मौतों वाला द्वीप: यहीं बसाए जा रहे रोहिंग्या मुसलमान, सच्चाई जानकर उड़ जाएंगे होश

अब बांग्लादेश सरकार खुद बड़ी संख्या में रोहिंग्याओं को एक निर्जन द्वीप पर भेज रही है। सरकार का तर्क है कि वो आबादी के सही बंटवारे के लिए ऐसा कर रही है

Update: 2020-12-06 05:20 GMT
द्वीप पर कभी कोई नहीं बसा। लेकिन अब बांग्लादेश के शरणार्थी कैंपों से लाकर रोंहिग्याओं को वहां छोड़ा जा रहा है। ये द्वीप बांग्लादेश के तटीय इलाकों से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है।

नई दिल्ली रोहिंग्या मुसलमान बहुत गरीब हैं, वक्त के मारे हुए हैं, भूख, कुपोषण और रोगों के शिकार हैं, दाने-दाने को मोहताज हैं। इनकी व्यथा को जितना अनुभव किया जाए, उतना कम है। ये दुनिया के सबसे सताए हुए लोग हैं, इस बात को संयुक्त राष्ट्र संघ भी कह चुका है किंतु बर्मा, बांग्लादेश, इण्डोनेशिया, थाईलैण्ड तथा भारत कोई भी देश इन लोगों को स्वीकार करने को तैयार नहीं है।

अब लाखों की संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों ने म्यांमार छोड़कर पड़ोसी राज्य बांग्लादेश की शरण ली। लेकिन वे यहां भी सुरक्षित नहीं रह सके। अब बांग्लादेश सरकार खुद बड़ी संख्या में रोहिंग्याओं को एक निर्जन द्वीप पर भेज रही है। सरकार का तर्क है कि वो आबादी के सही बंटवारे के लिए ऐसा कर रही है और साथ ही वो शरणार्थियों की अनुमति लेकर ये कदम उठा रही है ।

 

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राहत के नाम पर भाषण चार द्वीप

बांग्लादेशी सरकार म्यांमार से आए हुए रोहिंग्याओं की राहत के नाम पर उन्हें भाषण चार नाम द्वीप पर भेजने लगी है। सरकार का मकसद लगभग एक लाख लोगों को वहां बसाना है इसके लिए द्वीप पर एक छोटा शहर बनाया गया। इसमें बाजार, स्कूल और मस्जिद भी हैं। इसके लिए सरकार ने वहां कथित तौर पर 270 डॉलर मिलियन खर्च किए। द्वीप पर लगभग 1 लाख लोग रह सकते हैं। इसके लिए यहां 120 शेल्टर बनाए गए हैं। हर शेल्टर यानी इमारत में 800 से 1000 लोग बसाए जाएंगे।

 

समुद्री आपदाओं में घिरा

बंगाल की खाड़ी में बसा भाषण चार नाम द्वीप लगातार बाढ़ और साइक्लोन जैसी समुद्री आपदाओं में घिरा रहता है। यही कारण है कि द्वीप पर कभी कोई नहीं बसा। लेकिन अब बांग्लादेश के शरणार्थी कैंपों से लाकर रोंहिग्याओं को वहां छोड़ा जा रहा है। ये द्वीप बांग्लादेश के तटीय इलाकों से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है।

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रोहिंग्या दुनिया के सबसे सताएं अल्पसंख्यक

ऐसे में उनपर नजर रखना आसान काम नहीं। कैंप में बढ़ते नशे और मानव तस्करी जैसे मामलों का हवाला देते दौरान बांग्लादेश से सटे रखाइन प्रांत में दोनों के बीच हिंसक टकराव हुआ, जिसमें रोहिंग्याओं का भारी नुकसान हुआ। इसके बाद से टकराव लगातार बना रहा और रोहिंग्या नदी के रास्ते बांग्लादेश जाते रहे। इसके अलावा वे मलेशिया और भारत की ओर भी आए। फिलहाल खुद संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि रोहिंग्या दुनिया के सबसे सताए हुए अल्पसंख्यक हैं।

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