आखिर क्या है जैश-ए-मोहम्मद, जिसने कश्मीर में पुलिस के काफिले पर हमले की ली जिम्मेदारी

Jaish-e-Mohammed : हरकत उल मुजाहिदीन जैश-ए-मोहम्मद की जड़ें कश्मीर में सक्रिय एक अन्य इस्लामी आतंकी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन में हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-12-14 04:38 GMT

Jaish-e-Mohammed : पाकिस्तान बेस्ड आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद फिर चर्चा में है। इस बार इस संगठन ने कश्मीर में पुलिस के एक काफिले पर हमले की जिम्मेदारी। आखिर ये जैश है क्या? जानते हैं इस संगठन के बारे में।

हरकत उल मुजाहिदीन (Harkat-ul-Mujahideen) जैश-ए-मोहम्मद की जड़ें कश्मीर में सक्रिय एक अन्य इस्लामी आतंकी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन में हैं। हरकत उल मुजाहिदीन के सम्बन्ध अल कायदा से बताये जाते हैं। हरकत उल मुजाहिदीन(Harkat-ul-Mujahideen) के एक पूर्व नेता मौलाना मसूद अजहर ने मार्च 2000 में पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना (Jaish-e-Mohammed establishment) की थी।

इस आतंकी संगठन का ध्येय भारत से कश्मीर को अलग करना है लेकिन ये संगठन भारत में समस्त गैर मुस्लिमों के खिलाफ भी जिहाद छेड़ने की बात करता है। ये संगठन कश्मीर को भारत में प्रवेश करने का द्वार मानता है और कहता है कि कश्मीर के बाद भारत के अन्य हिस्सों में जिहाद छेड़ेगा।

हालांकि यह संगठन अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के विरुद्ध भी आतंकवादी गतिविधियों में भी शामिल समझा जाता है। इसे भारत में हुए कई आतंकवादी हमलो के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया है और जनवरी 2002 में इसे पाकिस्तान की सरकार ने भी प्रतिबंधित कर दिया।

फोटो- सोशल मीडिया

इसके बाद जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) ने अपना नाम बदलकर 'ख़ुद्दाम उल-इस्लाम' (khuddam ul islam) कर दिया। इसके बाद जब भी इस संगठन पर प्रतिबन्ध लगा है ये अपना नाम बदल कर ऑपरेट करता है।

अल कायदा से सम्बन्ध
al qaeda terrorist

ये आतंकवादी संगठन भारत, अमेरिका, रूस, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूईए, ब्रिटेन और संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल है। बताया जाता है कि इस संगठन के सम्बन्ध अल कायदा से हैं। जैश अल कायदा और तालिबान से सम्बन्ध बनाये हुए है। माना जाता है कि अफगानिस्तान में भी जैश का नेटवर्क है।

आईएसआई का हाथ
ISI Pakistan (Inter-Services Intelligence)

माना जाता है कि पाकिस्तान की आईएसआई ने हरकत उल मुजाहिदीन(Harkat-ul-Mujahideen) से जुड़े देवबंदी जिहादियों (Deobandi Jihadist) के साथ काम करते हुए जैश की स्थापना की थी। पाकिस्तानी सेना अपनी विदेश नीति के तहत इस संगठन की स्थापना को सही ठहराती है। दिसंबर 1999 में कंधार विमान हाईजैकिंग (kandahar plane hijack) के बाद छोड़े गए मसूद अजहर को पाकिस्तानी आईएसआई ने हाथों हाथ लिया था।

फोटो- सोशल मीडिया

प्रमुख वारदातें

Major Terrorist Incidents

दिसम्बर 2001 में जैश ने लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर में भारतीय संसद पर आत्मघाती हमला (2001 Indian Parliament attack) किया था।

फ़रवरी 2002 में जैश ने कराची में अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल American journalist Daniel Pearl beheaded in Karachiको गर्दन काटकर मार दिया।

मई 2009 में अमेरिकी पुलिस ने चार लोगों को न्यूयार्क में एक सिनागोग (यहूदी मंदिर) उड़ाने और अमेरिकी सैनिक विमानों पर मिसाइल चलाने (Jewish Temple launch missiles US military planes) का षड्यंत्र रचने के आरोप में गिरफ़्तार किया।

जनवरी 2016 में जैश के आतंकियों ने पठानकोट (2016 Pathankot attack) में वायु सेना के ठिकाने पर हमला किया था।

सितम्बर 2016 में उरी स्थित सेना के शिविर पर हमले (2016 Uri attack) में जैश का ही हाथ बताया जाता है।

फरवरी 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमले (2019 Pulwama attack) में जैश का हाथ माना जाता है।

कश्मीर में इस साल हो चुकी हैं आतंक से जुडी 200 वारदातें

कश्मीर में बीते दिनों में आतंकवाद से जुड़ी घटनाएँ बढ़ी हैं और अब बार फिर सुरक्षा बलों पर हमला हुआ है। बीते कुछ महीनों से जम्मू-कश्मीर में टारगेटेड किलिंग (Targeted Killing in Jammu and Kashmir)  हो रही थीं जिसमें ख़ास लोगों को निशाना बनाया गया था।

अब पुलिस के एक काफिले पर पुलवामा स्टाइल में हमला किया गया है। इस साल की बात करें तो जम्मू-कश्मीर में अब तक आतंकवाद से जुड़ी 200 से ज्यादा घटनाएँ घट चुकी हैं। और बीते तीन साल में इनकी संख्या एक हजार से ज्यादा है।

रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने पिछले महीने 29 नवम्बर को राज्य सभा में बताया था कि जम्मू और कश्मीर में पिछले तीन वर्षों में आतंकी हमलों की 1033 वारदातें हुईं हैं। इनमें सर्वाधिक 594 वारदातें 2019 में हुईं थीं।

मंत्री अजय भट्ट द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार, 2020 में आतंकी हमलों की 244 वारदातें हुईं जबकि इस साल 15 नवम्बर तक 196 वारदातें हो चुकी थीं। सरकार ने ये भी बताया है कि इस साल 15 नवम्बर तक 35 सुरक्षा कर्मी और 40 सिविलियन मारे जा चुके हैं।

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