालरोड वह जगह है, जहां पर्यटकों का आवागमन भारी मात्रा में रहता है।इसे नैनीताल के प्रमुख चौराहे या रोड के रूप में देखा जाता है। वहीं दूसरी ओर कैंट रोड में पानी का बहाव बहुत तेज होने के कारण दुकानों के अंदर फंसे लोगों को बचाने के लिए सेना की राहत टुकड़ी तैनात की गई है। भूस्खलन होने के चलते लोकप्रिय पर्यटन स्थल को जोड़ने वाली मुख्य सड़कों के टूटने के चलते नैनीताल अब उत्तराखंड के बाकी हिस्सों से पूरी तरह से कट गया है।

प्रशासन की पहल

 राज्य के सबसे अधिक बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)

उत्तराखंड में 60-70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ओलावृष्टि और तेज हवाएं चलने को लेकर प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (National Disaster Response Force - NDRF) ने देहरादून, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ और हरिद्वार में एक-एक तथा चमोली, उत्तरकाशी और गदापुर में दो-दो राहत टीमों की तैनाती की है।

अप्रत्याशित मौसम की चुनौतियां

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार बदलते मौसम की गतिशीलता न केवल देश की अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर समस्या है बल्कि गर्मियों में मानसून के मौसम में खेती के लिए समय पर बारिश पर निर्भर रहने वाले किसानों के लिए भी जीवन कठिन बनाती है।

लंबे सूखे के दौर से लेकर अत्यधिक बारिश तक, अब तक 2021 एक बेहद ही अजेबो गरीब साल रहा है। आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि आमतौर पर कम वर्षा वाले क्षेत्र जैसे पश्चिमी मध्य प्रदेश, पूर्वी राजस्थान और महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और विदर्भ के क्षेत्रों में विगत वर्ष अत्यधिक बारिश हुई है। वहीं इसके विपरीत हर वर्ष बारिश में अव्वल रहने वाले ओडिशा, केरल और उत्तर पूर्व जैसे राज्यों ने अपनी औसत वर्षा अनुमान को पूरा करने के लिए भी बेहद संघर्ष किया है। 2021 में अप्रत्याशित रूप से मौसम हो रहे बदलाव साफ तौर पर जलवायु परिवर्तन में होने वाले बड़े प्रभाव की ओर इशारा करते हैं।


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उत्तराखण्ड में पहले भी 2013 में कहर बरपा चुकी है बारिश

जून 2013 में देश के उत्तर भारतीय राज्य उत्तराखंड पर बादल फटने से विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन हुआ था, जिसे 2004 की मुम्बई सुनामी के बाद से देश की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा करार दिया गया था। उस महीने उत्तरखण्ड में हुई बारिश राज्य में अमूमन होने वाली बारिश से कहीं ज्यादा थी।

इस आपदा के चलते पुलों और सड़कों के नष्ट होने से लगभग 3 लाख तीर्थयात्री और पर्यटक घाटियों में फंस गए थे। जिसके बाद कई दिनों तक चले बचाव और राहत कार्य में वायु सेना, भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से तकरीबन 1.1 लाख से अधिक लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया था।

बारिश का पानी गलियों में भरा (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)

गंगा नदी पर बसे तीर्थ स्थल हरिद्वार में बचाव दल ने बाढ़ आने के बाद 21 जून, 2013 तक बाढ़ में डूबे 40 शव बरामद किए थे। उत्तराखंड बाढ़ में बहे कुछ लोगों के शव उत्तर प्रदेश के बिजनौर, इलाहाबाद और बुलंदशहर जैसे स्थानों में पाए गए। सितंबर 2013 के अंत तक इस भीषण आपदा में मारे गए लोगों की तलाश जारी रही।जिसमें लगभग 556 शव पाए गए। इन प्राप्त 556 शवों में से 166 अधिक दिनों से ऐसे ही पड़े रहने के चलते अत्यधिक सड़ी-गली अवस्था में थे।

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