'गुनाहों के देवता' का सीक्रेट ऑफिस, यहां दफन हैं कई राज, जानें इसके बारें में
अमेरिकी इंटेलिजेंस का दावा है कि फिलहाल किम के न दिखाने देने के दौरान उनकी बहन किम यो-जोंग इस सीक्रेट दफ्तर को देख रही हैं। इस पर किम जोंग से पहले उनके पिता किम जोंग इल का नियंत्रण रहा है।
नई दिल्ली: किम जोंग, ये नाम आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उत्तर कोरिया में आज बच्चे-बच्चे की जुबान पर ये नाम है। इसके पीछे की वजह उत्तर कोरिया के शासक की तानाशाही बताई जा रही है। हाल ही में खबरें ऐसी भी आई थी कि सैन्य शासक किम जोंग उन की मौत हो गई है। अभी तक कोरिया ने भी न इसकी पुष्टि की है और न ही इसे खारिज किया है।
इस बीच इंटेलिजेंस एजेंसियों को किम जोंग के एक सीक्रेट ऑफिस के बारें में पता चला है। प्योंगयांग के कोरियन वर्कर्स पार्टी की बिल्डिंग की तीसरी मंजिल पर ये सीक्रेट ऑफिस है।
अमेरिकी इंटेलिजेंस का दावा है कि फिलहाल किम के न दिखाने देने के दौरान उनकी बहन किम यो-जोंग इस सीक्रेट दफ्तर को देख रही हैं।
इस पर किम जोंग से पहले उनके पिता किम जोंग इल का नियंत्रण रहा है।
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परिवार के करीबियों को ही आने की इजाजत
खुफिया एजेंसियों का मानना है कि इस ऑफिस तक केवल किम के करीबी लोगों की ही पहुंच है जो देश में आ रहे तमाम वैध और अवैध पैसों और सामानों का लेखा-जोखा रखते हैं और पैसों को किम परिवार के बैंक खातों तक पहुंचाते हैं।
ऑफिस 39 से ही लगा हुआ ऑफिस 38 भी है। ऑफिस 39 में बाहर से आने वाली रकम और सारे वैध-अवैध तरीकों से आए कीमती चीजों की निगरानी की जाती है। माना जाता है कि इस दफ्तर से खास किम परिवार के ही बैंक खातों को देखा जाता है।
खुफिया संस्थाओं का कहना है कि यहां तस्करी से भी काफी पैसे आते हैं जिनपर किम परिवार का सीधा नियंत्रण होता है। जानकारी ऐसी भी निकलकर सामने आई है कि इस ऑफिस साल 1970 में इसे किम के दादा Kim Il-Sung ने बनाया था।
इसकी संदिग्ध गतिविधियों की हल्की-फुल्की झलक तब मिली, जब 30 अगस्त 2010 में उत्तर कोरिया ने अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में दक्षिण कोरिया से लड़ाई शुरू कर दी।तब अमेरिका के तत्कालीन प्रेसिडेंट बराक ओबामा ने एक ऑर्डर पर दस्तखत किए।
साल 2014 के बाद के किम की बहन देख रही काम
इस ऑर्डर में दिखाई दे रहा था कि उत्तर कोरिया के पैसों का बड़ा स्त्रोत अवैध है। इसमें मनी लॉड्रिंग, मुद्रा की जालसाजी और मादक पदार्थों की तस्करी शामिल है। इसमें ऑफिस 39 का जिक्र था।
माना जा रहा है कि किम की बहन किम यो जोंग ने साल 2014 के बाद से ऑफिस 39 को देखने में काफी अहम भूमिका निभाई है।यो जोंग यहीं से देश की मीडिया को साधने और दूसरे देशों के सामने अपनी जानकारी लीक होने से बचाए रखने के लिए रणनीति भी बनाती हैं।
यहां तक कि यो जोंग के पति के भी इस दफ्तर से ताल्लुक बताए जाते हैं। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक यो जोंग की शादी उत्तर कोरिया के बड़े राजनयिक के बेटे Choe Song से हो चुकी है।Choe Song को भी ऑफिस 39 में ही फाइनेंस और एकाउंटिंग विभाग में बड़ा काम सौंपा गया है।
खुफिया एजेंसियों का दावा है कि यहीं से 2 इटालियन नौकाओं की तस्करी को सहमति मिली थी।15 मिलियन डॉलर से भी ज्यादा कीमत की इन नौकाओं की तस्करी हालांकि असफल रही। इसपर धोखाधड़ी के कई आरोप लगते रहे हैं।
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वियाग्रा, अफीम और दूसरे मादक पदार्थों की तस्करी
और माना जा रहा है कि इसी ऑफिस से वियाग्रा, अफीम और दूसरे मादक पदार्थों की तस्करी को अनुमति मिलती है और वे पैसे यहीं से आते-जाते हैं।यहां तक कि ऑफिस 39 के अपने खेत भी हैं, जहां अफीम की खेती होती है।
माना जाता है कि ऑफिस 39 के ये सारे अवैध काम देश की दो ही संस्थाओं से करवाया जाता है- Korea Daesong Bank और Korea Daesong Trading Co।साल 2010 में बराक ओबामा के दौरान इस देश में प्रतिबंध लगाए जाने पर काम कर रहे आतंकवाद और वित्तीय खुफिया विभाग के तत्कालीन सेक्रेटरी Stuart Levey ने इस संबंध में कई प्रमाण दिए थे, हालांकि अब तक ये सामने नहीं लाए गए हैं।
देश के राजदूत दूसरे देशों की मदद से इन अवैध और वैध व्यापारिक सौदों के जरिए पैसे उगाहते हैं।इसमें खराब क्वालिटी वाला सोना बेचने से लेकर उत्तर कोरिया में उगे लो क्वालिटी मशरूम की बिक्री भी शामिल है।
बिक्री से आए पैसों को डिप्लोमेटिक पाउच में भरकर देश भेजा जाता है।डिप्लोमेटिक सील होने के कारण इसे विदेशी जांच के दौरान भी खोला नहीं जाता है।
अवैध सामानों और पैसों से किम के वफादरों को किया जाता है पुरस्कृत
इस दफ्तर के जरिए आए अवैध सामानों और पैसों से किम के वफादरों को पुरस्कृत किया जाता है।जैसे एक दावे के अनुसार साल 2008 में किम जोंग इल के जन्मदिन पर 200 से ज्यादा इर्पोटेड कारें आईं।
दक्षिण कोरिया के एक अखबार Chosun Ilbo के मुताबिक ये कारें चीन की यालू नदी से होते हुए नॉर्थ कोरिया लाई गईं ताकि अपने लोगों को इनाम बांटा जा सके।वैसे माना जा रहा है कि बीते सालों में लगातार प्रतिबंधों और खुफिया एजेंसियों की नजर के कारण ये दफ्तर उतनी अच्छी तरह से काम नहीं कर पा रहा है।
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