पाक के साथ आया ये देश: भारत के खिलाफ रच रहा साजिश, सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट

पाकिस्तान के साथ ही तुर्की भी भारत विरोधी गतिविधियां चलाने में जुटा हुआ है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने के बाद भी तुर्की ने पाकिस्तान की भाषा बोलते हुए आपत्ति जताई थी।

Update:2020-07-31 10:46 IST

नई दिल्ली: पाकिस्तान के साथ ही तुर्की भी भारत विरोधी गतिविधियां चलाने में जुटा हुआ है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने के बाद भी तुर्की ने पाकिस्तान की भाषा बोलते हुए आपत्ति जताई थी। अब तुर्की के कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन को फंड मुहैया कराने का खुलासा हुआ है। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगन के इशारे पर यह सबकुछ किया जा रहा है।

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भारत विरोधी गतिविधियों का केंद्र

जानकार सूत्रों ने बताया कि एर्दोगन की ओर से भारतीय मुसलमानों को कट्टर बनाने और कट्टरपंथियों की भर्ती के लिए अभियान चलाया जा रहा है। नई दिल्ली में हाल में किए गए सुरक्षा एजेंसियों के आकलन से इस बात का पता चला है कि पाकिस्तान के बाद तुर्की से ही सबसे ज्यादा भारत विरोधी गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन सऊदी अरब को चुनौती देने के लिए दक्षिण एशियाई मुस्लिमों में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इसी कारण तुर्की की ओर से भारत में केरल से लेकर कश्मीर तक कट्टरपंथी इस्लामिक संगठनों को फंडिंग की जा रही है।

इस्लामी राष्ट्रों के लिए मॉडल बनने की कोशिश

सूत्रों का कहना है कि तुर्की इस्लामी राष्ट्रों के लिए मॉडल बनने की कोशिश कर रहा है। एर्दोगन दीर्घकालीन योजना के तहत काम कर रहे हैं। एर्दोगन मुसलमानों के वैश्विक संरक्षक के रूप में खुद को तुर्क खलीफा की तरह पेश करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। उन्होंने पिछले साल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और मलेशिया के तत्कालीन मंत्री महातिर मोहम्मद व कुछ अन्य देशों के साथ मिलकर गैर अरब इस्लामिक देशों का गठजोड़ बनाने का प्रयास किया था।

ईरान और कतर जैसे मुस्लिम देशों को भी इसमें शामिल किया गया था। भारत में मुस्लिमों को खुश करने के लिए ही तुर्की ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 को खत्म किए जाने के खिलाफ आवाज उठाई थी।

पाकिस्तान दे रहा तुर्की का साथ

जानकार सूत्रों का कहना है कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के साथ भारत के संबंध मजबूत होने के बाद पाकिस्तान ने तुर्की का साथ देने की दिशा में कदम उठाया है। एर्दोगन की सरकार ने दक्षिण एशियाई मुसलमानों में अपने प्रभाव का विस्तार करने की योजना बना रखी है। इसीलिए तुर्की भारत के कट्टरपंथी मुस्लिमों की मदद करने में जुटा हुआ है।

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अलगाववादी नेताओं को फंडिंग

सूत्रों का कहना है कि एर्दोगन की सरकार ने कश्मीर में रहने वाले कट्टरपंथी अलगाववादी नेताओं को कई साल तक फंडिंग की है। तुर्की से फंड पाने वालों में कट्टरपंथी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी भी शामिल है। अब तुर्की ने फंडिंग के इस काम में विस्तार की कोशिश की है। यही कारण है कि सुरक्षा एजेंसियां तुर्की के इस कदम की व्यापक समीक्षा करने में जुटी हुई है।

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