Uttarkashi Avalanche: उत्तरकाशी हिमस्खलन में मरने वालों की तादाद 27 पर पहुंची, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

Uttarkashi Avalanche: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में द्रौपदी का डांडा पीक पर हुए हिमस्खलन में मरने वालों की तादाद बढ़कर 27 हो गई है।

Update:2022-10-09 11:35 IST

उत्तरकाशी हिमस्खलन में मरने वालों की तादाद 27 पर पहुंची, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

Uttarkashi Avalanche: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में द्रौपदी का डांडा पीक पर हुए हिमस्खलन में मरने वालों की तादाद बढ़कर 27 हो गई है। कल यानी शनिवार 8 अक्टूबर को रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान एक और पर्वतारोही का शव बरामद किया गया था। जानकारी के मुताबिक, अभी भो दो लोग लापता हैं, जिनकी तलाश में रविवार यानी आज भी रेस्क्यू ऑपरेशन चलेगा। बचाव अभियान का आज छठवां दिन होगा। घटनास्थल से सभी शवों को एडवांस बेस कैंप की ओर लाने का प्रयास किया जा रहा है।

नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (एनआईएम) ने बताया कि हिमस्खलन में अब तक 27 पर्वतारोहियों की मौत हो चुकी है। इसमें दो इंस्ट्रकटर और 25 ट्रेनी पर्वतारोही शामिल थे। मगर खराब मौसम के कारण शवों को उत्तरकाशी लाने में परेशानी हो रही है। इसलिए अभी तक केवल 11 शवों को ही उत्तराकशी लाया गया है। एनआईएम के मुताबिक, 4 अक्टूबर को 4 शव मिले थे। वहीं 6 अक्टूबर को 15, 7 अक्टूबर को 7 और 8 अक्टूबर को 1 बॉडी मिली है।

दरअसल, उच्च हिमालयी क्षेत्र में ट्रेनिंग के लिए निकले नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के 29 सदस्य मंगलवार 4 अक्टूबर को डोकराणी बामक ग्लेशियर में हिमस्खलन की चपेट में आने के बाद लापता हो गए थे। चार शव घटना के दिन ही फर्स्ट रिस्पांडर ने बरामद कर लिए थे। इसके बाद गुरूवार को एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और एनआईएम समेत अन्य संगठनों ने युद्ध स्तर पर बचाव अभियान शुरू किया था और 15 शव बरामद किए थे।

हादसे में जीवित बचे एकमात्र शख्स

ट्रैकिंग को लीड कर रहे नायक सूबदार अनिल कुमार किसी तरह इस हादसे में जिंदा बचे। हिमस्खलन में वो भी दब गए थे। लेकिन समय पर उन्हें खोज लिया गया। फिलहाल वह अस्पताल में भर्ती हैं और खतरे से बाहर बाहर बताए जा रहे हैं। कुमार ने बताया कि द्रौपदी का डांडा-2 की तरफ जाने के दौरान ही उनका दल हादसे की चपेट में आ गया था।

बता दें कि इस हादसे में पर्वतारोहण के क्षेत्र में बेहद कम समय में नाम कमाने वाली 24 साल की एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल की भी मौत हो गई। सविता ने इस साल मात्र 15 दिन के अंदर एवरेस्ट फतह किया था। उनकी इस कामयाबी पर उनकी मां ने कहा था कि बेटी हो तो ऐसी। सविता की मौत की खबर सुनकर उनका परिवार बुरी तरह टूट चुका है। 

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