Google Doodle Celebrating Frank Kameny: पहली बार समलैंगिकों की आवाज उठाने वाला 'योद्धा'

Google Doodle celebrates Frank Kameny: गूगल ने आज अपने डूडल से अमेरिकी समलैंगिक एक्टिविस्ट फ्रैंक कामेनी को याद किया है।

Newstrack :  Network
Published By :  Shreya
Update: 2021-06-02 07:13 GMT

गूगल डूडल (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Google Doodle celebrates Frank Kameny: गूगल अक्सर अपने डूडल के जरिए किसी न किसी शख्सियत को याद करता है। आज यानी बुधवार को गूगल (Google) ने अपना डूडल (Doodle) अमेरिकी समलैंगिक एक्टिविस्ट फ्रैंक कामेनी (Frank Kameny) को समर्पित किया है। जिन्हें समलैंगिक अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले शख्स के रूप में याद किया जाता है।

बुधवार को गूगल (Google) ने अपने डूडल (Google Doodle) के जरिए इस अमेरिकी समलैंगिक एक्टिविस्ट को सलाम किया है और उनकी उपलब्धियों व संघषों को याद किया है। बता दें कि फ्रैंक कामेनी खुद एक सामलैंगिक थे। लेकिन उन्होंने अन्य लोगों की तरह अपनी पहचान लाजिमी नहीं समझा, बल्कि अपने हक के लिए कई संघर्ष किए।

1925 में जन्मे थे फ्रैंक कामेनी?

फ्रैंक कामेनी का पूरा नाम फ्रैंकलिन एडवर्ड कामेनी (Franklin Edward Kameny) था। इनका जन्म 1925 को अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में हुआ था। उन्होंने रिचमंड हिल हाई स्कूल, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, क्वींस कॉलेज, सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क जैसे संस्थानों से शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद 1957 में फ्रैंक कामेनी ने आर्मी मैप सर्विस (Army Map Service) के साथ अमेरिकी सरकार के खगोल शास्त्री के रूप में नौकरी की, लेकिन समलैंगिक होने की वजह से उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया।

एडवर्ड कामेनी (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया)

यहीं से शुरू हुआ फ्रैंकलिन एडवर्ड कामेनी (Franklin Edward Kameny) का संघर्ष। बता दें कि उस समय में अमेरिका जैसे कई देशों में सामलैंगिक को समाज समाज पर धब्बा समझा जाता था। लेकिन समाज के बनाए नियमों को मुंह बंद कर मानने की बजाय फ्रैंक ने अपने अधिकारों के लिए लड़ना वाजिब समझा।

सरकार के फैसले को दी थी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

जब फ्रैंक कामेनी को समलैंगिक होने के चलते नौकरी से बाहर किया गया तो उन्होंने सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दे दी। साथ ही 1960 के दशक में पहली बार समलैंगिक अधिकार के समर्थन में प्रदर्शन आयोजित किए। साल 1965 में व्हाइट हाउस और बाद में पेंटागॉन के बाहर विरोध प्रदर्शन हुए। इसके बाद फ्रैंक ने स्टोनवॉल दंगों के बाद समलैंगिक ग्रुप तैयार किया।

फ्रैंक कामेनी (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

फ्रैंक की आखिरकार हुई जीत

कई सालों तक चले संघर्ष के बाद आखिरकार साल 1975 में सिविल सर्विस कमीशन ने LGBTQ कर्मचारियों पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया। बता दें कि फ्रैंक कामेनी (Frank Kameny) को LGBTQ अधिकारों के लिए लड़ने वाले अहम चेहरों में से एक माना जाता है। उन्होंने जीवनभर एक खगोलशास्त्री और समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ता के रूप में काम किया। यही नहीं वो सेकेंड वर्ल्ड वॉर में यूरोप में सेना का हिस्सा भी रहे थे। वहीं, फ्रैंक कामेनी 1971 में अमेरिका कांग्रेस के लिए खड़े होने वाले पहले गे बने।

जून का महीने को मनाया जाता है 'प्राइड मंथ' के तौर पर

फ्रैंक कामेनी (Frank Kameny) के संघर्ष का ही यह नतीजा है कि अब कई देशों में समलैंगिकता को पहचान मिल चुकी है। इसी को देखते हुए जून के महीने को पूरी दुनिया में 'प्राइड मंथ' (Pride Month) के तौर पर मनाया जाता है। इस महीने में समलैंगिक लोगों को खुद पर गर्व महसूस कराने के साथ साथ समलैंगिक अधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता जागरूकता फैलाने के लिए जगह-जगह पर कई तरह के आयोजन कर अपनी बात रखते हैं।

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