Wheat Price: गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध से मचा हड़कंप, यूरोपीय बाजार में आसमान पर पहुंचीं कीमतें
Wheat Export Ban: गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का असर यूरोपीय बाजार पर दिखने लगा है। यूरोपीय बाजार में सोमवार को गेहूं की कीमतों में जबर्दस्त उछाल दर्ज की गई।
Wheat Export Ban: भारत की ओर से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का असर वैश्विक बाजार (Global Market) पर दिखने लगा है। गेहूं और आटे की बेलगाम कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार (Central Government) की ओर से शनिवार को गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक (Ban Wheat Exports) लगा दी गई थी। सरकार के इस फैसले से गेहूं की कीमतें (Wheat Prices) कम होने की उम्मीद है। भारत सरकार की ओर से उठाए गए इस बड़े कदम का असर यूरोपीय बाजार (European Market) पर दिखने लगा है।
यूरोपीय बाजार में सोमवार को गेहूं की कीमतों में जबर्दस्त उछाल दर्ज की गई। सोमवार को यूरोपीय बाजार खुलने के बाद गेहूं की कीमतें 435यूरो के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। रूस की ओर से यूक्रेन के खिलाफ फरवरी में जंग (Russia-Ukraine War) का ऐलान किया गया था और उसके बाद से गेहूं की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। अब भारत की ओर से निर्यात पर प्रतिबंध का भी जबर्दस्त असर दिखने लगा है और इसी कारण कीमतों में भारी उछाल दर्ज किया गया है।
रूस-यूक्रेन की तनातनी का भी असर
रूस और यूक्रेन के बीच तनातनी के समय से ही वैश्विक बाजार में गेहूं की आपूर्ति प्रभावित होने की आशंका गहराने लगी थी। कीमतों में उछाल के पीछे इसे भी कारण माना जा रहा है क्योंकि इन दोनों देशों की ओर से वैश्विक बाजार में करीब 12 फ़ीसदी गेहूं की आपूर्ति (Wheat Supply) की जाती रही है।
वैसे खाद की कमी और खराब फसल को भी वैश्विक स्तर पर महंगाई का बड़ा कारण माना जा रहा है। इसी बीच भारत की ओर से गेहूं के निर्यात पर पूरी तरह रोक लगाने का फैसला ले लिया गया। इसका भी असर दुनिया के बाजारों में दिख रहा है क्योंकि भारत की ओर से काफी मात्रा में गेहूं का निर्यात किया जाता रहा है।
भारत ने भी उठाया बड़ा कदम
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है और शनिवार को भारत की ओर से निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का बड़ा फैसला किया गया। सूत्रों का कहना है कि यह फैसला देश के समग्र खाद्य सुरक्षा प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए किया गया है और गेहूं को मुक्त से प्रतिबंधित एक श्रेणी में डाल दिया गया है। हालांकि सरकार की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया है कि जिन देशों को पहले ही निर्यात की अनुमति दी जा चुकी है, उनका निर्यात नहीं रोका जाएगा।
इन देशों को तय की गई मात्रा के हिसाब से गेहूं का निर्यात जारी रहेगा और इसके साथ ही जरूरतमंद देशों को भी गेहूं का निर्यात करके मदद दी जाएगी। सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि वह गेहूं के उत्पादन और वैश्विक बाजार में आई उछाल के कारण चिंतित है। सरकार का कहना है कि उसकी प्राथमिकता अपने 1.4 बिलियन लोगों की खाद्य सुरक्षा को लेकर है।
विकसित देश भारत के फैसले से नाराज
हालांकि सरकार की ओर से पहले कहा गया था कि उसके पास गेहूं का काफी मात्रा में बफर स्टॉक है और यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा हुए आपूर्ति के संकट को पूरा करने के लिए वह पूरी मदद करने को तैयार है। वैसे अब सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि 13 मई से पहले किए गए निर्यात के समझौतों को पूरा किया जाएगा मगर उसके बाद सरकार की मंजूरी से ही कोई फैसला लिया जा सकता है।
भारत सरकार की ओर से उठाए गए इस कदम की दुनिया के सात विकसित देशों में कड़ी आलोचना की है। इन देशों का कहना है कि ऐसे कदमों से जरूरी चीजों की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी की समस्या और गहरी हो जाएगी।
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