Chinese Propaganda Network in India: अमेरिकी रईस के जरिये भारत में चलाया जा रहा चीनी प्रोपोगेंडा नेटवर्क

Chinese Propaganda Network in India: चीन अपना प्रचार यानी प्रोपोगेंडा नेटवर्क बड़े महीन ढंग से चलाता है। इस नेटवर्क में एक न्यूज़ वेबसाइट, एक अमेरिकी करोड़पति और ढेरों शेल कंपनियां तथा चीनी कम्युनिस्ट पार्टी शामिल हैं।

Update:2023-08-07 16:45 IST
अमेरिकी रईस के जरिये भारत में चलाया जा रहा चीनी प्रोपोगेंडा नेटवर्क: Photo- Social Media

Chinese Propaganda Network in India: चीन अपना प्रचार यानी प्रोपोगेंडा नेटवर्क बड़े महीन ढंग से चलाता है। इस नेटवर्क में एक न्यूज़ वेबसाइट, एक अमेरिकी करोड़पति और ढेरों शेल कंपनियां तथा चीनी कम्युनिस्ट पार्टी शामिल हैं। हाल ही में न्यूयॉर्क टाइम्स की जांच से कार्यकर्ता समूहों, गैर-लाभकारी संगठनों, शेल कंपनियों और चीन और चीनी प्रचार के साथ उनके करीबी संबंधों के जटिल जाल का खुलासा हुआ है।

अमेरिकी रईस की भूमिका

इस नेटवर्क का मुख्य सूत्रधार तकनीकी दिग्गज नेविल रॉय सिंघम को माना जाता है। यह खुलासा ईडी की दो साल पहले हुई जांच के बाद हुआ है। प्रवर्तन निदेशालय की जांच में पाया गया था कि मीडिया प्लेटफॉर्म "न्यूज़क्लिक" को विदेशी फंडिंग में लगभग 38 करोड़ रुपये मिले थे। कथित तौर पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की प्रचार शाखा से जुड़े अमेरिकी करोड़पति तक धन के फ्लो का पता लगाया गया था। भारतीय जनता पार्टी ने प्रवर्तन निदेशालय के निष्कर्षों को उजागर करते हुए कहा था कि विदेशी तत्व भारत-विरोधी ताकतों के साथ सहयोग कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की छवि को खराब करना है।

समाचार साइट को दिए पैसे

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट से पता चलता है कि सिंघम के नेटवर्क ने नई दिल्ली की एक समाचार साइट "न्यूज़क्लिक" को वित्त पोषित किया, जिसने चीनी सरकार की बातों को अपने कवरेज में शामिल किया। जांच से पता चलता है कि कैसे चीन ने अपने रुख को प्रचारित करने और आलोचना से ध्यान भटकाने के लिए कार्यकर्ताओं और गैर सरकारी संगठनों के वैश्विक नेटवर्क का इस्तेमाल किया है।

जांच से पता चलता है कि कैसे नेविल रॉय सिंघम के समूहों ने चीनी समर्थक संदेशों को बढ़ावा देने वाले यूट्यूब वीडियो का निर्माण किया है, जिससे न केवल ऑनलाइन चर्चा बल्कि वास्तविक दुनिया की राजनीति भी प्रभावित हुई है। इन समूहों ने राजनेताओं से संपर्क किया, विरोध प्रदर्शन आयोजित किए और विभिन्न देशों में चुनावों तक को प्रभावित किया है।

सिंघम की गैर-लाभकारी संस्थाओं ने अमेरिकी विदेशी एजेंट पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकरण तक नहीं कराया, जिससे विदेशी ताकतों के साथ उनके संबंधों पर सवाल उठ रहे हैं। रिपोर्ट में इन संगठनों के साथ अपने संबंधों को छिपाने के सिंघम के प्रयासों पर प्रकाश डाला गया है।

हालांकि सिंघम, चीनी सरकार के लिए काम करने से इनकार करता है, लेकिन चीनी प्रचार से उसके संबंध रहस्यमय बने हुए हैं। उसका नेटवर्क शंघाई के प्रचार विभाग द्वारा वित्त पोषित एक शो संचालित करता है, और नेटवर्क के सदस्य छात्रों को "चीन की आवाज़ को दुनिया भर में फैलाने" के लिए शिक्षित करते हैं। कम्युनिस्ट पार्टी की कार्यशालाओं में सिंघम की कथित उपस्थिति से इन संबंधों को बल मिलता है।

न्यूयॉर्क टाइम्स की जांच से पता चला है कि चीन अपने मानवाधिकारों के हनन की अंतरराष्ट्रीय आलोचना को कैसे टालने में सक्षम है और कैसे वैश्विक मामलों पर उसकी बातों को इस नेटवर्क के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय चर्चा में बुना जा रहा है। यह एक विशाल अभियान का हिस्सा है जो चीन का बचाव करता है और उसके प्रचार को आगे बढ़ाता है। इसके केंद्र में एक अमेरिकी करोड़पति, नेविल रॉय सिंघम है जिसे अतिवामपंथी हितों के समाजवादी हितैषी के रूप में जाना जाता है।

भाजपा का आरोप

भाजपा नेता संबित पात्रा ने कहा था कि न्यूज़क्लिक को फंड्स पहुंचाने से जुड़ी सभी अमेरिकी कंपनियाँ एक ही पते पर पंजीकृत हैं। स्पष्ट रूप से पता चलता है कि न्यूज़क्लिक चलाने वाले न केवल नरेंद्र मोदी सरकार को बदनाम करने और अस्थिर करने के लिए अभियान चला रहे थे, बल्कि भारत के खिलाफ साजिश रच रहे थे और अशांति पैदा करने और सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश कर रहे थे।”

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