Iran Hijab Protest: ईरान में बदलाव की बेचैनी: छात्रा का नग्न प्रदर्शन, कट्टरपंथी सत्ता को नई चुनौती

Iran Hijab Protest: हिजाब के विरोध में युवती ने इस्लामिक आज़ाद यूनिवर्सिटी में कपड़े उतार दिए। युवती सिर्फ अंडरवियर पहने विश्वविद्यालय के बाहर एक जगह बैठ गई, फिर सड़क पर चलने लगी।

Report :  Neel Mani Lal
Update:2024-11-05 09:56 IST

Iran Hijab Protest (Pic: Social Media)

Iran Hijab Protest: तेहरान की इस्लामिक आज़ाद यूनिवर्सिटी में एक युवती के विद्रोही तेवर ने देश के कट्टर शासन को हिला दिया है। 2022 से जिस तरह से सख्त इस्लामी कानूनों की खिलाफत चल रही है उसमें ईरान अब एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच गया है। हिजाब और मॉरल पुलिसिंग के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन नई पीढ़ी के बीच बदलाव की मांग को उजागर करते हैं और बुनियादी स्वतंत्रता के लिए कोई भी जोखिम उठाने के लिए तैयार लोगों की बढ़ती हिम्मत को दर्शाते हैं। ईरान के सत्तासीन वर्ग को लोगों के बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ रहा है। अब विरोध का नया लेवल कहां तक जाएगा इस पर दुनिया की निगाहें लगीं हैं।

ये है पूरा मामला

ताजा मामला तेहरान के प्रतिष्ठित इस्लामिक आज़ाद विश्वविद्यालय का है। यहां 2 नवम्बर को एक छात्रा को नैतिकता पुलिस के सदस्यों द्वारा सिर्फ इसलिए परेशान किया गया कि उसने हिजाब कानून के अनुरूप कपड़े नहीं पहने थे। सुरक्षाकर्मियों ने उस युवती का दुपट्टा और कपड़े तक फाड़ दिए। इस उत्पीड़न के विरोध में उस युवती ने सरेआम अपने कपड़े उतार दिए और अकेले अपना विरोध दर्ज किया। अपने कपड़े उतारने के बाद वह युवती सिर्फ अंडरवियर पहने विश्वविद्यालय के बाहर एक जगह बैठ गई, फिर सड़क पर चलने लगी। इसके बाद कुछ लोग उसे एक कार में खींच कर ले गए। बताया जाता है कि गिरफ़्तारी के दौरान उसे पीटा गया।


ईरान में ड्रेस कोड अनिवार्य

ईरान में अनिवार्य ड्रेस कोड के तहत, महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर सिर पर दुपट्टा और ढीले-ढाले कपड़े पहनने चाहिए। यह फुटेज, जिसे सबसे पहले ईरानी छात्र सोशल मीडिया चैनल "अमीर कबीर न्यूज़लेटर" द्वारा पोस्ट किया गया था, को हेंगाव अधिकार ग्रुप और ईरान वायर न्यूज़ वेबसाइट, तथा एमनेस्टी इंटरनेशनल सहित कई फ़ारसी-भाषा आउटलेट द्वारा प्रकाशित किया गया। ईरान की रूढ़िवादी समाचार एजेंसी ने एक रिपोर्ट में इस घटना के बारे में कहा कि छात्रा ने कक्षा में "अनुचित कपड़े" पहने थे और ड्रेस कोड का पालन करने के लिए सुरक्षा गार्डों द्वारा चेतावनी दिए जाने के बाद वह "नग्न" हो गई थी। इसमें कहा गया है कि सुरक्षा गार्डों ने छात्रा से "शांति से" बात की थी।

सोशल मीडिया पर समर्थन

विरोध प्रदर्शन का सोशल मीडिया पर काफी समर्थन किया गया है। एक ईरानी अभिनेत्री कातायूं रियाही ने इंस्टाग्राम पर छात्रा के लिए समर्थन व्यक्त करते हुए एक पोस्ट में लिखा, "हमें एक-दूसरे को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए।" एक प्रमुख ईरानी एक्टिविस्ट होसैन रोनाघी ने एक्स पर एक पोस्ट में छात्रा की बहादुरी की सराहना की और उसके कार्य को "लोगों, खासकर महिलाओं की जान लेने वाले उत्पीड़न के खिलाफ दिल की गहराई से की गई पुकार" करार दिया।

ड्रेस कोड के खिलाफ प्रतिरोध

यूनिवर्सिटी की छात्रा का ये विरोध प्रदर्शन ईरान में सख्त ड्रेस कोड के खिलाफ चल रहे प्रतिरोध का हिस्सा है। 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से यहां हिजाब अनिवार्य है और इसे लागू करने में नैतिकता पुलिस की विवादास्पद भूमिका रही है। नैतिकता पुलिस को आधिकारिक तौर पर गश्त-ए-इरशाद कहा जाता है। ईरानी लोग अब ऐसी नैतिकता पुलिस की वैधता पर सवाल उठा रहे हैं और हिजाब की अनिवार्यता को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं।


2022 में हुए थे देशव्यापी प्रदर्शन

2022 में ईरानी कुर्द महिला 22 वर्षीय महसा अमिनी की हिरासत में मौत के बाद लगभग पूरे ईरान में विरोध प्रदर्शन हुए थे। महसा को ड्रेस कोड के कथित उल्लंघन के लिए गिरफ्तार किया गया था। देशव्यापी विरोध प्रदर्शन में महिलाओं ने अपने सिर के स्कार्फ को उतार फेंका और जलाया। इन प्रदर्शनों के खिलाफ दमनकारी कार्रवाईयों में 551 प्रदर्शनकारियों की मौत हुई और हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया। बाद में अनेक लोगों को फांसी भी दी गई। इस दमनकारी माहौल के बावजूद, विरोध प्रदर्शनों में कमी आने का कोई संकेत नहीं दिखा है। कई लोगों के लिए हिजाब के खिलाफ लड़ाई नागरिक अधिकारों, लैंगिक समानता और सत्तावादी शासन से मुक्ति के लिए व्यापक संघर्ष का प्रतीक बन गई है।

क्या है ईरानी कानून

  • ईरान के सख्त इस्लामी कानून के तहत सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के लिए हिजाब या सिर पर दुपट्टा पहनना अनिवार्य है। इस मॉरल पुलिसिंग को देश की तथाकथित मॉरल पुलिस द्वारा लागू किया जाता है। महिलाओं को मामूली उल्लंघन के लिए भी कठोर दंड दिया जा सकता है।
  • नैतिकता पुलिस या गश्त-ए-इरशाद की स्थापना 2006 में कट्टरपंथी पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद के तहत की गई थी, हालांकि अनिवार्य हिजाब कानून 1983 से ही मौजूद हैं।
  • इस्लामी शरिया कानून की ईरान की व्याख्या के अनुसार शालीनता को लागू करने के लिए, नैतिकता पुलिस सार्वजनिक स्थानों पर गश्त करती है, महिलाओं के पहनावे और इस्लामी ड्रेस कोड के पालन की निगरानी करती है।
  • कानून में कहा गया है कि यौवन से ऊपर की महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर सिर ढकना चाहिए और ढीले कपड़े पहनने चाहिए, लेकिन अक्सर इसे मनमाना तरीके से लागू किया जाता है।
  • नैतिकता पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए लोगों को कभी-कभी "सलाह" प्रोग्रामों के लिए नियत केंद्रों या पुलिस स्टेशनों में ले जाया जाता है, जहाँ उन्हें रिहा होने से पहले "उचित कपड़े" लेने होते हैं।
  • सख्त ड्रेस कोड के बावजूद बहुत सी ईरानी महिलाओं ने टाइट कपड़े पहनकर, अपने बालों को खुला रखकर या अन्य तरीकों से इसका विरोध किया है।

इस्लामी क्रांति से पहले क्या था

इस्लामिक क्रांति से पहले ईरान में हिजाब के प्रति एकदम अलग नजरिया था। ईरान के शाह मोहम्मद रजा पहलवी ने ईरानी समाज को धर्मनिरपेक्ष बनाने के उद्देश्य से व्यापक आधुनिकीकरण अभियान के तहत हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन 1979 की क्रांति के बाद जब अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी सत्ता में आए और इस्लामिक गणराज्य की स्थापना की गई तो ये प्रतिबंध हटा लिया गया। इसके बाद के दौर में, हिजाब न केवल धार्मिकता का प्रतीक बन गया, बल्कि एक कानूनी अनिवार्यता भी बना दिया गया। 1983 तक सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर हर धर्म की सभी महिलाओं के लिए एक राष्ट्रव्यापी अनिवार्य हिजाब कानून लागू कर दिया।


अब आगे क्या होगा

हिजाब का मुद्दा अब ईरान में रिफॉर्म्स के लिए एक व्यापक बेचैनी का प्रतीक है। महिलाएँ, युवा और सिविल राइट्स एक्टिविस्ट सबसे आगे हैं और शासन से बदलाव की माँग कर रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर मानवाधिकार संगठनों, कार्यकर्ताओं और राजनीतिक हस्तियों ने ईरानी सत्ता से निजी स्वतंत्रता का सम्मान करने की मांग की है। बहरहाल, ईरान अब एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। ईरान पहले से ही आंतरिक मुखर विरोध प्रदर्शनों का सामना कर रहा है और अब वह इजरायल के साथ संघर्ष में भी फंसा हुआ है। ईरान की युवा पीढ़ी घिसी पिटी व्यवस्था से ऊबी हुई है और बदलाव की मांग कर रही है। लोग बुनियादी स्वतंत्रता के लिए कोई भी जोखिम उठाने के लिए तैयार दिखते हैं। ईरान के सत्तासीन वर्ग को लोगों के बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ रहा है।  

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