कोरोना की टेस्टिंग का चीनी तरीका कर रहा लोगों को परेशान

चीन के लोग मलद्वार से नमूने लिए जाने का काफी विरोध कर रहे हैं। इसकी एक वजह ये है कि ये टेस्टिंग अन्य लोगों के सामने की जा रही है जो निजता का घोर उल्लंघन होने के अलावा बेहद असहज है।

Update: 2021-01-29 09:27 GMT
कोरोना की टेस्टिंग का चीनी तरीका कर रहा लोगों को परेशान (PC: social media)

लखनऊ: चीन ने कोरोना वायरस की टेस्टिंग का एक नया तरीका लागू किया है जिसकी चीनी नागरिक बहुत भर्त्सना कर रहे हैं। कोरोना वायरस संक्रमण की टेस्टिंग गले और नाक के भीतरी हिस्से के स्वाब से की जाती है लेकिन चीन ने अब दावा किया है कि मलद्वार के स्वाब से कोरोना वायरस का सटीक परीक्षण होता है। अब यही तरीका चीन में लागू किया गया है।

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चीन के लोग मलद्वार से नमूने लिए जाने का काफी विरोध कर रहे हैं

चीन के लोग मलद्वार से नमूने लिए जाने का काफी विरोध कर रहे हैं। इसकी एक वजह ये है कि ये टेस्टिंग अन्य लोगों के सामने की जा रही है जो निजता का घोर उल्लंघन होने के अलावा बेहद असहज है।

नए तरीके की टेस्टिंग सबसे पहले राजधानी बीजिंग में शुरू हुई थी जिसके बाद इसी हफ्ते चीन के कई प्रान्तों में नाक के स्वाब के साथ साथ मलद्वार से भी नमूने लेने का काम शुरू हुआ है। 20 जनवरी को बीजिंग के स्थानीय प्रशासन ने मीडिया को जानकारी दी थी कि 1298 लोगों पर मलद्वार स्वाब टेस्ट किये गए हैं। ये सब उस स्कूल के छात्र, टीचर और अन्य स्टाफ थे जहाँ एक 9 वर्षीय बच्चे को 18 जनवरी को कोरोना संक्रमित पाया गया था। इसके बाद हेबेई, शांदोंग और लिओनिंग प्रान्तों के निवासियों पर भी नयी तरह की टेस्टिंग चालू कर दी गयी। लोगों ने शिकायत की कि इस टेस्टिंग का प्रोसेस बहुत असहज है।

china (PC: social media)

खबर फैलने के बाद ये बड़ी चर्चा का विषय बन गया है

सोशल मीडिया में नयी टेस्टिंग और लोगों की प्रतिक्रिया की खबर फैलने के बाद ये बड़ी चर्चा का विषय बन गया है। इसके बाद सरकारी मीडिया ने प्रचार अभियान शुरू किया और रेखाचित्रों की मदद से लोगों को नई टेस्टिंग की प्रक्रिया को समझाना शुरू कर दिया। सरकारी मीडिया ने कहा कि नए प्रोसेस में मात्र 10 सेकेण्ड लगते हैं। सरकारी मीडिया ने डाक्टरों और मेडिकल एक्सपर्ट्स के हवाले से कहा है कि नाक से नमूने लेने से कहीं सटीक ये नया तरीका है।

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सरकारी मीडिया आउटलेट 'सीसीटीवी' ने बीजिंग के एक अस्पताल के संक्रामक रोग विशेज्ञ के हवाले से लिखा है कि बिना लक्षण वाले या हलके लक्षण वाले मरीजों का फैरिंक्स (गले के भीतर ऊपर की तरफ का हिस्सा) संक्रमण के तीन से पांच दिन के बाद वायरस मुक्त हो जाता है। लेकिन मल के नमूनों में लम्बे समय तक वायरस बना रहता है। इस डॉक्टर ने कहा है कि मलद्वार से नमूने ले कर परीक्षण करने से बीमारी की पता करने की दर बढ़ेगी और फाल्स नेगटिव दर घट जायेगी।

रिपोर्ट- नीलमणि लाल

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