काम की खबर: यहां अमीर बूढ़ों को चाहिए वारिस, जल्दी करें मौका कहीं छूट ना जाये
Japan Crisis: जापान की आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है। वहां का वर्कफोर्स में जबरदस्त गिरावट आई है। जिसे लेकर जापान के नीति निर्माता परेशान हैं। देश में हालात इस कदर खराब हो गए हैं कि बिजनेस को चलाने वाले लोग नहीं मिल रहे हैं।
Japan Crisis: अमेरिका और चीन के बाद जापान दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। दूसरे विश्व युद्ध की विभीषिका झेलने के बावजूद जापान जिस तरह अपने पैरों पर खड़ा हुआ, वो आज भी पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है। आर्थिक संपन्नता का प्रतीक बन चुका इन दिनों एक अलग तरह की समस्या का सामना कर रहा है। जापान की आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है। वहां का वर्कफोर्स में जबरदस्त गिरावट आई है। जिसे लेकर जापान के नीति निर्माता परेशान हैं। देश में हालात इस कदर खराब हो गए हैं कि बिजनेस को चलाने वाले लोग नहीं मिल रहे हैं।
जापान में विरासत संभालने वालों की कमी
आर्थिक समृद्धि से भरपूर जापान में विरासत संभालने वालों की भयानक कमी हो गई है। कारोबारी बूढे हो चुके हैं और वह अपना व्यापार किसी और को सौंप कर जीनव का बाकी पल आराम से बिताना चाहते हैं।
लेकिन वह ऐसा चाहकर भी नहीं कर पा रहे। क्योंकि कई कारोबारियों के बच्चे नहीं हैं, जिनके हैं भी वे अपने पिता के बिजनेस में दिलचस्पी नहीं रखते। इन बिजनेस में कर्मचारी भी उम्र के पांचवे या छठे दशक में हैं। इसलिए वे भी बिजनेस टेकओवर नहीं कर सकते।
जापानी अर्थव्यवस्था को लग सकता है झटका
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जापान के कारोबारियों की औसत उम्र 62 साल हो गई है। वे अब रिटायर होना चाहते हैं। लेकिन उन्हें अपना विरासत सौंपने के लिए कोई योग्य व्यक्ति नहीं मिल रहा।
बगैर वारिस के जापान के 6 लाख से अधिक कारोबार अगले तीन साल में बंद होने के कगार पर हैं। ये सभी कारोबार मुनाफे में चल रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक, अगर ये कंपनियां बंद होती हैं तो 65 लाख नौकरियां तो जाएगी ही साथ ही अर्थव्यवस्था को 14 लाख करोड़ रूपये का नुकसान हो सकता है।
मुफ्त में सौंपना चाहते हैं कारोबार
कई वृद्ध बिजनेसमैन अपना जमा-जमाया कारोबार मुफ्त में सौंपना चाहते हैं, लेकिन कोई इसे लेने के लिए आगे नहीं आ रहा। जिन लोगों ने अपना कारोबार को खड़ा करने में अपनी पूरी जिंदगी लगा दी, वो इसे बंद होते नहीं देखना चाहते।
उनकी इच्छा ये भी है कि किसी अजनबी को बेचने की बजाय जाना पहचाना शख्स ही इसे संभाल ले। जापान के वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक, 2022 में 44 हजार कारोबार बंद हो गए। वहीं, 2021 में 2413 बिजनेस को ही खरीदार मिल सके।
वारिस मुहैया कराने के लिए खुली कंपनियां
जापान में ऐसे कारोबारों की संख्या 60 प्रतिशत के करीब है, जिसका भविष्य अंधेरे है। कारोबार के मालिक के जाने के बाद उसकी बागडोर किसके हाथों में होगी ये कहना कठिन है। ऐसे में इस क्षेत्र में कई सारे स्टार्टअप्स खुल गए हैं, जो ऐसे बूढे कारोबारियों को वारिस ढूंढने में मदद कर रहे हैं, जिन्हें वो अपना बिजनेस सौंपना चाहते हैं।
इसके अलावा सरकार भी बूढ़े कारोबारियों से जल्द रिटायर न होने की अपील कर रही है। सरकार ने भी देशभर में ऐसे कई सर्विस सेंटर खोले हैं, जो इन कारोबारियों को अपना वारिस ढूंढने में मदद कर रही है। सरकार बंद होने के कगार पर पहुंचके बिजनेस को खरीदने वालों को सब्सिडी के अलावा टैक्स में छूट दे रही है।
जापान की समस्याएं
जापान की मूल आबादी तेजी से घट रही है। साल 2010 से 2015 के बीच ही जापान की आबादी में करीब 10 लाख की गिरावट हो चुकी है। 2018 में आए एक आंकड़े के मुताबिक, जापान में साल 2017 में दो लाख 70 हजार आबादी घट गई।
देश में 65 साल से ज्यादा उम्र वालों की संख्या 27 फीसदी को छू गई है। 20250 में यह 40 फीसदी तक पहुंच जाएगी। जापान में ऐसे नौकरियों की भरमार है, जिसे बूढ़े जापानी कर नहीं सकते और युवा जापानी करना नहीं चाहते। साल 2018 के आंकड़े के मुताबिक, जापान में प्रति 100 कामगारों पर 160 नौकरियां हैं।