Artemis Moon Mission: नासा का आर्टेमिस-1 लॉन्च, जानें इस मून मिशन के बारे में सबकुछ

Artemis Moon Mission Launch: अमेरिकी स्पेस एजेंसी (नासा) ने आधी सदी यानी 50 साल बाद चंद्रमा पर एक रॉकेट भेजा है। आर्टेमिस -1 नामक इस रॉकेट ने फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से भारतीय समय के मुताबिक 12.17 बजे उड़ान भरी।

Update: 2022-11-16 09:49 GMT

Artemis Moon Mission Launch (Social Media)

Artemis Moon Mission Launch: अमेरिकी स्पेस एजेंसी (नासा) ने आधी सदी यानी 50 साल बाद चंद्रमा पर एक रॉकेट भेजा है। आर्टेमिस -1 नामक इस रॉकेट ने फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से भारतीय समय के मुताबिक 12.17 बजे उड़ान भरी। लॉन्चिंग का ओरोजनल समय सुबह 11 बजकर 34 मिनट पर था। लेकिन कुछ तकनीकी खराबी आने के कारण यह 45 मिनट की देरी से उड़ा। नासा ने इससे पहले साल 1972 में चंद्रमा के लिए अपोलो मिशन लॉन्च किया था।

नासा का आर्टेमिस -1 तीसरी बार की कोशिश में जाकर लॉन्च हुआ। इससे पहले 29 अगस्त और तीन सितंबर को लॉन्चिंग की कोशिश हुई थी। लेकिन तकनीकी गड़बड़ी और मौसम की खराबी के कारण इसे टालना पड़ा था। बुधवार सुबह एकबार फिर इसमें खराबी देखने को मिली, रॉकेट में हाईड्रोजन लीक हो रहा था। लेकिन वैज्ञानिकों ने समय रहते हुए इसे ठीक कर दिया।

नासा के अनुसार, रॉकेट की अपर स्टेज ने ओरियन स्पेसक्राफ्ट को को चांद की तरफ छोड़ दिया है। सोमवार को ओरियन चंद्रमा की सतह के पास से गुजरेगा। कुछ हफ्ते अंतरिक्ष में बिताने के बाद 11 दिसंबर को प्रशांत महासागर में आ गिरेगा। नासा ने इस बार स्पेसक्राफ्ट ओरियन को स्पेस में ले जाने के लिए दुनिया का सबसे शक्तिशाली रॉकेट एसएलएस का इस्तेमाल किया है।

क्या है नासा का आर्टेमिस मिशन

अमेरिकी स्पेस एजेंसी यानी नासा आर्टेमिस मिशन के जरिए एकबार फिर चंद्रमा की सतह पर मनुष्य को उतारना चाहता है। इस मिशन को तीन भागों में विभाजित किया गया है, आर्टेमिस 1,2 और 3। आर्टेमिस 1 को आज लॉन्च कर दिया गया। यह रॉकेट चंद्रमा के आर्बिट तक जाएगा, कुछ छोटे उपग्रह छोड़ेगा और फिर खुद आर्बिट में ही स्थापित हो जाएगा।

साल 2024 में नासा आर्टेमिस 2 मून मिशन लॉन्च करेगा। इसमें कुछ अंतरिक्ष यात्री भी जाएंगे, मगर वे चांद की सतह पर कदम नहीं रखेंगे। वे केवल चांद की आर्बिट में घूमकर वापस आ जाएंगे। इसके बाद साल 2025 या 2026 में आर्टेमिस 3 को रवाना किया जाएगा। इसमें जाने वाले अंतरिक्ष यात्री चांद पर उतरेंगे और साउथ पोल में मौजूद पानी और बर्फ पर शोध करेंगे। इस मिशन का महिलाएं और अश्वेत भी हिस्सा रहेंगे।

मून मिशन का नाम रखने की वजह ?

नासा के पहले मून मिशन का नाम अपोलो था। ग्रीक पौराणिक कथाओं के मुताबिक, अपोलो और आर्टेमिस जुड़वा भाई – बहन हैं। अपोलो को सूर्य का देवता माना जाता है, वहीं आर्टेमिस को चांद की देवी कहा जाता है। नासा के आर्टेमिस मिशन का अनुमानित खर्च 7434 अरब रूपये है। जिसमें से अब तक 2949 अरब रूपये खर्च किए जा चुके हैं।

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