क्या रमजान में Corona Vaccine डालेगा व्यवधान, जानें ग्रैंड मुफ्ती ने क्या कहा

कोरोना के कहर से पूरी दुनिया जूझ रही है। नतीजतन, इस महामारी से बचाव के लिए पूरी दुनिया में वैक्सीनेशन का काम शुरू हो गया है। इसी बीच अगले महीने रमजान शुरू होने वाला है।

Update: 2021-03-22 09:48 GMT
फोटो— सोशल मीडिया

रियाद। कोरोना के कहर से पूरी दुनिया जूझ रही है। नतीजतन, इस महामारी से बचाव के लिए पूरी दुनिया में वैक्सीनेशन का काम शुरू हो गया है। इसी बीच अगले महीने रमजान शुरू होने वाला है। ऐसे में वैक्सीन लगवाने को लेकर मुस्लिमों में कई सवाल उठ रहे हैं। इन लोगों में भ्रम की स्थिति है कि रमजान के दौरान वैक्सीन लगवाने से उनका रोजा खंडित होगा। मुस्लिम समुदाय के बीच उपज रहे इस भ्रम को दूर करने के लिए सऊदी अरब के ग्रैंड मुफ्ती शेख अब्दुल अजीज अल—अशेख ने साफ किया है कि रोजा रखते हुए भी वैक्सीन लगवाने से कोई दिक्कत नहीं है। इससे रोजा टूटने का कोई तर्क नहीं बैठता।

रोजा टूटने की बात गलत

खबरों के मुताबिक, रमजान के पाक महीने से ठीक पहले लोगों में उपज रहे भ्रम पर सऊदी के ग्रैंड मुफ्ती शेख अब्दुल अजीज अल-अशेख ने कहा कि रोजा रखने के दौरान कोरोना वायरस वैक्सीन लगवाने में कुछ भी गलत नहीं है। इससे रोजा अमान्य होने जैसी कोई बात नहीं है। उन्होंने साफ किया कि वैक्‍सीन से रोजा रखने वाले व्‍यक्ति का रोजा नहीं टूटेगा, क्‍योंकि यह फूड और ड्रिंक के रूप में नहीं है। यह एक टीका है, जिसे शरीर के अंदर लगाया जाता है, इसलिए इससे रोजा टूटने की कोई आशंका नहीं है।

अफवाहों को लेकर चिंता

माना जा रहा है कि ग्रैंड मुफ्ती की इस सफाइ्र के बाद मुस्लिमों का भ्रम टूटेगा। क्योंकि रोजा के दौरान वैक्सीन लगवाने को लेकर मस्लिम समुदाय में संशय बना हुआ था। वहीं एक रिपोर्ट के मुताबिक मुस्लिमों में कोरोना वैक्सीन में पोर्क के इस्तेमाल को लेकर भी चिंता बनी हुई है। हालांकि एस्ट्राजेनेका साफ कर चुका है कि कोविड—19 में टीके में पोर्क के इस्तेमाल की बात सरासर गलत है। इस वैक्सीन में पोर्क का इस्तेमाल नहीं किया गया है। बता दें कि 12 या 13 अप्रैल से रमजान का पाक महीना शुरू हो सकता है।

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उलेमा काउंसिल ने वैक्सीन को बताया हराम

वहीं वैक्सीन पर मुसिलमों में भी मतभेद है। इंडोनेशिया ने कोरोना की वैक्शीन में पोर्क के होने का दावा किया था। इतना ही नहीं उलेमा काउंसिल ने अपनी वेबसाइट पर टीके को हराम करार देते हुए इंडोनेशियाई मुसलमानों से इसका इस्तेमाल न करने की बात कही थी। काउंसिल ने दावा किया है कि वैक्सीन बनाने में सुअर के पैनक्रियाज का इसतेमाल किया गया है। इसलिए मुस्लिमों को वैक्सीन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

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