आपात भण्डार से तेल रिलीज करेगा भारत, ओपेक की मनमानी रोकने के लिए अमेरिका की योजना

अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बिडेन ने एशियाई देशों से भी आग्रह किया है कि अपने अपने एसपीआर में से तेल निकालें। वहीं, भारत और जापान ऐसा करने के रास्ते खोजने में लग भी गए हैं।

Report :  Neel Mani Lal
Published By :  Deepak Kumar
Update: 2021-11-23 07:44 GMT

आपात भण्डार से तेल रिलीज करेगा भारत, ओपेक की मनमानी रोकने के लिए अमेरिका की योजना। (Social Media)

New Delhi: ओपेक देशों की मनमानी और तेल की बढ़ती कीमतों से परेशान अमेरिका (America), भारत (India), जापान (Japan) और साउथ कोरिया अपने आपात तेल भंडार से तेल रिलीज करेंगे ताकि बढ़ते दामों पर अंकुश लगाया जा सके।

दरअसल, ओपेक देश जानबूझ कर तेल की सप्लाई (oil supply) में हाथ खींचे हुए हैं जिससे डिमांड और सप्लाई का गैप लगातार बना हुआ है और इसके चलते तेल के दाम नीचे नहीं आ रहे हैं। इस स्थिति ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन (US President Joe Biden) को परेशान कर दिया है क्योंकि तेल उत्पादक देश (ओपेक) उनकी बात मान नहीं रहे हैं। उत्पादन बढ़ाने के लिए तेल उत्पादक देशों पर अमेरिका (America) का दबाव लगभग बेकार गया है। ऐसे में उन्होंने भारत (america), चीन (China), जापान (Japan) और दक्षिण कोरिया से साथ आने का आग्रह किया है। अब अमेरिका, भारत और जापान आदि देशों से अपनी बचत से तेल निकालने को कह रहा है। चीन ने तेल रिलीज करने की तैयारी शुरू कर दी है, जापान के प्रधानमंत्री (Japan PM) ने कहा है कि उनका देश जल्द ही इसकी घोषणा करेगा जबकि भारत भी जल्द ऐलान कर सकता है।

ऑर्गनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज (Organization of Petroleum Exporting Countries) और उसके सहयोगी देशों ने 2020 में जो पाबंदियां सप्लाई पर लगाई थीं, वे हटाना शुरू तो किया है लेकिन उसकी रफ्तार उतनी नहीं है जितनी अमेरिका (America) चाहता है इसलिए कीमतें तीन साल के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई हैं।

रूस को मिलाकर बने 'ओपेक प्लस' देशों ने उत्पादन बढ़ाने के अमेरिकी दबाव के आगे झुकने से इनकार कर दिया है। ये संगठन रोजाना चार लाख बैरल उत्पादन बढ़ाने की अपनी योजना पर कायम है। उनका कहना है कि अगर इससे ज्यादा तेजी से उत्पादन बढ़ाया गया तो 2022 में कीमतें बहुत ज्यादा प्रभावित हो सकती हैं और उनकी इकॉनमी पर इसका खराब प्रभाव पड़ेगा।

अब ऐसी संभावना जताई जा रही है कि ऊर्जा कीमतों को कम करने के लिए अमेरिका (America) ने एशियाई देशों के साथ मिलकर अपने आपातकालीन स्टॉक में से कर्ज पर तेल देने की योजना बनाई है। इसकी वजह ये है कि अमेरिका (america) में पेट्रोल-डीजल और अन्य उपभोक्ता वस्तुओं के दाम बहुत ज्यादा बढ़ने से राष्ट्रपति जो बिडेन की लोकप्रियता को खासा धक्का पहुंचा है। इसका असर अगले साल होने वाले कांग्रेस चुनावों में उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी (Democratic Party) के प्रदर्शन पर पड़ सकता है।

इसलिए बिडेन के पास फिलहाल आपातकालीन स्टॉक में से तेल निकालने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। इस आपातकालानी स्टॉक (स्ट्रैटिजिक पेट्रोलियम रिजर्व) के लिए भारत, चीन, दक्षिण कोरिया और जापान के साथ मिलकर अदला-बदली की योजना बनाई है।

क्या है तेल की अदला-बदली

अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बिडेन (US President Joe Biden) ने एशियाई देशों से भी आग्रह किया है कि अपने अपने एसपीआर में से तेल निकालें। भारत और जापान ऐसा करने के रास्ते खोजने में लग भी गए हैं। एशियाई देशों के साथ मिलकर अमेरिका (America) की यह कोशिश तेल की कीमतें करने के अलावा तेल उत्पादक देशों के लिए एक तरह की चेतावनी भी है कि उन्हें बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में कीमतें बढ़ने से रोकने के लिए अतिरिक्त उत्पादन करना चाहिए।

ओपेक देश और रूस दो दिसंबर को उत्पादन नीति पर चर्चा के लिए मिलने वाले हैं। अब तक अमेरिका पेरिस स्थित इंटरनेशनल ऊर्जा एजेंसी (IEA) के साथ मिलकर तेल का उत्पादन और कीमतें स्थिर करने के लिए काम करता रहा है। जापान (Japan) और दक्षिण कोरिया (South Korea) दोनों 30 सदस्यों वाली आईईए का हिस्सा हैं जबकि चीन (China) और भारत (India) सहयोगी देश हैं। एसपीआर की अदला-बदली के तहत तेल कंपनियां भंडारों से तेल ले सकती हैं, लेकिन उन्हें वह तेल ब्याज लौटाना होता है। अमेरिका ने अब तक तीन बार ही एसपीआर से तेल निकालने की इजाजत दी है। 2011 में लीबिया में युद्ध के वक्त, 2005 में कटरीना तूफान के दौरान और 1991 के खाड़ी युद्ध के दौरान ऐसा किया गया था।

रणनीतिक भण्डार

रणनीतिक भण्डार या स्ट्रैटिजिक पेट्रोलियम रिजर्व ऐसे तेल भंडार होते हैं जिन्हें विभिन्न देश आपातकाल में इस्तेमाल के लिए रखते हैं। अमेरिका (America) के पास दुनिया के सबसे बड़े एसपीआर (SPR) हैं जिनके तहत लुईसियाना और टेक्सास में 71.4 करोड़ बैरल तेल रखा जा सकता है। 1975 के तेल संकट के बाद अमेरिका ने ये भंडार बनाए थे। 4 सितंबर तक इन भंडारों में अमेरिका के पास 62.13 करोड़ बैरल तेल था। भारत के पास 5.33 मिलियन टन का रणनीतिक भण्डार है। लेकिन उसके तेल शोधक कारखानों में भी 64.5 दिन के लायक कच्चा तेल रखा जाता है। दुनिया के सबसे बड़े आपातकालीन तेल भंडार (emergency oil reserves) रखने वाले देशों में वेनेजुएला, सऊदी अरब, कनाडा, ईरान, इराक, रूस, कुवैत, यूएई, लीबिया, नाइजीरिया, कजाखस्तान, कतर, चीन, अंगोला, अल्जीरिया और ब्राजील शामिल हैं।

Tags:    

Similar News