Pakistan Political Crisis: पुतिन से दोस्ती भारी पड़ी इमरान को, कहीं के नहीं रहे

Pakistan Political Crisis: पाकिस्तान और अमेरिका कभी खास दोस्त हुआ करते थे। अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान को खास पार्टनर बनाया और जम कर मदद दी।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2022-04-08 13:54 IST

इमरान खान (photo: social media ) 

Imran Khan: पाकिस्तान और अमेरिका कभी खास दोस्त हुआ करते थे। अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान को खास पार्टनर बनाया और जम कर मदद दी। जब डोनाल्ड ट्रम्प प्रेसिडेंट बने तो उन्होंने समझ लिया कि किस तरह पाकिस्तान अमेरिका को बेवकूफ बनाता रहा है। इसके बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली खुले दिल की मदद बन्द कर दी।

इसके बाद पाकिस्तान चीन की शरण में चला गया और जब चीन व रूस का गठजोड़ बना तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को मजबूरन रूस से दोस्ती का हाथ पकड़ना पड़ा। यही दोस्ती इमरान खान को भारी पड़ गई है।

क्योंकि अमेरिका को नाराज करके रह पाना कम से कम पाकिस्तान जैसे देश के लिए मुमकिन नहीं है। जब जो बिडेन प्रेसिडेंट बने तब इमरान ने उनको बधाई देने के लिए फोन तक नहीं किया। बिडेन ने भी इमरान को रत्ती भर तवज्जो नहीं दी है।

फेल टीम लीडर

क्रिकेट के मैदान पर पाकिस्तान के इमरान खान एक जबरदस्त कप्तान और नेता थे। एक ऐसे शख्स जिसने एक साथ मिलकर शानदार प्रतिभाओं और सहयोगियों का एक ऐसा करिश्माई समूह बनाया, जिसने 1992 में क्रिकेट विश्व कप जीतने के लिए ढेरों बड़ी बड़ी बाधाओं को पार किया।

एक टीम लीडर और स्ट्रैटजिस्ट के इन गुणों की झलक तब भी मिली जब इमरान खान 2018 में पाकिस्तान के प्रधान मंत्री बने। भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम पर प्रचार करते हुए उन्होंने महत्वाकांक्षी कार्यकर्ताओं, इस्लामी कट्टरपंथियों और देश की शक्तिशाली सेना को एक मंच साथ लाया।

लेकिन सत्ता में आने के बाद से ये स्वयंभू साहसी सुधारक अचानक विभाजनकारी हो गया। टीम को जोड़ने वाले इमरान खान विरोधियों के साथ समझौता करने के लिए हठपूर्वक अनिच्छुक रहे। जबकि तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान जैसे बकवास दलों और ग्रुपों के सामने वो झुक भी गए। अपने स्वयं के विदेश मंत्रालय और सशस्त्र बलों की सलाह के खिलाफ उन्होंने व्लादिमीर पुतिन को गले लगा लिया।

जब रूस ने पड़ोसी यूक्रेन पर आक्रमण किया था तब इमरान खान 23 फरवरी को मास्को की यात्रा पर चले गए। यह खान के उस स्टैंड से काफी अलग है, जिन्होंने 1999 में इस्लामाबाद में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय को एक पत्र दिया था, जिसमें उनकी तहरीक- ई-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी ने "रूस को मौत" का नारा दिया था।

इमरान एक ऐसे व्यक्ति हैं जो ओसामा बिन लादेन को शहीद कहता है, जबकि चीन में उइगर मुस्लिम अल्पसंख्यक के उत्पीड़न की प्रशंसा करता है। इमरान खान अंततः अपने ही मनमुटावों में फंस गए हैं।

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