Myanmar : म्यांमार में सेना की कार्रवाई से भाग कर मिजोरम में घुसे हजारों लोग

Myanmar : म्यांमार में बीते 1 फरवरी को सेना द्वारा किये गए तख्ता पलट के बाद से देश में उथल पुथल मची हुई है। म्यांमार में एक साल के लिए आपातकाल की घोषणा की गई है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-09-22 17:26 GMT

 म्यांमार सेना ने कई गांवों में बमबारी की (फोटो- सोशल मीडिया)

Myanmar : म्यांमार से लगी भारतीय सीमा पर इन दिनों फिर काफी हलचल है। म्यांमार में विद्रोहियों और सेना के बीच संघर्ष के चलते सीमावर्ती गांवों से हजारों लोग भारत और अन्य जगहों पर भाग गए हैं। बताया जाता है कि म्यांमार सेना ने कई गांवों में बमबारी की है, जिसे जगह जगह आग से बिल्डिंग खाक हो गईं हैं।

म्यांमार के शिन स्टेट के थान्तलांग में करीब 10 हजार लोग रहते हैं , जिनमें से अधिकांश पलायन कर गए हैं। मिज़ोरम में ही पिछले हफ्ते करीब साढ़े पांच हजार म्यांमार से आए हैं। ये लोग सेना की कार्रवाई से बचने के लिए भागे थे।

जगह-जगह हड़ताल प्रदर्शन सशस्त्र विरोध

म्यांमार में बीते 1 फरवरी को सेना द्वारा किये गए तख्ता पलट के बाद से देश में उथल पुथल मची हुई है। म्यांमार में एक साल के लिए आपातकाल की घोषणा की गई है। राष्ट्रपति यू विन मिंट और स्टेट काउंसलर आंग सान सू की को बीते 1 फरवरी को सेना द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद सत्ता वरिष्ठ जनरल मिन आंग हलिंग को हस्तांतरित कर दी गई है।

म्यांमार में सेना के विरोध में जगह जगह हड़ताल, प्रदर्शन और सशस्त्र विरोध तक हो रहे हैं। थान्तलांग में पिछले हफ्ते विद्रोहियों और सेना के बीच लड़ाई में 20 मकानों को आग लगा दी गई। बताया जाता है कि आग बुझाने की कोशिश कर रहे एक ईसाई धर्मगुरु को सैनिकों ने गोली मार दी थी।

 म्यांमार सेना ने कई गांवों में बमबारी की (फोटो- सोशल मीडिया)

सरकार द्वारा नियंत्रित मीडिया के अनुसार 100 आतंकवादियों ने सैनिकों पर हमला किया था, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच गोलीबारी हुई। विद्रोहियों के एक नेता के अनुसार सेना के एक ठिकाने पर हमले के बाद विद्रोहियों पर हवाई हमले किये जा रहे हैं।

शरणार्थियों के प्रति सहानुभूति

भारत-म्यांमार सीमा से लगे मिज़ोरम के चम्फाई जिले में हजारों शरणार्थियों को शरण दी गई है। इसके बाद आइजोल जिला है , जहां 1,700 शरणार्थियों ने शरण ली है। सीमावर्ती राज्य में शरण लेने वालों में से अधिकांश चिन समुदाय के हैं, जिन्हें ''जो' समुदाय के रूप में भी जाना जाता है, ये मिजोरम के मिजो के समान वंश, जातीयता और संस्कृति को साझा करते हैं।

मिजोरम के 6 जिले - चम्फाई, सियाहा, लवंगतलाई, सेरछिप, हनाहथियाल और सैतुअल - म्यांमार के साथ 510 किलोमीटर की बिना बाड़ वाली सीमा साझा करते हैं। मिज़ोरम सरकार म्यांमार से आये शरणार्थियों के प्रति सहानुभूति रखती है।

राज्य सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल पहले ही उपराष्ट्रपति, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री और गृह सचिव से दिल्ली में मिल चुका है। इनका कहना था कि मिजोरम में शरण लिए हुए म्यांमार के नागरिकों को जबरदस्ती वापस न धकेला जाए।

गृह मंत्रालय के अनुसार, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन के पास किसी भी विदेशी को शरणार्थी का दर्जा देने की कोई शक्ति नहीं है। भारत 1951 के संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सम्मेलन और इसके 1967 के प्रोटोकॉल का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है।

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