Carbon Emission: इन देशों की अगर बड़ी भागीदारी, तो ये दिखा भी रहे उतनी ही ज़िम्मेदारी

Carbon Emission: भारत समेत दुनिया के चारों बड़े उत्सर्जक ज़मीनी स्तर पर एमिशन्स को कम करने के लिए मज़बूती से प्रयासरत हैं।

Written By :  Dr. Seema Javed
Update:2022-11-17 16:49 IST

Carbon Emission (फोटो: सोशल मीडिया )

Carbon Emission: इस बात में दो राय नहीं कि वैश्विक ग्रीनहाउस गैस एमिशन में वृद्धि हुई है, लेकिन पिछले दशक के औसत के मुक़ाबले यह बहुत कम मात्रा में हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का तो मानना है कि रिन्यूबल बिजली उत्पादन और इलेक्ट्रिक वाहनों के तेजी से बढ़ते चलन ने एमिशन की इस वृद्धि के पैमाने को संभवत दो-तिहाई तक कम कर दिया है।

इतना ही नहीं, कई अन्य विश्लेषण बताते हैं कि:

• इस वर्ष की पहली छमाही में देखी गई बिजली की मांग में वृद्धि को अकेले रिन्यूबल एनेर्जी की मदद से पूरा कर लिया गया

• विंड टर्बाइन और सौर पैनल अब दुनिया की बिजली का 10% उत्पन्न करते हैं, और वर्तमान विकास दर से 2030 तक यह आंकड़ा 40% तक पहुँच जाएगा

• गाड़ियों के बाज़ार में इलेक्ट्रिक वाहन बड़ी पैठ बना रहे हैं। नई कारों की बिक्री में एलेक्ट्रिक वाहनों की 9% और बस और दोपहिया और तिपहिया वाहनों की बिक्री में एलेक्ट्रिक की लगभग आधी हिस्सेदारी है

• इलैक्ट्रिक मोबिलिटी में यह अप्रत्याशित तीव्र वृद्धि प्रति दिन दस लाख बैरल से अधिक तेल बचा रही है

• स्वच्छ ऊर्जा में वैश्विक निवेश में वृद्धि जारी है, और यह बिजली उत्पादन में लगभग सभी नए निवेश के लिए जिम्मेदार है।

इसी क्रम में, एक ताज़ा रिपोर्ट की मानें तो भारत समेत दुनिया के चारों बड़े उत्सर्जक ज़मीनी स्तर पर एमिशन्स को कम करने के लिए मज़बूती से प्रयासरत हैं।

इस रिपोर्ट का शीर्षक है 'द बिग फोर: आर मेजर एमिटर्स डाउनप्लेईंग देयर क्लाइमेट एंड क्लीन एनेर्जी प्रोग्रेस'? (क्या प्रमुख उत्सर्जक अपनी जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा प्रगति को कम करके आंक रहे हैं?) और इसे तैयार किया है एनर्जी एंड क्लाइमेट इंटेलिजेंस यूनिट (ईसीआईयू) नाम की एक वैश्विक संस्था ने।

इस रिपोर्ट में प्रस्तुत साक्ष्यों से यह संभावना बनती है कि इन बड़े चार उत्सर्जकों में से कम से कम तीन - चीन, यूरोपीय संघ और भारत – न सिर्फ एक स्वच्छ ऊर्जा अर्थव्यवस्था की दिशा में तेजी से प्रगति देखेंगे, बल्कि वे अपने राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों के सापेक्ष एमिशन में तेज़ी से गिरावट को भी देखेंगे। और उनके द्वारा की गई प्रगति का निश्चित रूप से वैश्विक प्रभाव पड़ेगा जिसके चलते न सिर्फ ग्रीनहाउस गैस एमिशन कम होंगे बल्कि उनकी तेज प्रगति से अन्य सभी देशों के लिए क्लीन एनेर्जी की कीमतों में तेजी से गिरावट भी देखने को मिलेगी।

इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ईसीआईयू में इंटरनेशनल लीड, गैरेथ रेडमंड-किंग, ने कहा, "जिस गति से एनेर्जी ट्रांज़िशन तेजी से हो रहा है, विशेष रूप से वैश्विक अर्थव्यवस्था के इन पावरहाउजेज़ में, उससे यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि कैसे सही नीति और बाजार के ढांचे उस गति से बदलाव ला रहे हैं जो कुछ साल पहले अकल्पनीय था। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण और वैश्विक ऊर्जा संकट ने इस बदलाव को और तेज कर दिया है। फिलहाल जीवाश्म ईंधन के उपयोग में एक वृद्धि देखी जा सकती है मगर यह तय है कि ऐसा कुछ बस एक अल्पकालिक समाधान से अधिक कुछ नहीं हैं।"

एक नज़र इन तीन देशों की कार्यवाई पर

चीन: इस वर्ष 165 GW नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित कर रहा है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 25% अधिक है; 2022 में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री 6 मिलियन होने का अनुमान, जो कि 2021 का दोगुना होगा;

संयुक्त राज्य अमेरिका: सौर और पवन ऊर्जा की तैनाती में चीन के बाद दूसरे नंबर पर, पूर्वानुमान के अनुसार यहाँ 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा से 85% बिजली उत्पन्न हो सकती है; बिक्री के कुछ पूर्वानुमान बताते हैं कि यहाँ 2030 में खरीदी गई सभी नई कारों में से आधी इलेक्ट्रिक हो सकती हैं;

भारत: इस दशक में अक्षय ऊर्जा, विशेष रूप से सौर, का तेजी से रोलआउट भारत के बिजली क्षेत्र को बदल कर रख देगा, यहाँ कोयला उत्पादन तेजी से लाभहीन होता जा रहा है; सभी रुझान बता रहे हैं भारत अपने 2070 के नेट ज़ीरो एमिशन लक्ष्य की ओर जाते हुए दिख रहा है।

ऊर्जा और चक्र अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करने वाले शंघाई स्थित अनुसंधान टैंक, इकोसायकल के कार्यक्रम निदेशक यिक्सिउ वू ने इस पर कहा, "नवीकरणीय ऊर्जा के लिए चीन का समर्थन सुसंगत रहा है और जमीन पर विकसित स्थिति के लिए भी अत्यधिक अनुकूल है। आरई स्थापना उच्च स्तर पर चलती रहती है। चीन और सरकार बिजली बाजार में सुधार को गहरा करने और बिजली व्यवस्था को बदलने के लिए स्मार्ट ग्रिड बनाने के लिए नीतियां पेश कर रहे हैं।

जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों के समर्थन के साथ COP27 जलवायु शिखर सम्मेलन का एक प्रमुख फोकस, विश्लेषण इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि हर जगह स्वच्छ ट्रांज़िशन को तेज करने से महंगे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो जाती है। यह बदले में लागत कम करता है, वैश्विक वित्तीय प्रवाह को बदलता है, और खाद्य आपूर्ति को खतरे में डालने वाले जलवायु प्रभावों को कम करता है। यह सुझाव देता है कि सभी देशों के पास खुद को बिजली देने के लिए पर्याप्त नवीकरणीय क्षमता है, यह ऊर्जा सुरक्षा का एक सार्वभौमिक मार्ग है।

डॉ. सीमा जावेद

पर्यावरणविद & जलवायु परिवर्तन & साफ़ ऊर्जा की कम्युनिकेशन एक्सपर्ट

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