17 साल की ग्रेटा थनबर्ग 2020 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित, जानिए क्यों?

बीते दिनों दावोस में आयोजित व‌र्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में 17 साल की ग्रेटा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सिर्फ पेड़ लगाना पर्याप्त नहीं है। उनके निशाने पर सीधे तौर पर ट्रंप का भाषण था, जिसमें उन्होंने एक लाख करोड़ पेड़ लगाने की बात कही थी।

Update:2020-02-03 22:01 IST

कोपेनहेगन जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिग जैसे वैश्विक संकट के खिलाफ पुरजोर आवाज उठाने वाली 17 वर्षीय ग्रेटा थनबर्ग को फिर नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को स्वीडन के दो सांसदों ने 2020 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया है। सांसदों ने कहा कि थनबर्ग ने जलवायु संकट उत्सर्जन को कम करने के लिए राजनीतिज्ञों की आंख खोलने और पेरिस समझौते की अनुपालना के लिए कठोर मेहनत की है जो कि एक तरह से शांति के लिए एक पहल है।

 

उनका कहना है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए दुनियाभर के राजनेताओं को झकझोरने का ग्रेटा का प्रयास वैश्विक स्तर पर शांति स्थापना की कोशिश जैसा है। पिछले साल नॉर्वे की संसद के तीन सदस्यों ने ग्रेटा को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया था।

 

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पिछले साल ग्रेटा उस समय अंतरराष्ट्रीय पटल पर उभरी थीं, जब कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने को लेकर ढिलाई बरते जाने पर उन्होंने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में अमेरिका समेत वैश्विक ताकतों की जमकर खिंचाई की थी। सजग पर्यावरण कार्यकर्ता के तौर पर मशहूर ग्रेटा फिलहाल पेरिस जलवायु समझौता लागू कराने को लेकर पूरी तरह समर्पित हैं। ग्रेटा कई देशों में जागरूकता अभियान चला रही हैं। इससे प्रेरित होकर विभिन्न देशों के युवा अपनी सरकार से पर्यावरण केंद्रित कदम उठाने की मांग करने लगे हैं।

बीते दिनों दावोस में आयोजित व‌र्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में 17 साल की ग्रेटा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सिर्फ पेड़ लगाना पर्याप्त नहीं है। उनके निशाने पर सीधे तौर पर ट्रंप का भाषण था, जिसमें उन्होंने एक लाख करोड़ पेड़ लगाने की बात कही थी।

 

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ग्रेटा थनबर्ग

ग्रेटा थनबर्ग ने जलवायु परिवर्तन को लेकर अपने विद्यालय से स्ट्राइक फॉर क्लाइमेट या फ्यूचर फॉर फ्राइडे कैंपेन की शुरुआत की, जो पूरी दुनिया में मशहूर है। इस अभियान के तहत ग्रेटा ने शुक्रवार को विद्यालय जाना छोड़ दिया। वह हर शुक्रवार स्वीडन की संसद के बाहर तख्ती लेकर प्रदर्शन करतीं हुईं दिख जाती हैं। सांसदों के अलावा वह वहां से गुजरने वाले लोगों से दुनिया को बचाने का आग्रह करती हैं। जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को लेकर ग्रेटा दुनियाभर के लोगों के लिए एक आइकन बन चुकी है। वह दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर बड़े-बड़े भाषण देती हैं।

नवंबर 2018 में उनके अभियान में 24 देशों के लगभग 17 हजार छात्रों ने हिस्सा लिया था। मार्च 2019 तक उनके अभियान से 135 देशों के 20 लाख बच्चे जुड़ चुके थे। वहीं पिछले साल अगस्त में यह संख्या बढ़कर 36 लाख हो गई। ग्रेटा थनबर्ग का जन्म तीन जनवरी 2003 को हुआ है। उनकी मां मलेना इर्नमैन ओपेरा सिंगर और पिता स्वांते थनबर्ग अभिनेता हैं। ग्रेटा ने आठ साल की उम्र में पहली बार जलवायु परिवर्तन के बारे में सुना था। 11 साल की उम्र की तक उन्होंने जलवायु परिवर्तन के संकट को समझना शुरू कर दिया था। वह अपनी बात को बेबाक और तथ्य आधारित तरीके से रखने के लिए जानी जाती हैं।

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