चीनी जंग को तैैयार: सैनिको ने शुरू की तैयारी, एशिया के सबसे बड़े बेस-कैंप में प्रशिक्षण

चीनी सेना के बारे में कहा जाता है कि इस सेना का प्रशिक्षण काफी ज्यादा खतरनाक तरीके से कराया जाता है। जिससे कि ये किसी भी घातक सेना से टक्कर ले सके।

Update: 2020-06-24 12:23 GMT

नई दिल्ली। चीनी सेना के बारे में कहा जाता है कि इस सेना का प्रशिक्षण काफी ज्यादा खतरनाक तरीके से कराया जाता है। जिससे कि ये किसी भी घातक सेना से टक्कर ले सके। चीन में सेना के जवानों को सालों से चले प्रशिक्षण के तौर पर तैयार किया जाता है। बता दें, पूरे एशिया में चीन का एक सबसे बड़ा प्रशिक्षण केंद्र इनर मंगोलिया में बनाया गया है जहां चीनी सैनिकों को तैयार किया जाता है।

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ऐसा लड़ते लड़ाई जैसी युद्ध में लड़ते

चीन के सैनिकों को तैयार करने के लिए एशिया के सबसे बड़े सैनिक प्रशिक्षण कैंप को जुरिहे कंबाइंड टैक्टिक्स ट्रेनिंग बेस के नाम से जाना जाता है। एशिया के इस बेस कैंप में चीन के सैनिक अलग-अलग गुटों में बंटकर लड़ाई का अभ्यास करते हैं और सैनिक उतनी ही असलियत के साथ लड़ाई लड़ते हैं जितनी किसी युद्ध के समय लड़ी जाती है।

चीन की सेना के बारे में ऐसा कहा जाता है कि चीन बीेते 60 सालों से ऐसा कर रहा है जिससे युद्ध के दौरान अपनी सेना को भारी संख्या में तैनात कर सके। तो चलिए आपको बताते हैं कि चीन के इस ट्रेनिंग बेस में काम किस तरह से होता है।

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भूमिका बनाकर लड़ाई जैसा माहौल

एशिया में चीन का ये प्रशिक्षण बेस लगभग 1,066 वर्ग किलोमीटर इलाके में फैला हुआ है। ये जगह इतनी बड़ी है कि इस पूरे इलाके मे अकेला हांगकांंग समा सकता है।

यहां सैनिकों को घर जैसा वातावरण देने के लिए अस्पताल, पार्क, थिएटर और दुकानें जैसी सुविधाएं दी हुई हैं। और तो और दुश्मन देशों की तरह दिखने वाली कई इमारतें बनी हुई हैं जिसमें भूमिका बनाकर लड़ाई जैसा माहौल भी बनाया जाता है।

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युद्ध जैसे हालातों से निपटने के लिए

इस सेना के कैंप सबसे जरूरी बात यह है कि यहां मैदानों जैसी ही नहीं बल्कि पहाड़ों और रेतीले इलाकों में भी लड़ाई जैसा अभ्यास किया जाता है। इसके पीछे चीन का केवल एक ही उद्देश्य है कि वो अपनी सेना को हर मुश्किल इलाके में लड़ाई करने और युद्ध जैसे हालातों से निपटने के लिए सैनिकों को तैयार करना है।

इस तरह से चीन में नकली लड़ाई को स्ट्राइड कहा जाता है। चीन की इस नकली लड़ाई की एक और खास बात है और वो यह कि इसके जरिए चीन अपनी दुश्मन देशों की सैन्य रणनीति का अध्ययन कर लेता है। साथ ही चीन के दुश्मन देशों की लिस्ट में भारत भी जुड़ा हुआ है।

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