तानाशाह लाया तबाही: मौत के बाद पूरे देश में आया भूचाल, बिगड़े हालात
लीबिया में तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी के खात्मे के बाद देश के हालात सुधरने की बजाये और भी खराब होते चले जा रहे हैं।
नई दिल्ली: लीबिया में तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी के खात्मे के बाद देश के हालात सुधरने की बजाये और भी खराब होते चले जा रहे हैं। लीबियाई जनता को उम्मीद थी कि उनकी जिन्दगी में खुशहाली, लोकतंत्र, आज़ादी और ईमानदार शासन आयेगा लेकिन ये सब एक भ्रम साबित हुआ है और यही वजह है कि लीबिया की जनता भ्रष्टाचार और बदहाली के खिलाफ सड़कों पर उतर आयी है। कोरोना वायरस ने यहाँ हालत और भी खराब कर दिए हैं और लोगों को इलाज तक मयस्सर नहीं है।
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2011 से जारी युद्ध
पूर्वी लीबिया में हिफ्तर के वफादार ताकतवर कबीलों ने साल के शुरूआत में ही तेल निर्यात टर्मिनलों को बंद कर प्रमुख तेल पाइपलाइनें रोक दीं। 2011 में नाटो समर्थित विद्रोह के बाद यह देश अराजकता में घिर गया और तानाशाह मुअम्मर कद्दाफी को सत्ता से बेदखल कर उनकी हत्या कर दी गई। तब से यह देश पूर्वी और उत्तरी प्रशासनों में बंटा है। दोनों को ही सशस्त्र समूहों और विदेशी सरकारों का समर्थन हासिल है।
संघर्ष विराम
लीबिया की संयुक्त राष्ट्र समर्थित सरकार ने तेल समृद्ध देश में संघर्ष विराम की घोषणा की है। इसी के साथ उसने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण शहर सर्ट के विसैन्यीकरण की मांग भी कर दी है। फिलहाल यह शहर प्रतिद्वंद्वी बलों के नियंत्रण में हैं। लीहिया में संघर्ष विराम की यह घोषणा ऐसे समय में हुई जब नौ साल से चल रहे इस संघर्ष के और बढ़ जाने की आशंका जताई जा रही है। राजधानी में राष्ट्रीय समझौते की सरकार के प्रमुख फयाज सराज ने मार्च में संसदीय और राष्ट्रपति चुनाव कराने की भी घोषणा की है। दोनों ही प्रशासनों ने कहा है कि वे इस साल की शुरुआत से ही सैन्य कमांडर खलीफा हिफ्तर पक्ष की तरफ से तेल नाकेबंदी खत्म होते हुए देखना चाहते थे।
गृह युद्ध की आग
संयुक्त राष्ट्र और लीबिया के विभिन्न पक्षकारों के बीच लंबी बातचीत के पश्चात साल 2015 में गवर्नमेंट ऑफ नेशनल एकॉर्ड (जीएनए) वजूद में आया था। विश्व बिरादरी को आशा थी कि घरेलू विवादों के कारण लंबे समय से अराजकता के शिकार इस देश को जीएनए शांति और विकास के रास्ते पर वापस लेकर आएगा, लेकिन अप्रैल 2019 में पूर्व फौजी खलीफा हफ्तार के हमलों ने लीबिया को फिर से गृह युद्ध की आग में झोंक दिया। हफ्तार को इलाके के कुछ देशों का समर्थन मिल रहा है। ये देश लीबियाई जनता की मर्जी के खिलाफ उसके मामलों में हस्तक्षेप करना चाहते हैं।
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भारी नुकसान
लीबिया के बुनियादी ढांचे और मानव संसाधन को पिछले वर्षों में भारी नुकसान पहुंचा है और मित्र देशों की मदद के बिना एक लोकतांत्रिक देश के रूप में उसका खड़ा होना संभव नहीं। चूंकि अप्रैल 2019 से ही वैध सरकार के विरोधी गुटों का हमला जारी है, अत: इसमें अब तक 1,000 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोगों को दरबदर होना पड़ा है। इस मुश्किल घड़ी में अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने लीबिया के असहाय लोगों की पुकार सुनी है। पर्याप्त प्राकृतिक संपदा वाला मुल्क होने के बावजूद वहां के लोग आज दो रोटी के लिए मोहताज हैं।
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