Uttarakhand Reservation: उत्तराखंड की महिलाओं को मिलेगा क्षैतिज आरक्षण, अध्यादेश का ड्राफ्ट तैयार
Uttarakhand Reservation: उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30% क्षैतिज आरक्षण देने जा रही है। इसे लेकर सरकार ने अध्यादेश का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है।
Uttarakhand Reservation: उत्तराखंड की महिलाओं के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। राज्य की पुष्कर धामी सरकार (Pushkar Dhami Government) उन्हें सरकारी नौकरियों में 30% क्षैतिज आरक्षण (Reservation) देने जा रही है। इसे लेकर राज्य सरकार ने अध्यादेश का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है, जिसे अगले हफ्ते विधायी विभाग को भेजा जाएगा। राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद राज्य में महिला क्षैतिज आरक्षण का कानून बन जाएगा। दरअसल, नैनीताल हाईकोर्ट (Nainital High Court) ने पिछले दिनों महिला क्षैतिज आरक्षण शासनादेश पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद सरकार विपक्ष और आंदोलनकारियों के निशाने पर आ गई।
प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में लौटी भाजपा सरकार इस मुद्दे पर सक्रियता दिखाते हुए एक तरफ जहां हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई, वहीं कैबिनेट की बैठक कर महिला क्षैतिज आरक्षण को बहाल करने के लिए एक अध्यादेश लाने का निर्णय लिया। कैबिनेट की सहमति के बाद कार्मिक सतर्कता विभाग अध्यादेश का ड्राफ्ट तैयार करने में जुट गया। उत्तराखंड सरकार के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अध्यादेश का मसौदा तैयार हो गया है और अगले हफ्ते इस विधायी विभाग के पास भेज दिया जाएगा। विधायी विभाग के माध्यम से अध्यादेश राजभवन जाएगा। राज्यपाल द्वारा मंजूरी प्रदान करते ही ये कानून की शक्ल ले लेगा।
जानें क्या है पूरा मामला
दरअसल, 24 जुलाई 2006 को उत्तराखंड सरकार ने एक आदेश जारी कर राज्याधीन सेवाओं, निगमों, सार्वजनिक उद्यमों और स्वायत्तशासी संस्थानों में मूल निवासी महिलाओं को मिलने वाले 20 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के कोटे को बढ़ाकर 30 प्रतिशत कर दिया। तब से राज्य में महिलाओं को इस आरक्षण का लाभ मिल रहा है। इस मामले को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब हाल ही में राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा विभिन्न विभागों की रिक्तियों पर नियुक्ति के विज्ञापन में न्यूनतम कटऑफ आने के बाद भी यूपी, दिल्ली और हरियाणा की महिला कैंडिडेट्स मुख्य परीक्षा से बाहर हो गईं। इसके बाद उन्होंने इस आरक्षण को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। फैसला उनके पक्ष में आया और अदालत ने क्षैतिज आरक्षण पर रोक लगा दी।
क्या होता है क्षैतिज आरक्षण
आरक्षण को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है। ये हैं वर्टिकल आरक्षण जिसे हिंदी में ऊर्ध्वाधर आरक्षण भी कहा जाता है और हॉरिजेंटल आरक्षण जिसे ही हिंदी में क्षैतिज आरक्षण कहा गया है। वर्टिकल आरक्षण का मतलब ऐसे आरक्षण है जो कानून के तहत निर्दिष्ट प्रत्येक समूह के लिए अलग से लागू होता है। ओबीसी और एससी, एसटी आरक्षण इसी के तहत आते हैं।
वहीं, क्षैतिज आरक्षण का तात्पर्य अन्य श्रेणियों के लाभार्थियों जैसे महिलाएं, बुजुर्ग, ट्रांसजेंडर और विकलांग व्यक्तियों को समान अवसर पैदा करना है। इस आरक्षण को देने के समय में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित 50 प्रतिशत कोटे को पार नहीं किया जा सकता। इसलिए इस तरह के आरक्षण वर्टिकल श्रेणियों में मिलने वाले आरक्षण की कटौती कर के ही दिये जाते हैं