कोरोना संकट के बीच फिर शुरू हुआ महाप्रयोग, खुल सकता है ईश्वर से जुड़ा ये रहस्य
18 मई 2020 से ईश्वरीय कण की खोज का महाप्रयोग फिर से शुरू हो गया है। स्विट्जरलैंड के जेनेवा के पास स्थित सेंटर फॉर यूरोपियन रिसर्च इन न्यूक्लियर फिजिक्स (CERN) में लार्ज हैड्रन कोलाइडर में नियंत्रित तरीके से काम शुरू हो गया है। कोरोना वायरस की वजह से दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला बंद हो गई थी
नई दिल्ली: 18 मई 2020 से ईश्वरीय कण की खोज का महाप्रयोग फिर से शुरू हो गया है। स्विट्जरलैंड के जेनेवा के पास स्थित सेंटर फॉर यूरोपियन रिसर्च इन न्यूक्लियर फिजिक्स (CERN) में लार्ज हैड्रन कोलाइडर में नियंत्रित तरीके से काम शुरू हो गया है। कोरोना वायरस की वजह से दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला बंद हो गई थी 100 देशों के एक हजार से ज्यादा वैज्ञानिक अलग-अलग बैच में यहां काम करना शुरू करेंगे। 27 किलोमीटर लंबी सुरंग में यह महाप्रयोग चल रहा है। पहले चरण में ईश्वरीय कण की खोज की दिशा में बड़ी सफलता मिली थी। उसके बाद फरवरी 2013 के महाप्रयोग के बाद इसे अपग्रेडेशन के लिए बंद किया गया था। जो बाद में 2015 में वापस खोला गया। अब वैज्ञानिकों की तैयारी है कि वे गॉड पार्टिकल के बारे में और रहस्यों का खुलासा कर सकें।
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सर्न प्रयोगशाला ने अपने सभी वैज्ञानिकों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ काम करने को कहा है। साथ ही फेस मास्क, पूरी साफ-सफाई के लिए कहा गया है। लैब में घुसने से पहले हर वैज्ञानिक की कोरोना जांच होगी सर्न प्रयोगशाला ने कहा है कि 18 मई तक प्रयोगशाला खोलने के लिए तैयारियां पूरी हो जाएंगी। उसके बाद हम हर दिन 500 वैज्ञानिकों को लैब में आने की अनुमति देंगे। ये प्रक्रिया 12 हफ्तों तक चलेगी। अभी वैज्ञानिकों को सिर्फ 5-6 तरीके के कामों को पूरा करने की अनुमति दी गई है जैसे-जैसे ये 5-6 काम पूरे हो जाएंगे, वैसे ही बाकी वैज्ञानिकों को वापस बुलाया जाएगा। साथ ही अन्य कार्यों को पूरा किया जाएगा।
ईश्वरीय कण ब्रह्मांड की संरचना और निर्माण में शामिल कणों की प्रकृति के अध्ययन के लिए सबसे प्रमाणिक सिद्धांत बिग बैंग थ्योरी है सर्न लैब में ब्रह्मांड की उत्पत्ति के कारणों की खोज की जा रही है। ब्रह्मांड की उत्पति एक महाविस्फोट से हुई है। जिसके बाद यह लगातार फैलता जा रहा है। पहले यह गर्म था। बाद में ठंडा होता गया। इस महाविस्फोट से उत्पन्न पदार्थ एवं उसकी संरचना में शामिल कणों तथा उनके मध्य अलग-अलग परिस्थितियों में लगने वाले बलों का अध्ययन आधुनिक कण भौतिकी का केंद्र है। इस कण का नाम था हिग्स बोसोन।
हिग्स बोसोन आधुनिक कण भौतिकी के अनुसार पदार्थ क्वार्क एवं लेट्रान नाम के आधारभूत कणों से मिलकर बना है। इन कणों के द्रव्यमान के लिए जिम्मेदार कण को हिग्स बोसोन (ईश्वरीय कण) कहते हैं। माना जाता है कि ब्रह्मांड में सभी तारों, ग्रहों और जीवन को अस्तित्व में लाने के लिए महत्वपूर्ण एजेंट हिग्स बोसोन है। हिग्स बोसोना से जुड़ा सिद्धांत 1960 में ब्रिटिश वैज्ञानिक पीटर हीग्स ने दिया था। उन्होंने कहा था कि ब्रह्मांड के अस्तित्व में लाने वाले महाविस्फोट के बाद पदार्थ तेजी से द्रव्यमान ग्रहण करता जा रहा है।
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भारतीय वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस के नाम पर सब-एटॉमिक पार्टिकल बोसोन का नाम रखा गया। अणु के दो प्रमुख सब एटॉमिक हिस्से होते हैं, बोसोन और फर्मियोन। सत्येंद्रनाथ बोस ने अल्बर्ट आइंस्टीन के साथ मिलकर बोस आइंस्टीन सांख्यिक का सिद्धांत दिया था। जिसके बाद इस कण का नाम बोस के नाम पर रखा गया।
हिग्स बोसोन यानी गॉड पार्टिकल है का ईश्वर से संबंध नहीं है। इसे गॉड पार्टिकल इसलिए बुलाया जाता है क्योंकि यह एक कण है जो संसार बनाने और चलाने के लिए जिम्मेदार है मगर इसे किसी ने देखा नहीं है। ठीक वैसे ही जैसे ईश्वर के बारे में धारणा है लेकिन किसी ने देखा नहीं है। इस कारण इसे गॉड पार्टिकल कहते हैं।