तालिबानी लड़ाके ने चिड़ियाघर में भालू पर तानी बंदूक, फोटो वायरल

द सन में छपी एक तस्वीर में जिस तरह तालिबानी लड़ाके ने एक भालू की ओर अपनी बंदूक तान रखी है, उसे देखकर इन जानवरों की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है।

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Published By :  Deepak Kumar
Update: 2021-09-02 09:46 GMT

चिड़ियाघर में एक भालू पर तालिबानी लड़ाके ने बंदूक तानी। (Social Media)

Afghanistan: 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा कर लेने के बाद अफगान के बाशिंदों पर जुल्म करने के बाद अब तालिबानी लड़ाके बेज़ुबान जानवरों को अपने कहर का निशाना बना रहे हैं। तालिबान के डर से इंसान तो भागने लगे हैं, लेकिन चिड़ियाघर के बेज़ुबान जानवर भला कहां भाग जाएं? वे तो वहीं फंसे हुए हैं, उस पर भी खतरनाक लड़ाकों की खूंखार आंखें और हथियार उनमें खौफ पैदा करने के लिए काफी हैं।

द सन में छपी एक तस्वीर में जिस तरह तालिबानी लड़ाके ने एक भालू की ओर अपनी बंदूक तान रखी है, उसे देखकर इन जानवरों की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि जानकारी के मुताबिक चिड़ियाघर में अब भी जानवरों की सेवा की जा रही है, लेकिन तालिबानियों का क्या? उनके लिए इंसान की जान लेना जब इतना आसान है, फिर ये तो बेज़ुबान जानवर ठहरे।

तालिबानी लड़ाके ने नहीं मारा भालू

ताजा तस्वीर द सन में छापी गई है, जिसमें एक तालिबानी लड़ाका मांद में खड़े भालू की ओर अपनी बंदूक ताने हुए है, जबकि बाकी लड़ाके ये नजारा खड़े होकर बड़े आराम से देख रहे हैं। नीचे खड़ा भालू बंदूक को देखकर सहमा नजर आ रहा है।

सूत्रों के मुताबिक चिड़ियाघर के इन जानवरों का गेम अब ओवर हो चुका है, क्योंकि कुछ इसी तरह तालिबानी इन जानवरों को ट्रीट करने वाले हैं और ये तो भाग भी नहीं सकते। हालांकि फिलहाल इस बात की पुष्टि की गई है कि इस भालू को मारा नहीं गया है और चिड़ियाघर के अंदर बाकी जानवरों का खाना-पानी चल रहा है।

20 साल पहले तालिबान ने जानवरों पर ढाया था जुल्म

ये चिड़ियाघर काबुल म्युनिसपैलिटी के अंतर्गत आता है और तालिबानी राज आने के बाद उनके लड़ाकों ने आकर इसका दौरा किया है। तालिबान ने फिलहाल इस भालू को भले ही नहीं मारा है लेकिन अब से 20 साल पहले 1990 के दौर में जब तालिबान का राज था तो उन्होंने चिड़ियाघर के जानवरों पर खूब जुल्म ढाया था।

उन्होंने एक शेर पर ग्रेनेड फेंककर उसे अंधा कर दिया था, जबकि एक भालू पर मजे-मजे में ग्रेनेड फेंक दिया था। इतना ही नहीं बताया जाता है कि अपने मनोरंजन और टाइमपास के लिए वे भालुओं को पिटते हुए देखना पसंद करते थे, जबकि दूसरे जानवरों को भी छड़ी और पत्थरों से मारते थे।

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