Bird Flu: बर्ड फ्लू मचा सकता है तबाही, जानें क्या है लक्षण और बचाव के उपाय

Bird Flu: WHO की ओर से जारी अलर्ट में कहा गया है कि यदि समय रहते बर्ड फ्लू पर काबू नहीं पाया गया तो ये दुनियाभर में कोरोना से भी बड़ी तबाही ला सकता है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2023-03-05 10:52 IST

Bird flu  (photo: social media )

Bird Flu: पक्षियों में फैलने वाला बर्ड फ्लू अब मानव जीवन के लिए भी खतरा बनने लगा है। संयुक्त राष्ट्र की संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस उभरते हुए खतरे को लेकर दुनिया के देशों को अलर्ट किया है। WHO की ओर से जारी अलर्ट में कहा गया है कि यदि समय रहते बर्ड फ्लू पर काबू नहीं पाया गया तो ये दुनियाभर में कोरोना से भी बड़ी तबाही ला सकता है।

क्या है बर्ड फ्लू वायरस ?

बर्ड फ्लू को एवियन इनफ्लूएंजा वायरस भी कहते हैं। इसके सबसे कॉमन वायरस का नाम H5N1 है। यह एक खतरनाक वायरस है जो पक्षियों के साथ अन्य जानवारों और इंसानों को भी संक्रमित कर सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, H5N1 को साल 1997 में खोजा गया था। इस वायरस से संक्रमित होने पर 60 प्रतिशत मामलों में मौत हो जाती है।

इंसान कैसे संक्रमित हो सकता है ?

संक्रमित पक्षी के नाक,मुंह,मल या आंखों से निकलने वाले पदार्थ के संपर्क में आने पर इंसान संक्रमित हो सकता है। यह वायरस इंसानों में नाक,मुंह और आंख के जरिए प्रवेश कर सकता है। कच्चे या दूषित पोल्ट्री प्रोडक्ट के सेवन से भी इंसान संक्रमित हो सकते हैं। अधिकांश मामलों में देखा गया कि इंसानों में इनफ्लूएंजा ए(H5N1) और ए(H7N9) वायरस जिंदा या मृत संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने से पहुंचा।

इंसानों में बर्ड फ्लू के संक्रमण का पहला मामला 1997 में हांगकांग में सामने आया था। ये फ्लू हांगकांग के एक जीवित पक्षी बाजार से फैलना शुरू हुआ था। 18 लोग इस फ्लू के चपेट में आए थे, जिनमें से 6 की मौत हो गई थी। 2003 से यह वायरस चीन समेत एशिया के अन्य देशों, यूरोप और अफ्रीकी देशों में भी फैलने लगा।

भारत में बर्ड फ्लू

भारत में बर्ड फ्लू ने साल 2006 में प्रवेश किया था। उस साल महाराष्ट्र और गुजरात में इसके मामले देखे गए थे। इसके बाद से लगातार प्रत्येक साल देश के विभिन्न राज्यों से बर्ड फ्लू के मामले सामने आते रहते हैं। भारत में यह वायरस प्रवासी पक्षियों के जरिए भी आता है। सर्दियों में साइबेरिया जैसे ठंडे इलाकों से बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी भारत की ओर रूख करते हैं। देश में हर साल बर्ड फ्लू के कारण हजारों की संख्या में पक्षियों को मारा जाता है। इनमें मुर्गियों के अलावा कौए, बतख, बगुला और टिटहरी जैसे पक्षी भी शामिल हैं। राहत की बात ये है कि अभी तक भारत में इंसानों में बर्ड फ्लू का कोई मामला सामने नहीं आया है।

बर्ड फ्लू का खतरा किन लोगों को अधिक है ?

बर्ड फ्लू का संक्रमण होने पर यह वायरस शरीर में लंबे समय तक रहता है। पक्षियों में संक्रमण होने पर वायरस उसमें 10 दिन तक रहता है। यह मल और लार के रूप में बाहर निकलता है। इस छूने या संपर्क में आने पर संक्रमण हो सकता है। इन लोगों को बर्ड फ्लू का खतरा सबसे अधिक होता है -

वे लोग जो पोल्ट्री फॉर्म में काम करते हैं। वे लोग जो पक्षियों के संपर्क में रहते हैं। वे लोग जो पक्षियों के रहने की जगह पर आते-जाते रहते हैं। ऐसे लोग जो किसी संक्रमित पक्षी के संपर्क में आ जाएं। वे लोग जो अधपकी मुर्गी या अंडे खाते हैं।

बर्ड फ्लू के लक्षण

- खांसी

- बुखार

- सांस लेने में परेशानी होना

- सिर में दर्द

- गले में खराश

- मांसपेशियों में दर्द

- दस्त

- पेट के निचले हिस्से में दर्द रहना

- आंख का इन्फेक्शन

- हर वक्त उल्टी जैसा मन करना

बर्ड फ्लू से बचाव

स्वास्थ्य जानकारों के शब्दों में कहें तो बर्ड फ्लू से बचने का सबसे कारगर उपाय है कि आप पक्षियों से सीधे संपर्क में न आएं। उनकी बीट को न छुएं। जहां पक्षी रहते हैं, वहां बिल्कुल आवाजाही न करें। अंडा या चिकन खरीदते समय साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें। खरीददारी के समय और मीट काटने के दौरान ग्लव्ज का इस्तेमाल करें। इसके फौरन बाद हाथ को सेनिटाइज करें या साबुन से हाथ धोएं। नॉनवेज अच्छे से पकाकर खाएं। 70 डिग्री टेम्परेचर में मीट पकाने पर वायरस खत्म हो जाता है।

झारखंड में बर्ड फ्लू ने दी दस्तक

इन दिनों झारखंड में बर्ड फ्लू ने दस्तक दे रखी है। राजधानी रांची और बोकारो में इसके मामले सामने आ चुके हैं। धीरे-धीरे अन्य जिलों में भी इसके फैलने का खतरा है। खतरे को देखते हुए बोकारो में अब तक तकरीबन पांच हजार बतख औऱ मुर्गियों को मारा जा चुका है।

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