Wheat Export Ban: गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध के फैसले पर दोबारा विचार करे भारत, अमेरिका की अपील
Wheat Export Ban: भारत द्वारा गेहूं निर्यात पर लगाय गए प्रतिबंध पर अमेरिका ने भारत से अपने इस फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा है।
New York: भारत द्वारा गेहूं निर्यात (Wheat Exports by India) पर लगाय गए प्रतिबंध पर दुनिया के कई विकसित देशों ने अप्रसन्नता जाहिर की है। रूस –यूक्रेन युद्ध (russia ukraine war) के कारण पहले से ही खाद्यान्न संकट (food crisis) के मुहाने पर खड़ी दुनिया के लिए भारत का ये फैसला किसी बड़े झटके से कम नहीं था। इस बीच अमेरिका (America) ने भारत से अपने इस फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा है। बता दें कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है।
निर्यात पर प्रतिबंध से भोजन की कमी बढ़ेगी
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड (US Ambassador Linda Thomas Greenfield) ने कहा, हमने भारत के फैसले की रिपोर्ट देखी है। हम देशों को निर्यात प्रतिबंधित नहीं करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। ताकि दुनिया में खाद्यान्न संकट उत्पन्न न हो। अमेरिकी राजदूत ने कहा कि यूक्रेन विकासशील दुनिया की भोजन संबंधी जरूरतें पूरा करता था, मगर जंग के कारण रूस ने वहां के महत्वपूर्ण बंदरगाहों को अवरूद्ध करना शुरू कर दिया है। इसके कारण अफ्रीका समेत मध्य पूर्व के देशों में गंभीर खाद्यान्न संकट उत्पन्न हो गया है।
आने वाले दिनों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की होने जा रही बैठक का जिक्र करते हुए कहा कि इस दौरान खाद्य संकट पर भी चर्चा की जाएगी। उन्हें उम्मीद है कि भारत अन्य देशों द्वारा उठायी जा रही चिंताओं को ध्यान में रखते हुए अपने फैसले पर फिर से विचार करेगा।
भारत सरकार ने निर्यात रोकने का लिया था फैसला
अंतराष्ट्रीय बाजार में गेंहू की मिल रही अच्छी कीमत के बीच भारत सरकार (Indian government) ने अचानक 14 मई 2022 को इसके निर्यात पर रोक लगाने का ऐलान कर दिया। दरअसल, देश के अंदर लगातार कई कृषि विशेषज्ञ सरकार को इसकी चेतावनी दे रहे थे।
घरेलू बाजार (domestic market) में आटा की कीमत अचानक चढ़ने के बाद सरकार दवाब में आ गई। मार्च माह में भीषण गर्मी के कारण गेंहू के फसल को हुए नुकसान को देखते हुए सरकार ने इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया।
केंद्र सरकार का मकसद इसके जरिए घरेलू कीमतों में आए उछाल पर अंकुश लगाना है। सरकार का मानना है कि इस फैसले से गेहूं की कीमत को नियंत्रित करने और पड़ोसी एवं कमजोर देशों की खाद्यान्न आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलेगा। बता दें कि भारत लगातार आर्थिक संकट के दलदल में फंसे पड़ोसी श्रीलंका को भारी मात्रा में खाद्यान्न उपलब्ध करवा रहा है।