आस्ट्रा जेनेका वैक्सीन से आजीवन सुरक्षा मुमकिन, आजीवन टी सेल्स का कर सकता है निर्माण
Coronavirus: एक नई स्टडी से पता चला है कि आस्ट्रा जेनेका की कोरोना वैक्सीन आजीवन प्रोटेक्शन प्रदान कर सकती है।
Coronavirus: एक नई स्टडी से पता चला है कि आस्ट्रा जेनेका की कोरोना वैक्सीन आजीवन प्रोटेक्शन प्रदान कर सकती है। स्टडी में कहा गया है कि वायरस खत्म करने वाली एन्टीबॉडीज बनाने के अलावा ये वैक्सीन शरीर में ऐसे टी सेल्स बना देती है जो हमेशा वायरस और नए वेरियंट्स को खत्म करते रह सकते हैं।
इसका मतलब ये है कि एन्टीबॉडीज खत्म होने के बाद भी शरीर महत्वपूर्ण टी सेल्स बनाता रह सकता है। ये प्रक्रिया आजीवन भी चल सकती है। ऑक्सफ़ोर्ड और स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिकों ने नेचर पत्रिका में लिखा है कि टी सेल की सुरक्षा आस्ट्रा जेनेका और जॉनसन एंड जॉनसन जैसी एडीनो वायरस वैक्सीनों की एक मुख्य विशेषता है। प्रोफेसर बरखर्ड लुडविग ने कहा है कि एडीनो वायरस मानव जाति के साथ इवॉल्व हुए हैं और इस प्रोसेस में उन्होंने इंसानों के इम्यून सिस्टम के बारे में बहुत सीखा है।
इस विशेषता को टीबी, एचआईवी, हेपेटाइटिस सी और कैंसर के खिलाफ डेवलप की जा रही वैक्सीनों में इस्तेमाल किया जा सकता है। शोधकर्ताओं को पता चला है कि एडीनो वायरस दीर्घजीवी टिश्यू सेल्स में प्रवेश कर सकते हैं और वहां टी सेल्स के ट्रेनिंग ग्राउंड की तरश काम कर सकते हैं।
टी सेल्स इम्यून सेल्स (प्रतिरक्षा कोशिकाएं) होती हैं, जो कोरोना संक्रमित कोशिकाओं की पहचान कर उनका सफाया करती हैं। एंटीबॉडी रोगाणुओं के खिलाफ सुरक्षा मुहैया कराती है जबकि टी सेल्स समेत इम्यून सिस्टम की कोशिकाओं पर वायरस संक्रमित कोशिकाओं का सफाया करने का जिम्मा होता है। कई वायरसों के दोबारा संक्रमण के खिलाफ शरीर की सुरक्षा करने में भी टी सेल्स की अहम भूमिका होती है।
टी सेल्स एक प्रकार के लिम्फोसाइट्स होते हैं जो थाइमस में विकसित होते हैं। उन्हें टी लिम्फोसाइट्स भी कहा जाता है। इन कोशिकाओं को मुख्य रूप से बोन मैरो में उत्पादित किया जाता है। मैच्योरिटी के लिए ये सेल्स थाइमस में चले जाते हैं। किलर टी-सेल्स संक्रमित हो चुकी कोशिकाओं को खत्म करती हैं। जबकि हेल्पर टी-सेल्स का काम शरीर की इम्यूनिटी के साथ समन्वय स्थापित करना होता है।