US-IRAN जंग के बीच भारतीय नौसेना ने तैनात किये जंगी जहाज

नौसेना के अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि मौजूदा हालात को देखते हुए जंगी जहाजों और विमानों को तैनात कर दिया गया है। इसके अलावा ओमान की खाड़ी में पहले से तैनात आईएनएस त्रिखंड को भी सतर्क कर दिया गया है। भारतीय कारोबारियों को सुरक्षा का भरोसा दिया जा रहा है।

Update: 2020-01-09 03:53 GMT

नई दिल्ली: अमेरिका-ईरान के बीच मौजूदा हालातों को देखते हुए भारतीय सेना की नौसेना ने भी अपनी कमर कस लिया है। भारतीय सेना ने खाड़ी क्षेत्र में अपने अपने जंगी जहाजों को तैनात करना शुरू कर दिया है। भारत ने समुद्री रास्तों से होने वाले कारोबार और सुरक्षा के तौर पर एहतियातन यह कदम उठाया है, ताकि किसी भी आकस्मिक हालात से समय रहते निपटा जा सके।

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आईएनएस त्रिखंड को भी सतर्क कर दिया गया है

बता दें कि नौसेना के अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि मौजूदा हालात को देखते हुए जंगी जहाजों और विमानों को तैनात कर दिया गया है। इसके अलावा ओमान की खाड़ी में पहले से तैनात आईएनएस त्रिखंड को भी सतर्क कर दिया गया है। भारतीय कारोबारियों को सुरक्षा का भरोसा दिया जा रहा है।

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नौसेना के अधिकारियों ने कहा कि हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है और किसी भी आकस्मिक हालात से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा गया है। नौसेना द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि भारतीय कारोबारी पोतों की आवाजाही सुरक्षित तरीके से हो और समुद्री कारोबार सुरक्षित तरीके से हो, इसलिए यह कदम उठाया गया है। भारतीय नौसेना देश की समुद्री हितों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

ऐसे हुआ अमेरिका-ईरान के बीच तनाव

पछले दिनों अमेरिका ने इराक की राजधानी बगदाद में स्थित अमेरिकी दूतावास पर हुए हमले के बाद अमेरिका ने शुक्रवार को बगदाद एयरपोर्ट पर एक एयर स्ट्राइक की। जिसमें ईरान समर्थित कुर्द बल के प्रमुख मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की मौत हो गई थी ।

इसकी जानकारी मिलते ही ईरान ने अमेरिका पर हमला करके बदला लेने की धमकी दी थी। मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की मौत पर अमेरिका ने जश्न मनाया। वही ईरान शोक में डूबा है। और तीन दिनों के लिए राष्ट्रीय शोक का अवकाश घोषित किया गया है।

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छोटी उम्र में ही कूद पड़े थे युद्ध के मैदान में

कासिम सुलेमानी पूर्वी ईरान के एक गरीब परिवार में पैदा हुए थे। परिवार में रोजगार का कोई खास साधन नहीं था। परिवार का खर्च चलाने के लिए कासिम ने 13 साल की उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया था।

वह बचपन से ही ईरानी नेता खमेनई के भाषणों को काफी ध्यान लगाकर सूना करते थे। फॉरेन पॉलिसी मैगजीन के मुताबिक, 1979 में ईरानी क्रांति के दौरान सुलेमानी ने 6 हफ्तों की ट्रेनिंग लेकर ईरान के अजरबैजान प्रांत में पहली बार जंग लड़ी। ईरान-इराक के युद्ध के बाद सुलेमानी राष्ट्रीय हीरो बनकर उभरे।

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