Afghan-Taliban News: इनामी आंतकी खलील हक्कानी के हाथ में काबुल की सुरक्षा का जिम्मा, अब क्या होगा अंजाम
Afghan-Taliban News: तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल की सुरक्षा का जिम्मा हक्कानी नेटवर्क के सीनियर सदस्यों के हाथों में सौंप दिया है।
Afghan-Taliban News: तालिबान ने अफगानिस्तान (Afghanistan) की राजधानी काबुल (Kabul) की सुरक्षा का जिम्मा हक्कानी नेटवर्क के सीनियर सदस्यों के हाथों में सौंप दिया है। बेहद दुर्दांत हक्कानी नेटवर्क के अल कायदा से पुराने रिश्ते हैं। यही नहीं हक्कानी नेटवर्क के विदेशी जिहादी गुटों से भी करीबी संबंध है।
19 अगस्त को अफगानिस्तान की राष्ट्रीय सम्मेलन परिषद के अध्यक्ष अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने काबुल में खलील अल रहमान हक्कानी और उनके साथियों से मुलाकात की। बाद में अब्दुल्ला ने बताया कि राजधानी काबुल की सुरक्षा व्यवस्था खलील हक्कानी संभालेंगे। अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने कहा कि हक्कानी ने वादा किया है कि काबुल के नागरिकों को सही सुरक्षा देने के लिए वह पूरी मेहनत करेंगे।
खलील हक्कानी को अमेरिका ने फरवरी 2011 में ग्लोबल आंतकी घोषित किया था
खलील हक्कानी की पोजीशन इसी से पता चलती है कि अमेरिका ने फरवरी 2011 में उसे ग्लोबल आतंकी घोषित किया था और उसके सिर पर 50 लाख डॉलर का इनाम रखा था। हक्कानी गुट का सरगना सिराजुद्दीन हक्कानी है और वह खलील हक्कानी का भतीजा है। तालिबान के विभिन्न गुटों में हक्कानी नेटवर्क सबसे बड़ा है।
हक्कानी नेटवर्क को काबुल की जिम्मेदारी सौंपना खतरे की घंटी
पश्चिमी खुफिया अधिकारियों का कहना है कि हक्कानी नेटवर्क को काबुल की जिम्मेदारी सौंपा जाना खतरे की घण्टी है। तालिबान का ये कदम बताता है कि वह नरम नहीं पड़ा है। और उसके रंगढंग वही पुराने हैं। तालिबान नेताओं ने कतर में पिछले साल अमेरिका से हुई शांति वार्ता में वादा किया था कि वह अफगानिस्तान की सरजमीं को विदेशी जिहादियों के लिए पनाहगाह नहीं बनने देगा। लेकिन अब तालिबान अपने वादे को तोड़ता दिख रहा है।
हक्कानी को काबुल की सुरक्षा का इंचार्ज बनाए जाने पर ब्रिटिश इंटेलिजेंस ने परेशानी जताई
क्योंकि हक्कानी नेटवर्क की मजबूती से अफगानिस्तान में अल कायदा की वापसी की आशंका बढ़ गई है। एक ब्रिटिश इंटेलिजेंस अधिकारी का कहना है कि खलील हक्कानी को काबुल की सुरक्षा का इंचार्ज बनाया जाना बहुत परेशान करने वाली बात है। ये ऐसे ही है कि भेड़िए को बकरियों की सुरक्षा सौंप दी जाए। हक्कानी और अल कायदा के रिश्तों का बहुत पुराना इतिहास है। और दोनों आपस में अच्छी तरह मिले हुए हैं। इनके रिश्ते खत्म होने की उम्मीद करना बेमानी है।
एक अन्य एक्सपर्ट का कहना है कि तालिबान के भीतर कई गुट हैं और तालिबान जिस तरह की अलग अलग बातें कर रहा है उससे पता चलता है कि सबसे खराब गुटों की ज्यादा चल रही है। हक्कानी को बड़ी जिम्मेदारी देने के साथ महिलाओं और सिविल सोसाइटी को बहुत डरावना संदेश गया है।