Candida Auris Fungal Disease: दुनिया में तेज़ी से फ़ैल रही कैंडिडा ऑरिस बीमारी, 60 फीसदी तक है मृत्यु दर

Candida Auris Fungal Disease: दुनिया में कैंडिडा ऑरिस नामक बेहद खतरनाक फंगल बीमारी तेजी से फ़ैल रही है। 2009 से पहले कैंडिडा ऑरिस को इंसानों में देखा भी नहीं गया था और अब हर साल इसके हजारों मामले सामने आ रहे हैं।

Update: 2023-08-01 13:27 GMT
दुनिया में तेज़ी से फ़ैल रही कैंडिडा ऑरिस बीमारी

Candida Auris Fungal Disease: दुनिया में कैंडिडा ऑरिस नामक बेहद खतरनाक फंगल बीमारी तेजी से फ़ैल रही है। 2009 से पहले कैंडिडा ऑरिस को इंसानों में देखा भी नहीं गया था और अब हर साल इसके हजारों मामले सामने आ रहे हैं। कैंडिडा ऑरिस ऐसा संक्रमण है कि आईएस पर अधिकांश एंटिफंगल एजेंट नाकाम साबित होते हैं। जुलाई में दिल्ली में आवारा कुत्तों में इस इन्फेक्शन का पता चला था।

न्यूयॉर्क से पता चला

हाल के वर्षों में इस बीमारी के प्रति चिंता अमेरिका से पैदा हुई जब 2016 में न्यूयॉर्क के अस्पतालों में एक ऐसे फंगल इन्फेक्शन के मरीज एकाएक सामने आने लगे जो अमेरिका में पहले कभी नहीं देखा गया था। शोधकर्ताओं ने इसका कारण पता लगाने की कोशिश की तो पता चला कि यह संक्रमण 2013 से ही अमेरिका में मौजूद था। तब से न्यूयॉर्क को कैंडिडा ऑरिस बीमारी के लिए ग्राउंड जीरो के रूप में जाना जाता है। अमेरिका के सीडीसी (सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन) के मुताबिक 2021 तक अमेरिका में इस संक्रमण के सबसे ज्यादा रोगी न्यूयॉर्क में ही पाये गये, जबकि अन्य इलाकों में भी संक्रमण फैल रहा था। कैंडिडा ऑरिस अब एक वैश्विक समस्या बन रहा है। पिछले साल यूरोप में हुए एक सर्वे में पाया गया कि 2020 से 2021 के बीच ऐसे मामलों की संख्या दोगुनी हो गयी थी।

बेहद खतरनाक बीमारी

कैंडिडा ऑरिस एक खतरनाक बीमारी है जो दुनिया के कई हिस्सों में पायी जाती है। यह रोगी को बहुत ज्यादा बीमार कर सकती है। इस बीमारी के कारण ब्लड सर्कुलेशन और सांस के इंफेक्शन हो सकते हैं या घाव भी संक्रमित हो सकते हैं। कैंडिडा ऑरिस से ग्रस्त लोगों में 30 से 60 फीसदी तक की मौत हो सकती है। जिन लोगों में पहले से कोई गंभीर बीमारी है, उनके संक्रमित होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है।

क्लाइमेट चेंज का असर?

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस खतरनाक संक्रमण के इस तरह बढ़ने की एक वजह क्लाइमेट चेंज हो सकती है। इसके वाजिब तर्क भी हैं। दरअसल, इंसान और अन्य स्तनधारी जीवों के शरीर का तापमान इतना होता है कि ज्यादातर फंगस उसे सहन नहीं कर सकते। इसलिए इंसान और कोई भी स्तनधारी जीव फंगस संबंधी अधिकतर संक्रमणों से सुरक्षित माने जाते रहे हैं। लेकिन अब वैज्ञानिकों को लगता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान का असर फंगस पर हो रहा है और वह ज्यादा तापमान में भी सक्रिय बने रह रहे है।

बढ़ते तापमान से इंसानों की प्रतिरोध क्षमता भी प्रभावित हो रही है और लोग जल्दी ही संक्रमणों की चपेट में आने लगे हैं। शोधकर्ताओं को लगता है कैंडिडा ऑरिस के बढ़ने के पीछे भी क्लाइमेट चेंज से बढ़ता तापमान है।

कैंडिडा ऑरिस फंगल इंफेक्शन इंसानों में 14 साल पहले एकाएक उभरा और तीन महाद्वीपों में एक साथ फैला गया। इस संक्रमण के मामले भारत, वेनेजुएला और दक्षिण अफ्रीका में मिले थे।

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