आतंकियों को पनाह देकर फंसा पाक, अमेरिका ने लगाई कड़ी फटकार

Update: 2017-09-01 12:43 GMT

वाशिंगटन/इस्लामाबाद। आतंकवादियों को पनाह देने के मामले को लेकर अमेरिका व पाकिस्तान में ठन गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आतंकियों को पनाह देने पर पाकिस्तान को कड़ी फटकार लगाई है और गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है। ट्रंप के अलावा अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन और अमेरिकी रक्षा मंत्री ने भी पाकिस्तान को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि आतंकियों को पनाह देने वालों को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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अमेरिकी चेतावनी के बाद इस्लामाबाद में प्रधानमंत्री के आवास पर हुई उच्चस्तरीय बैठक में स्थिति की समीक्षा के साथ भावी रणनीति तय की गयी। इसके बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने अमेरिका के साथ वार्ता और द्विपक्षीय दौरों को स्थगित करने का ऐलान कर दिया।

उन्होंने कहा कि देश के खिलाफ अमेरिकी बयानबाजी के प्रति विरोध जताने के लिए यह कदम उठाया गया है। जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान के इस कदम से दोनों देशों में तनातनी और बढ़ गयी है। अंशुमान तिवारी का विश्लेषण-

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ट्रंप ने दिया पाक को कड़ा संदेश

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि पाकिस्तान आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगार बन गया है। उन्होंने भारत के साथ रिश्ते मजबूत करने और अफगानिस्तान को और मदद देने का भी आश्वासन भी दिया। पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए ट्रंप ने कहा कि सच्चाई तो यह है कि पाकिस्तान के लोग खुद आतंकवाद से पीडि़त हैं,लेकिन यह भी सच्चाई है कि पाकिस्तान आतंकियों के लिए सुरक्षित स्वर्ग बना हुआ है। अब उसे आतंकवाद के खिलाफ लडऩे की प्रतिबद्धता पूरी करनी होगी। उन्होंने कहा कि अमेरिकी लोग बिना विजय के ही युद्ध से थक चुके हैं। भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार में अरबों डॉलर बनाए हैं। अब हम उनसे चाहते हैं कि वे अफगानिस्तान में हमारी मदद करें विशेषकर आॢथक क्षेत्र में।

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उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को अफगानिस्तान में हमारे प्रयास में साझीदार बनने से बहुत कुछ हासिल होगा मगर यदि उसने आतंकवादियों को शरण देना जारी रखा तो उसे बहुत कुछ खोना होगा। हम आतंकी संगठनों को पाकिस्तान में मिल रही पनाहगाहों को लेकर खामोश नहीं रह सकते। ट्रंप ने अपनी नई अफगान नीति का भी ऐलान कर दिया है। यह नीति हर लिहाज से भारत के हितों व उम्मीदों के मुताबिक है।

ट्रंप ने भारत को एक अहम शक्ति मानते हुए उसके साथ रणनीतिक सहयोग को और प्रगाढ़ करने का आह्वान किया तो दूसरी तरफ आतंकियों पर लगाम न लगा पाने के कारण पाकिस्तान को कड़ी फटकार लगाई है। ट्रंप ने साफ किया है कि भारत अमेरिका की अफगान नीति का एक अहम हिस्सा है।

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अमेरिका करेगा आंतकियों का सफाया

अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने पाकिस्तान के कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि आतंकवादी जहां भी छिपे होंगे वहां घुसकर अमेरिकी सेना उनका सफाया करेगी। उन्होंने कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता अमेरिकी नागरिकों और अमेरिकी हितों की रक्षा करना है। जहंा भी आतंकी छिपे होंगे हम उन पर हमला करेंगे। उन्होंने साफ किया कि अगर आप आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह और शरण दे रहे हैं तो सावधान रहें। टिलरसन ने बताया कि अमेरिका ने आतंक के खिलाफ लड़ाई में समर्थन मांगे जाने पर पाकिस्तान को सशर्त सहयोग देने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तान को सशर्त सहयोग देंगे मगर इसके साथ ही यह भी उम्मीद करेंगे कि इसके परिणाम भी सामने आएं।

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आतंकियों को शरण देना बर्दाश्त नहीं

ट्रंप की पाक को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी देने के बाद अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने भी कहा कि इस संदर्भ में ट्रंप प्रशासन पाकिस्तान के खिलाफ निश्चित तौर पर कार्रवाई करेगा। यह पूछे जाने पर कि ट्रंप तो पहले भी ऐसी चेतावनी दे चुके हैं, रक्षा मंत्री ने कहा कि मैं सवाल समझता हूं। आपको इसका जवाब जानने के लिए इंतजार करना होगा और देखना होगा। मैटिस ने चीफ्स ऑफ स्टाफ को निर्देश दिए हैं कि वह अफगानिस्तान और पाकिस्तान से जुड़ी ट्रंप की रणनीति को क्रियान्वित करने के लिए तैयारी करें।

यह पूछे जाने पर कि क्या अमेरिका पाकिस्तान पर हमला भी कर सकता है, टिलरसन ने कहा कि मैं इस बारे में कुछ नहीं कहूंगा कि इसमें क्या-क्या शामिल हो सकता है। लेकिन राष्ट्रपति ने स्पष्ट कर दिया है कि हम अमेरिकी सैनिकों की रक्षा करेंगे। उन्होंने कहा कि आतंकी कहीं भी रहते हों, हम उन पर हमला करेंगे। हमने कह दिया है कि यदि आप आतंकियों को शरणस्थली उपलब्ध करवा रहे हैं तो सचेत हो जाइए। अब इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

टिलरसन ने कहा कि अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता से अफगान लोगों के अलावा पाकिस्तान को भी बड़ा फायदा होगा। हम सहयोगियों के साथ मिलकर आतंकी केंद्रों को नष्ट करने में अफगान सुरक्षा बलों की मदद करेंगे।

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आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करे पाक

इस बीच व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने साफ शब्दों में पाकिस्तान को अपने यहां सक्रिय आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। पाकिस्तान में लश्कर, जैश व अन्य आतंकी संगठन सक्रिय हैं और उसे इन संगठनों की लगाम कसनी चाहिए। अमेरिका भारत के इस रुख से परिचित है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते। नाम गोपनीय रखने की शर्त पर इस अधिकारी ने कहा कि हमने पाकिस्तान से कहा है कि वह मुंबई, पठानकोट व अन्य हमलों में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे।

अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान को आतंकी संगठनों पर कड़ी कार्रवाई करनी होगी। अधिकारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच गत जून में व्हाइट हाउस में हुई बैठक के बाद जारी किए गए संयुक्त बयान का भी हवाला दिया जिसमें स्पष्ट किया गया था कि यह मुद्दा अमेरिका के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। पाकिस्तान को यह बात समझ लेनी चाहिए कि उसे अब शर्तों पर ही अमेरिका से सैन्य मदद मिल सकती है।

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अफसर ने पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई पर निशाना साधते हुए कहा कि आईएसआई के तालिबान व हक्कानी नेटवर्क से पुराने रिश्ते हैं। हम यह देखना चाहते हैं कि पाकिस्तान इनके खिलाफ क्या कार्रवाई कर रहा है। अमेरिका यह देखना चाहता है कि पाकिस्तान आतंकियों के लिए अपनी नीति में कब बदलाव लाता है। हम कोई टाइमलाइन तो नहीं दे रहे मगर पाकिस्तान पर पैनी नजर रखी जा रही है।

मीडिया ने कहा-अमेरिका विरोधी गुट बनाए पाक

पाक की मीडिया की तरफ से यह सुझाव दिया जा रहा है कि अब उसे चीन व रूस के साथ मिलकर अमेरिका विरोधी नया गुट बनाना चाहिए। विदेशी मामलों के विशेषज्ञ मुशर्रफ जैदी ने ट्वीट कर अपने देश की हताशा जताई और कहा कि इससे साफ है कि अमेरिकी प्रशासन के पास कोई नई सोच नहीं है। अमेरिका के कदम से भारत को अफगानिस्तान में अपने गलत इरादे को छिपाने का बहाना मिल गया है। अमेरिका ने भारत को बड़ी भूमिका निभाने का आमंत्रण दे कर दिखा दिया है कि आखिर वह क्या चाहता है।

अमेरिकी चेतावनी के बाद इस्लामाबाद में प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी के आवास पर हुई उच्चस्तरीय बैठक में हालात की समीक्षा की गयी। बैठक में आंतरिक मामलों के मंत्री अहसन इकबाल, विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ, जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमिटी के अध्यक्ष जुबैर हयात, थलसेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा, वायुसेना अध्यक्ष एसीएम सोहैल अमन और नौसेना प्रमुख एडमिरल मुहम्मद जकाउल्ला सहित कई अन्य शीर्ष अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

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अमेरिकी मंत्री का पाक दौरा रद्द

इस बीच ट्रंप की फटकार से झल्लाए पाकिस्तान ने अमेरिका के साथ वार्ता और द्विपक्षीय दौरों को स्थगित कर दिया है। विदेश मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने सीनेट को बताया कि पाकिस्तान ने अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान को गंभीरता से लिया है। पाकिस्तान ने अपना विरोध जताने के लिए अमेरिका के कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री (दक्षिण व मध्य एशिया) एलिस वेल्स के मंगलवार से होने वाले पाकिस्तान दौरे को रद कर दिया।

ट्रंप के अफगानिस्तान में भारत से सहयोग मांगने पर आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में भारत की कोई भूमिका नहीं देखता। अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल कर भारत को पाकिस्तान को अस्थिर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

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संसद सदस्यों ने सरकार से ब्योरा मांगा कि आतंकवाद से लड़ते हुए देश को कितना नुकसान हुआ। इस बीच विदेश सचिव तहमीना जांजुआ ने कहा कि अमेरिका की नई नीति पर रणनीति तैयार करने के लिए पाकिस्तान के राजनयिकों की बैठक पांच से सात सितम्बर तक होगी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी सितम्बर में संयुक्त राष्ट्र की बैठक में हिस्सा लेने अमेरिका जाने वाले हैं। अब सबकी नजर अब्बासी की अमेरिका यात्रा पर है।

चीन ने किया पाक का बचाव

इस बीच चीन के शीर्ष राजनयिक यांग जियेची ने कहा कि अमेरिका को अफगानिस्तान में पाकिस्तान की महत्वपूर्ण भूमिका को महत्व देना चाहिए और उसकी संप्रभुता और वैध सुरक्षा चिंताओं पर ध्यान देना चाहिए। पाकिस्तान का पूरी तरह समर्थन करते हुए यांग ने कहा कि चीन अफगानिस्तान के मुद्दे पर पाकिस्तान की भूमिका को महत्व देता है। ट्रंप के बयान के फौरन बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने भी पाकिस्तान का समर्थन किया था।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद से लड़ाई में आगे हैं और उसने आतंकवाद से लड़ते हुए बलिदान दिए हैं। उसने शांति और स्थिरता को बनाये रखने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

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ट्रंप की अफगान नीति का भारत ने किया स्वागत

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राष्ट्रपति ट्रंप की अफगान नीति का भारत ने स्वागत किया है तो इससे पाकिस्तान सकते में है। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने अफगानिस्तान की चुनौतियों को दूर करने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप की प्रतिबद्धता का स्वागत किया। भारत ने संकेत दिया है कि वह अफगानिस्तान में पुनॢनर्माण का काम और तेज करेगा। ट्रंप ने अपनी नीति की घोषणा करते हुए भारत से कहा है कि वह अफगानिस्तान में आर्थिक मदद और बढ़ाए। दूसरी ओर ट्रंप ने पाकिस्तान को सकते में डाल दिया है।

पाकिस्तान के राजनेताओं के साथ ही वहां की जनता भी ट्रंप की बातों से बेहद नाराज है। लोग सोशल मीडिया पर इसे लेकर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। लोगों को इस बात का दुख नहीं है कि अमेरिका ने उनके हुक्मरानों को आतंक के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी दी है बल्कि इस बात की नाराजगी है कि अमेरिका ने अफगानिस्तान में भारत को और बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया है।

पाक ने फिर अलापा कश्मीर राग

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ट्रंप की अफगान नीति की घोषणा के जवाब में पाकिस्तानी विदेश कार्यालय ने कहा कि सुरक्षा और शांति पर मंडराने वाले खतरे को भूराजनीति, लगातार सुलगने वाले विवादों और आधिपत्य संबंधी नीतियों के जटिल मिश्रण से अलग नहीं किया जा सकता। जम्मू-कश्मीर विवाद का समाधान न हो पाना क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता के लिए अहम अवरोधक है। बयान के मुताबिक शरणस्थलियों की फर्जी बात पर भरोसा करने के बजाय अमेरिका को आतंकवाद के खात्मे के लिए पाकिस्तान के साथ मिलकर काम करना चाहिए। आतंकवादियों के लिए पनाहगाह मुहैया कराने के आरोपों से इनकार करते हुए पाकिस्तान ने कहा कि भौगोलिक वैश्विक राजनीति के जटिल पारस्परिक प्रभाव और आधिपत्य जमाने वाली नीतियां दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता के खतरे के लिए जिम्मेदार हैं।

पाकिस्तान ने कहा कि दुनिया में कोई भी देश आतंकवाद के अभिशाप से पाकिस्तान से ज्यादा ग्रस्त नहीं है, जिन्हें अक्सर हमारी सीमाओं से बाहर अंजाम दिया जाता है। इसलिए यह खेदजनक है कि अमेरिकी नीति के बयान में आतंकवाद के खिलाफ प्रयास के तहत पाकिस्तानी बलिदानों की अनदेखी की गई।

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पाक ने दोहराया कि अफगानिस्तान संकट का कोई विशेष सैन्य समाधान नहीं है। पाकिस्तान अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए अफगानिस्तान के नेतृत्व में बातचीत के जरिए किए जाने वाले समाधान का समर्थन करता है। पाकिस्तान आतंकवाद को हराने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है और देश आतंकवाद रोधी प्रयासों का हिस्सा लगातार बना रहेगा।

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