इजरायल के PM की किस्मत दांव पर: विरोध में सड़क पर उतरे लोग, दो दिन बाद चुनाव
एक बार फिर इजरायल में राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है। दो साल में चौथी बार होने वाले इस संसदीय चुनाव में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के विरोध में हजारों लोग सड़क पर उतरे। बेंजामिन नेतान्याहू का इस बार राजनीतिक भविष्य..
नई दिल्लीः एक बार फिर इजरायल में राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है। दो साल में चौथी बार होने वाले इस संसदीय चुनाव में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के विरोध में हजारों लोग सड़क पर उतरे। बेंजामिन नेतान्याहू का इस बार राजनीतिक भविष्य दांव पर है। माना जा रहा है कि बेंजामिन के विरोध में प्रर्दशनकारियों ने सड़क पर झंड़ा लहराया। आप को बता दें कि नेतन्याहू के पूर्व सहयोगी प्रचार में उनके खिलाफ बोल रहे हैं साथ ही नेतन्याहू के उपनाम का उपयोग करते हुए 'बीबी घर जाओ' के नारे लगाए।
लॉकडाउन के चलते मंदी, महंगाई और बेरोजगारी को लेकर लोगों में रोषः
आप को बता दें कि कोरोना वायरल को कारण सभी देशों को आर्थिका तंगी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं इजरायल में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के चलते मंदी, महंगाई और बेरोजगारी समेत कई मुद्दों को लेकर लोगों में आक्रोश है। इन सभी समस्याओं को लेकर जनता सरकार के विरोध में सड़कों पर उतर गई। जारी विरोध प्रदर्शन के 39वें हफ्तें में शनिवार को हजारों की संख्या में लोग नेतन्याहू के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
चौथी बार 23 मार्च को होगा चुनावः
सबसे अहम बात यह है कि इजरायल में दो साल से भी कम समय में चौथी बार चुनाव होने जा रहा है। इस चुनाव की तारीख 23 मार्च है। जिसमें प्रधानमंत्री बेंजामिल नेतन्याहू का भविष्य दांव पर लगा है। इस बार के चुनाव में प्रधानमंत्री नेतन्याहू की किस्मत छोटे दलों के हाथों में है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि नेतान्याहू को इस बार सत्ता मिलना मुश्किल है।
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इस चुनाव को प्रधानमंत्री नेतन्याहू पर एक जनमत संग्रह के तौर पर भी देखा जा रहा है। उन्होंने दुनिया के सबसे सफल कोरोना वायरस टीकाकरण अभियान में से एक का नेतृत्व किया है। हालांकि, नेतन्याहू पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप उनकी छवि को धूमिल करने का काम कर सकते हैं।
क्या है इस्राइली मीडिया संस्थानों के पूर्वानुमानः
बताते चले कि इस्राइली मीडिया संस्थानों के पूर्वानुमानों लगाया है जिसमें यह बताया गया है कि नेतन्याहू की लिकुड पार्टी 120 सदस्यीय संसद में 30 सीटें जीत सकती है, लेकिन उसके गठबंधन सहयोगियों के महज 50 सीटें जीतने का अनुमान है।
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वहीं दूसरी ओर वैचारिक रूप से अलग दल जो नेतन्याहू को पद से हटाना चाहते हैं। उन सबके पास कुल मिलाकर 56-60 सीटें आ सकती हैं, जो बहुमत से कुछ ही कम है। नेतन्याहू विरोधी सबसे बड़ा दल येश अतिद पार्टी 20 सीटें जीत सकता है।
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