Uttarakhand Politics: तीरथ सिंह रावत की बज गई घंटी, अब कौन होगा सीएम

Uttarakhand Politics: Uttarakhand Politics: सीएम तीरथ सिंह रावत को दिल्ली बुलावे के साथ राज्य में चर्चाओं का माहौल गर्म हो गया है।

Written By :  Ramkrishna Vajpei
Published By :  Chitra Singh
Update: 2021-06-30 13:51 GMT

तीरथ सिंह रावत (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

Uttarakhand Politics: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) को दिल्ली बुलावे के साथ राज्य में चर्चाओं का माहौल गर्म हो गया है। कथित रूप से कहा यह जा रहा है कि पार्टी आलाकमान की तरफ से दिल्ली आकर मुलाकात करने के निर्देश मिलने के बाद वह दिल्ली गए हैं। हालांकि सूत्रों का यह कहना है कि रावत अपना पक्ष रखने के लिए दिल्ली गए हैं।

वैसे रामनगर में चिंतन बैठक (Chintan Baihak) खत्म होने के बाद तीरथ सिंह देहरादून लौट आए थे, लेकिन कल शाम उन्हें दिल्ली का बुलावा मिला। सूत्रों के मुताबिक, तीरथ सिंह रावत के लिए खतरे की घंटी बज गई है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि रावत को 10 सितंबर से पहले किसी विधानसभा सीट से निर्वाचित हो जाना चाहिए था। लेकिन ऐसा न हो पाने पर क्या केंद्रीय नेतृत्व रावत का इस्तीफा करवा कर उन्हें दोबारा शपथ दिलावाएगा या अब किसी और को मौका मिलेगा। और यदि किसी दूसरे को मौका दिया जाना है तो वह कौन होगा। क्या त्रिवेंद्र सिंह रावत या कोई और। चर्चा में यह भी है कि एक केंद्रीय मंत्री जो उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, उन्हें दिल्ली से इस आड़े वक्त पर उत्तराखंड भेजा जा सकता है।

फिर गरमाई उत्तराखंड की राजनीति

दरअसल, मुख्यमंत्री नियुक्त होने के छह महीने के अंदर विधायक चुना जाना होता है। लेकिन जनप्रतिनिधि कानून के तहत जब विधानसभा का आखिरी एक साल शेष हो, तो उपचुनाव नहीं कराए जा सकते हैं। इस स्थिति में चुनाव आयोग भी फिलहाल चुनाव कराने से हाथ खड़े कर चुका है। ऐसे में उत्तराखंड की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है और चारों तरफ चटखारों के साथ ही सीएम कौन होगा, इस पर चर्चा का माहौल गर्म है।

सीएम तीरथ सिंह रावत (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

सूत्रों का कहना है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को मौका दिया जा सकता था, लेकिन मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद उन्होंने कुछ ज्यादा ही मुंह खोल दिया, जो केंद्रीय नेतृत्व को नागवार गुजरा है। दूसरे तीरथ सिंह रावत अपने बयानों से पार्टी की छीछालेदर करा चुके हैं, जिसमें केंद्रीय नेतृत्व को भी शर्मिंदगी उठानी पड़ी है।

मुख्यमंत्री रावत ने किया 31 कार्यों का लोकार्पण

अप्रैल में मुख्यमंत्री रावत कुंभ क्षेत्र में सिंचाई, गृह विभाग, परिवहन निगम आदि की योजनाओं के कुल 31 कार्यों का लोकार्पण करने जब हरिद्वार गए तो उनकी जुबान फिसल गई। तीरथ रावत ने जोर देते हुए कहा, "मैंने जैसे कहा कि महाकुंभ 12 साल में आता है हर साल नहीं आता है। मेले जगह-जगह होते हैं, कहीं भी हो सकते हैं, लेकिन कुंभ हरिद्वार में ही होता है, 12 साल में होता है। बनारस में होता है, उज्जैन में होता है। इसीलिए यह भव्य दिव्य होना चाहिए।"

कार्यों का लोकार्पण करते तीरथ सिंह रावत (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

तीरथ सिंह रावत के बिगड़े बोल

मुख्यमंत्री का यह भाषण वायरल हो गया था। इससे पहले जींस पर दिया उनका बयान चर्चा में रहा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि महिलाएं फटी जींस पहनती हैं, जिससे कहीं न कहीं संस्कृति खतरे में पड़ जाती है। इस पर पूरे देश में उन्हें आलोचना का शिकार होना पड़ा था। बाद में उन्होंने देश की सभी महिलाओं से माफी मांगी थी। इतना ही नहीं भाजपा के इस मुख्यमंत्री ने भारत को 200 साल तक अमेरिका का ग़ुलाम बता दिया था। जिस पर लोगों ने खूब हंसी उड़ाई थी।

इसी तरह लॉकडाउन के दौरान राशन वितरण को लेकर तीरथ सिंह ने कह दिया था कि जैसा चावल और राशन बीजेपी सरकारों ने दिया, उतना अच्छा राशन कभी जनता ने खाया नहीं होगा। और तो और उन्होंने यह भी कहा था कि कम राशन मिलने वालों को जलने की बजाय ज्यादा बच्चे (20 बच्चे ) पैदा करने चाहिये थे, ताकि उन परिवारों को भी ज्यादा राशन कोविड काल के दौरान मिल जाता। तीरथ सिंह रावत के इस तरह के बयानों से पार्टी की चुनाव वाले इस राज्य में लगातार किरकिरी होने से बचाने के लिए हाईकमान अब क्या कदम उठाएगा। इस पर सबकी नजर है।

तीरथ सिंह रावत (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

एनडी तिवारी ने पूरा किया पांच साल का कार्यकाल

गौरतलब है कि उत्तराखंड के निर्माण के बाद से अब तक सिर्फ एनडी तिवारी ही एकमात्र मुख्यमंत्री रहे हैं, जिन्होंने राज्य की सत्ता में बतौर सीएम पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है, अन्यथा अब तक कोई दूसरा सीएम अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है। एनडी तिवारी के बाद उत्तराखंड में सबसे ज्यादा दिन बतौर सीएम पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत रहे हैं, जिनका कार्यकाल लगभग 4 सालों का रहा है। अब लगता है कि दो मुख्यमंत्री देखने की आदी हो चुकी पहाड़ की जनता इस बार तीन मुख्यमंत्र देखेगी।

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