CM तीरथ का निर्देश, ज्यादा पैसे वसूलने वाले अस्पतालों पर हो सख्त कार्रवाई

Uttarakhand News :मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने प्रदेश में कोविड टेस्टिंग, पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए ।

Reporter :  Ambesh Bajpai
Published By :  Shraddha
Update:2021-06-12 23:35 IST

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (फाइल फोटो - सोशल मीडिया)

Uttrakhand News : मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (Chief Minister Tirath Singh Rawat) ने प्रदेश में कोविड टेस्टिंग, माइक्रो कंटेनमेंट जोन, कोविड अप्रोप्रियेट बिहेवियर और इंफोर्समेंट पर विशेष ध्यान दिये जाने के निर्देश दिए हैं। आज कोविड-19 के नियंत्रण एवं वैक्सीनेशन कार्यक्रम (vaccination program) की प्रगति के सम्बन्ध में जिलाधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक (virtual meeting) में मुख्यमंत्री ने इस बात पर नारजगी जतायी कि कुछ प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों से निर्धारित शुल्क से अधिक धनराशि लेने और अटल आयुष्मान कार्ड का लाभ न दिए जाने की शिकायतें मिल रही है।

उन्होंने कहा कि ऐसे अस्पतालों को चिन्हित कर उन पर सख्त कार्यवाही की जाए। उन्होंने निर्देश दिये कि ग्रामीण क्षेत्रों में टेस्टिंग और वैक्सीनेशन को अधिक बढ़ाया जाए। इसके अलावा मानसून सीजन को देखते हुए पर्वतीय क्षेत्रों में ऑक्सीजन सिलेंडर, आवश्यक दवाओं के साथ-साथ सभी प्रकार की आवश्यक सामग्री की व्यवस्था पहले ही कर ली जाये। इस बीच मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने कहा कि कोविड की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए आने वाले 2 माह में विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रतिदिन 40 हजार कोरोना टेस्टिंग का लक्ष्य है जिसे जल्द पूरा कर लिया जायेगा। उन्होंने बताया कि कोविड पर प्रभावी नियंत्रण के लिए लगातार जागरूकता अभियान चलाये जा रहे है।

जंगल गुणवत्ता बढ़ाने के निर्देश

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा है कि प्रदेश में लैंटेना/कुरी जैसी प्रजाति को वन क्षेत्र से हटाते हुए स्थानीय प्रजाति के घास/बांस और फलदार पौधों को मिशन मोड़ में लगाया जाए। उन्होंने जंगलों की गुणवत्ता बढ़ाने और वन्य जीवों की आवश्यकतानुसार वास स्थल विकसित किये जाने के सम्बन्ध में निर्देश जारी किये है। जिसका संज्ञान लेते हुए प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी ने सभी डीएफओ को निर्देश पत्र जारी कर कहा है कि लैंटेना/कुरी से वन क्षेत्रों की स्थानीय घास प्रजातियाँ प्रभावित हुई है।

उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों से लैंटेना/कुरी प्रजाति हटाने से सम्बन्धित कार्य योजना जल्द से जल्द तैयार कर वहां घास नर्सरी बनाई जाए। उन्होंने बताया कि इस योजना के लिए कैंम्पा परियोजना से 38 करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत हो चुकी है। प्रमुख वन संरक्षक ने बताया कि वन क्षेत्रों से लैंटेना/कुरी प्रजाति को हटाकर उसके स्थान पर स्थानीय घास की प्रजातियों के रोपण कार्य से लगभग 5 हजार लोगों को रोजगार मिलने के साथ ही वन क्षेत्रों की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।

लालढांग-चिल्लरखाल वन मोटर मार्ग स्वाीकृति

केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक में प्र्रदेश के लालढांग-चिल्लरखाल वन मोटर मार्ग को स्वीकृति प्रदान की गई है। बैठक के दौरान वर्चुअल माध्यम से प्रतिभाग करते हुए वन मंत्री डॉ0 हरक सिंह रावत ने बोर्ड को बताया कि लालढांग-चिल्लरखाल वन मोटर मार्ग जो कि 1980 के पूर्व से निर्मित है और वर्तमान में इसके सुदृढ़ीकरण करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही उन्होंने चमारिया स्रोत व सिगड्डी स्रोत के बीच बनने वाले एलिवेटेड एनिमल पैसेज की लम्बाई 470 मीटर तथा उंचाई 6 मीटर रखने की बात भी कही।

रावत ने बताया कि हरिद्वार से देहरादून के मध्य राष्ट्रीय राजमार्ग पर पूर्व में निर्मित एलिवेटेड एनिमल पैसेज की उंचाई भी 6 मीटर ही है। जिसका संज्ञान लेते हुए बोर्ड ने इस वन मोटर मार्ग के सुदृढ़ीकरण के लिए स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस बीच मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा है कि इस वन मोटर मार्ग के सुदृढ़ीकरण से स्थानीय लोगों को लाभ मिलेगा और एलिवेटेड एनिमल पैसेज के निर्माण से वन्यजीव विचरण सुगम होगा।

आईएमए पासिंग आउट परेड

देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री अकादमी (Indian Military Academy) में आज पासिंग आउट परेड हुई। इसी के साथ तीन सौ 41 कैडेट भारतीय सेना का हिस्सा बन गए। 9 मित्र देशों के 84 विदेशी कैडेट भी पास आउट हुए। कोरोना के चलते इस बार भी कैडेट्स के परिजन परेड में शामिल नहीं हुए। सेना की पश्चिमी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल आरपी सिंह (Chief Lt Gen RP Singh) ने परेड की सलामी ली। वह रिव्यूइंग ऑफिसर के तौर पर परेड में मौजूद रहे।

उन्होंने उम्मीद जतायी कि युवा अफसर अपने साहस और बहादुरी से देश का नाम रोशन करेंगे। लेफ्टिनेंट जनरल आरपी सिंह ने कहा कि पूरी दुनिया कोरोना महामारी झेल रही है। सेना के सामने नई तकनीक के साथ नए किस्म की चुनौतियां भी आ रही हैं। सेना का सामना अब इन नई चुनौतियों से भी है।

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