Israel Hezbollah War: लाशों के ढेर, मौत के कुएं में तब्दील मायावी सुरंगें, जानिये शांति की खौफनाक दस्तक देती ये कहानी

Israel Hezbollah War Updates: लेकिन क्या हमास, हिजबुल्लाह और हौथी नेस्तनाबूद हो जाएंगे तो आतंकी-आतंकवाद-कट्टरवाद खत्म हो जाएगा?

Written By :  Yogesh Mishra
Update:2024-10-02 17:07 IST

Israel Hezbollah War Updates: हमारे लिए पश्चिम एशिया और पश्चिमी देशों के लिए मिडिल ईस्ट। इस इलाके की बात जब भी होती है, उसमें ख़ूनखच्चर, आतंकवाद युद्ध, कट्टरता के एलिमेंट जरूर शामिल होते हैं। शायद बहुत पहले कभी सुकून, शांति और मेलमिलाप रहा हो लेकिन उसे यादों के गलियारे में बहुत ढूंढना पड़ेगा। तब जाकर शायद ही मिल पाये। भले ही पहले कभी खजूर के दरख़्त और रेगिस्तान की छवि बनती होगी लेकिन अब जो छवि बनती है वो डराती ज्यादा है।

सच्चाई ये है कि आज पश्चिम एशिया बेहद खराब स्थिति में है। बीते एक साल से तो बेहिसाब जानें जा चुकीं हैं। बेशुमार नुकसान हुआ है। ये सिलसिला घटने या कम होने की बजाए आगे ही बढ़ रहा है। इसका अंजाम क्या होगा, ये कल्पना ही डराती है क्योंकि लड़ाइयों का अंजाम कभी अच्छा नहीं होता। किसी ने सही ही कहा है कि युद्ध में कोई विजेता नहीं होता।

विडंबना ही है कि पश्चिम एशिया में चल रही लड़ाई का एक मकसद शांति है। मकसद विचारधारा और धर्म से नफरत भी है और मकसद जमीन भी है। सभी पक्ष इन्हीं के लिए मरे खपे जा रहे हैं, आज से नहीं बल्कि कई कई दशकों से। ईरान, फलस्तीन, यमन, लेबनान - ये सब के सब इजरायल के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। किसी जमाने में सीरिया जॉर्डन, मिस्र तथा बाकी अरब देश भी इजरायल से दुश्मनी गांठे हुए थे, कई युद्ध भी लड़े लेकिन अंत में उनको अक्ल आ गई कि ये लड़ाई फिजूल है और उस तरफ ध्यान लगाने की बजाए अपने मुल्क के अंदरूनी हालातों, तरक्की और खुशहाली पर ध्यान देना चाहिए। इसीलिए मुट्ठी भर मुल्कों को छोड़ कर बाकी सब चुपचाप अपने काम में लग गए और आज भी लगे हैं।


लेकिन इस्लामी जगत की चौधराहट के लिए बेताब ईरान को अपने काम से काम रखना रास नहीं आया और वह हिजबुल्लाह और यमनी हौथी जैसे विध्वंसकारी गुटों को पालने पोसने में ही दिमाग लगाए बैठा रहा है। इसी चौधराहट के चलते फलस्तीनी आतंकी गुट हमास को भी वह खुल्लमखुल्ला सपोर्ट करने लगा। वैसे तो तमाम इस्लामी देश हमास को सपोर्ट कर रहे थे । लेकिन वो ज्यादातर जुबानी जमा खर्च तक ही सीमित था। ईरान तो बाजरिया अपने पिट्ठू हिजबुल्लाह, हमास को लड़ाई के साजोसामान तक देने लगा। कहां शिया ईरान और हिजबुल्लाह और कहां सुन्नी फलस्तीनी हमास। लेकिन ख़ूनखच्चर में दोनों एक हो गए। इनका मन इतना बढ़ गया कि ठीक साल भर पहले इजरायल के भीतर हमास आतंकी घुस गए और नरसंहार कर डाला।


ये किसका दिमाग था, किसकी रणनीति थी और इसका अंजाम क्या सोचा गया था, ये तो पता चल नहीं पाया है । लेकिन वास्तविक अंजाम ये हुआ कि इजरायल ने जो बदला लिया उसमें गाज़ा तबाह हो गया। हमास वालों ने इजरायल में घुस कर करीब 1200 लोगों को मार डाला था । लेकिन इजरायली कार्रवाई में करीब 45 हजार लोग खत्म हो चुके हैं, सैकड़ों वर्ग किलोमीटर घने इलाके अब मलबे के ढेर हैं, हमास की मायावी सुरंगे उन्हीं के लिए मौत के कुएं साबित हुईं हैं। और अभी युद्ध खत्म नहीं हुआ है बल्कि जारी है।


बात रही लेबनान के हिजबुल्लाह की तो वो हमास के सपोर्ट में बिलावजह गोलाबारी करने लगा। यही सपोर्ट यमन के हौथी आतंकी दिखाने लगे। इन सबों को मजबूर और निर्दोष लोगों की बजाए इस्लाम की ज्यादा फिक्र होने लगी और इनके पीछे ईरान का हाथ जो था।

लेकिन जो हुआ वह इनमें से किसी ने अंदाज़ा लगाया नहीं होगा। दुनिया चिल्लाती रह गई, अमेरिका घुड़की देता रहा गया, संयुक्त राष्ट्र अमन की दुहाई देते थक गया । लेकिन इजरायल ने गाज़ा से लेकर बेरूत और यमन तक ऐसा कहर बरपाया कि हमास और हिजबुल्लाह के सरगना जो जमीन के सैकड़ों फुट नीचे छिपे हुए थे, चुन चुन कर मार दिए गए। यमनी हौथी आतंकियों को बमों से तबाह कर दिया।और तो और पेजर - वाकी टाकी में टारगेटेड धमाके करके भविष्य की लड़ाइयों के लिए एक नई नजीर बना दी।


लेकिन क्या हमास, हिजबुल्लाह और हौथी नेस्तनाबूद हो जाएंगे तो आतंकी-आतंकवाद - कट्टरवाद खत्म हो जाएगा? शायद नहीं। क्योंकि इनकी जड़ में एक विचारधारा है जिसकी जड़ें बहुत गहरे फैली हैं। हमास हिजबुल्लाह तो प्राचीन दंतकथाओं के दैत्य हाइड्रा की तरह हैं जिसका एक सिर काटो तो दो नए सिर पैदा हो जाते थे। आज के जमाने के हाइड्रा के पोषक कई हैं। इनका ऑपेरशन दुनियाभर में बच्चों और युवाओं को टारगेट करने से चलता है। जब पढ़ाई लिखाई के नाम पर नफरती विचारधारा की घुट्टी पिलाई जाएगी तो हमास हिजबुल्लाह को पैदल सैनिकों और कमांडरों की क्या कमी रहेगी। जब स्कूलों - अस्पतालों के तहखानों में आतंक के जखीरे रखने की इजाजत खुद आम लोग देते रहेंगे तो उनसे क्या उम्मीद रखनी चाहिए। जब बच्चों को विज्ञान की बजाए रूढ़िवादी, कट्टरपंथी, ब्रेनवाश करने वाली शिक्षा दी जाएगी तो आगे का हश्र साफ है।

इस हाइड्रा को कुचलने के लिए बहुत कुछ करना होगा। कुछ देशों ने किया भी है लेकिन ज्यादातर देशों ने जरूरत से ज्यादा उदार होने के चलते हाइड्रा को पोषित ही किया है जिसका अंजाम वे खुद भी भुगत रहे हैं।

बहरहाल, आज जो लड़ाइयां दिन ब दिन उग्र होती जा रही हैं उसके बुरे नतीजे वो भी भुगतेंगे जो इसमें शामिल नहीं हैं। पश्चिम एशिया की आग कब और कहां और फैल जाए, कुछ पता नहीं। ये रास्ता खतरनाक है और मंजिल विनाशकारी।इसलिए जो भी लोग दुनिया के किसी भी कोने में हिज़्बुल्लाह, हमास और हैथी के आतंकवादियों के मारे जाने पर प्रदर्शन कर रहे है, वे भी कम दोषी नहीं ठहराये जायेंगे। इन्हें पल्लवित पोषित करने का पाप भी इन सब को भुगतना पड़ेगा।

(लेखक पत्रकार हैं।) 

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