उत्तर कोरिया में बाढ़ और भूस्खलन के बाद 30 सरकारी अधिकारियों को सज़ा-ए-मौत

Kim Jong Un: चोसुन टीवी ने उत्तर कोरियाई अधिकारी का हवाला देते हुए बताया कि लोहों की मौतों के लिए जिम्मेदार लोगों को कड़ी सजा का सामना करना पड़ेगा।

Report :  Neel Mani Lal
Update:2024-09-04 16:51 IST

Kim Jong Un (Pic: Social Media)

Kim Jong Un: उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन ने हाल ही में आई बाढ़ में एक हजार से अधिक लोगों की मौत को रोकने में विफल रहने के लिए लगभग 30 सरकारी अधिकारियों को मौत के घाट उतारने का आदेश दिया है। चागांग प्रांत में भारी बारिश और भूस्खलन के कारण कई लोगों की मौत हुई, कई लोग घायल हुए और कई लोग बेघर हो गए।

30 अधिकारियों को मौत की सजा देने का दावा

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण कोरिया के दचोसुन टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर कोरियाई अधिकारियों ने उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की कसम खाई है, जो कथित तौर पर हताहतों की संख्या को रोकने के लिए और अधिक उपाय कर सकते थे। चोसुन टीवी ने उत्तर कोरियाई अधिकारी का हवाला देते हुए बताया कि लोहों की मौतों के लिए जिम्मेदार लोगों को कड़ी सजा का सामना करना पड़ेगा। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि पिछले महीने के अंत में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के 20 से 30 अधिकारियों को एक साथ मार दिया गया था।

पुष्टि करना कठिन

उत्तर कोरिया की अत्यधिक गोपनीयता के कारण, विवरणों की पुष्टि करना कठिन है, लेकिन उत्तर कोरियाई केंद्रीय समाचार एजेंसी (केसीएनए) ने बताया कि किम जोंग उन ने जुलाई में चीन की सीमा के पास चागांग प्रांत में आई विनाशकारी बाढ़ के बाद अधिकारियों को "कड़ी सजा" देने का आदेश दिया था। केसीएनए के अनुसार, सिनुइजू में आयोजित एक आपातकालीन पोलितब्यूरो बैठक में उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग उन ने अधिकारियों से उन लोगों को “कड़ी सजा” देने को कहा, जिन्होंने आपदा की रोकथाम के लिए अपनी जिम्मेदारियों की उपेक्षा की और यहां तक ​​कि ऐसी जन हानि भी होने दी जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।

1000 से ज्यादा लोगों की मौत

दक्षिण कोरियाई मीडिया ने बताया कि उत्तर कोरिया में बाढ़ से मरने वालों की संख्या 1,000 से ज़्यादा हो सकती है। उत्तर कोरियाई सरकारी मीडिया ने बताया कि भारी बारिश के कारण उत्तर-पश्चिमी शहर सिनुइजू और पड़ोसी शहर उइजू में 4,100 घर, 7,410 एकड़ कृषि भूमि और कई सार्वजनिक इमारतें, संरचनाएँ, सड़कें और रेलमार्ग जलमग्न हो गए।

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