नए अध्ययन में बड़ा खुलासा: बिना लक्षण वाले मरीज से बात करना भी खतरनाक

अमेरिका में हुए एक नए अध्ययन में बताया गया है कि कोरोना के बिना लक्षणों वाले मरीज से बात करना भी खतरनाक साबित हो सकता है। अध्ययन में बताया गया है कि यदि बिना लक्षणों वाला मरीज जोर से बोल रहा है तो वह एक मिनट में एक लाख से भी ज्यादा ड्रॉपलेट्स मुंह से हवा में छोड़ता है और इस कारण उससे बात करने वाला व्यक्ति कोरोना का शिकार हो सकता है।

Update: 2020-05-18 03:17 GMT

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। कोरोना वायरस को लेकर पूरी दुनिया में तमाम तरीके के अध्ययन किए जा रहे हैं और इन अध्ययनों में चौंकाने वाली बातें निकलकर सामने आ रही हैं। अब अमेरिका में हुए एक नए अध्ययन में बताया गया है कि कोरोना के बिना लक्षणों वाले मरीज से बात करना भी खतरनाक साबित हो सकता है। अध्ययन में बताया गया है कि यदि बिना लक्षणों वाला मरीज जोर से बोल रहा है तो वह एक मिनट में एक लाख से भी ज्यादा ड्रॉपलेट्स मुंह से हवा में छोड़ता है और इस कारण उससे बात करने वाला व्यक्ति कोरोना का शिकार हो सकता है।

स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने किया शोध

अमेरिका की प्रसिद्ध स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने यह अध्ययन किया है। यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने बातचीत के दौरान मुंह से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स का लेजर तकनीक से विश्लेषण करने के बाद इस अध्ययन के नतीजे निकाले हैं। यह अध्ययन प्रोसीडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी आफ साइंसेज ऑफ यूएसए में प्रकाशित हुआ है।

मुंह से निकलते हैं एक लाख ड्रॉपलेट्स

इस अध्ययन से जुड़े शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि व्यक्ति सामान्य तरीके से बातचीत करता है तो ड्रॉपलेट्स कम निकलते हैं, लेकिन जोर से या उत्तेजित होकर बोलने के दौरान ड्रॉपलेट्स की संख्या काफी बढ़ जाती है। जोर से बोलने वाले व्यक्ति के मुंह से एक मिनट में एक लाख ड्रॉपलेट्स हवा में निकलते हैं जिसमें एक हजार कोरोना वायरस हो सकते हैं। यह ड्रॉपलेट्स 14 से 23 मिनट तक हवा में जीवित रहने के बाद निष्क्रिय हो जाते हैं।

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बिना लक्षण वाले मरीज खतरनाक

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि दुनिया में काफी संख्या में मरीज ऐसे हैं जिनमें शुरुआती दौर में कोरोना वायरस नहीं मिल रहे हैं। डब्ल्यूएचओ का यह भी कहना है कि बिना लक्षण वाले मरीज कोरोना वायरस का संक्रमण फैलाने में काफी खतरनाक साबित हो रहे हैं। तमाम देशों में टेस्टिंग के बाद ऐसे मरीजों का पता चल रहा है जिनमें कोरोना के शुरुआती लक्षण नहीं दिखे हैं।

मास्क न पहनने पर बढ़ जाता है खतरा

वैज्ञानिकों का कहना है कि एक मिनट की अवधि में एक व्यक्ति के मुंह से ड्रॉपलेट्स के जरिए एक हजार से ज्यादा वायरस निकलते हैं। यदि ऐसा व्यक्ति बिना मास्क पहने किसी से बात कर रहा हो और सामने वाले व्यक्ति ने भी खुद भी मास्क न पहना हो तो निश्चित रूप से संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

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मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी

वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी विभाग के निदेशक प्रोफेसर जुगल किशोर का कहना है कि बड़ी संख्या में कोरोना से पीड़ित मरीजों में शुरुआती लक्षण नहीं दिखते हैं या देर से दिखाई देते हैं।

ऐसे लोगों को शुरुआत में कोरोना से संक्रमित होने का पता ही नहीं चलता। इस कारण ऐसे लोग सावधानियां भी नहीं बरतते। ऐसे लोगों से बातचीत करना भी दूसरे लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। उनका कहना है कि इस खतरे से बचने का उपाय सिर्फ यही है कि सभी लोगों को अपने मुंह को कपड़े या मास्क से कवर करके रहना चाहिए। इसके साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन करना भी जरूरी है ताकि दूसरों के संक्रमित होने का खतरा न पैदा हो।

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