पाकिस्तान की भारत के खिलाफ नापाक साजिश, राजनयिक को ऐसे पेरशान कर रही ISI
कोरोना से पूरी दुनिया परेशान है और इस महामारी से जंग लड़ रही है। लेकिन पड़ोसी देश पाकिस्तान भारत के खिलाफ साजिशें रच रहा है। दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास में काम करने वाले दो जासूसों को भारतीय खुफिया एजेंसियों ने रंगे हाथ पकड़ा था।
नई दिल्ली: कोरोना से पूरी दुनिया परेशान है और इस महामारी से जंग लड़ रही है। लेकिन पड़ोसी देश पाकिस्तान भारत के खिलाफ साजिशें रच रहा है। दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास में काम करने वाले दो जासूसों को भारतीय खुफिया एजेंसियों ने रंगे हाथ पकड़ा था। इसके बाद भारत ने तुरंत पाकिस्तान भेज दिया। इसके बाद से बौखलाई पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई इस्लामाबाद में तैनात भारतीय राजनयिक को परेशान कर रही है।
इस्लामाबाद में तैनात शीर्ष भारतीय राजनयिक गौरव अहलूवालिया के घर के बाहर पाकिस्तान की दुर्दांत खुफिया एजेंसी आईएसआई ने कार और बाइक के साथ कई लोगों को तैनात कर दिया है जो उन्हें धमकियां दे रहे हैं। अहलूवालिया को डराने की कोशिश की जा रही है। इसके साथ ही आईएसआई के लोग बाइक के जरिए गौरव अहलूवालिया का पीछा किया।
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गौरतलब है कि किसी भी देश में राजनयिकों को वियना संधि के तहत सुरक्षा प्राप्त होती है, लेकिन इस्लामाबाद के अति सुरक्षित क्षेत्र में ऐसी घटना से भारतीय मिशन के अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है।
पाकिस्तान में भारत के डिप्टी चीफ गौरव अहलूवालिया के साथ यह बदसलूकी की घटना 2 जून को हुई। जानकारी के मुताबिक जब अहलूवालिया अपने घर से बाहर जा रहे थे। उसी दौरान आईएसआई के एजेंट कार और बाइक के साथ खड़े थे और बाद में उनका पीछा करने लगे।
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यह पहली बार नहीं है जब भारतीय राजनयिकों को आईएसआई परेशान किया है। वह पहले भी ऐसी नापाक हरकतें करते आ रही है। इसके पहले भी गौरव अहलूवालिया का पीछा किया गया है। इसको लेकर इस्लामाबाद में स्थित भारतीय मिशन ने चिंता भी जताई है।
क्या है वियना संधि
साल 1961 में आजाद देशों के बीच राजनयिक संबंधों को लेकर वियना संधि की गई थी। इस संधि के मुताबिक राजनयिकों को विशेष अधिकार दिए गए हैं। इस संधि के दो साल बाद 1963 में संयुक्त राष्ट्र संघ(यूएन) ने इंटरनेशनल लॉ कमीशन द्वारा तैयार एक और संधि का प्रावधान किया, जिसे वियना कन्वेंशन ऑन कॉन्सुलर रिलेशंस का नाम दिया गया। इस संधि को 1964 में लागू किया गया था।
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इस संधि के तहत मेजबान देश अपने यहां रहने वाले दूसरे देशों के राजनयिकों को विशेष दर्जा देता है। कोई भी देश दूसरे देश के राजनयिकों को किसी भी कानूनी मामले में गिरफ्तार नहीं कर सकता है। न ही उन्हें किसी तरह की हिरासत में रखा जा सकता है।
किसी भी राजनयिक के ऊपर मेजबान देश में किसी तरह का कस्टम टैक्स नहीं लगाया जा सकता। इसी संधि के आर्टिकल 31 के मुताबिक मेजबान देश की पुलिस दूसरे देशों के दूतावास में नहीं घुस सकती है। हालांकि मेजबान देश को उस दूतावास की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठानी होगी। इस संधि के आर्टिकल 36 के मुताबिक अगर कोई देश किसी विदेशी नागरिक को गिरफ्तार करता है, तो संबंधित देश के दूतावास को तुरंत इसकी जानकारी देनी होगी।