पाकिस्तान का बड़ा कदम: चीन को लुभाने में जुटा, जानें क्या है वजह

कश्मीर के विवादित इलाके गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान की इमरान सरकार की ओर से प्रांत का दर्जा दिया जाने वाला है। अब इसे लेकर इमरान खान जल्द ही औपचारिक ऐलान भी करने वाले हैं। इमरान सरकार के इस फैसले के बाद हलचल काफी तेज हो गई है।

Update: 2020-10-01 10:13 GMT
चीन को लुभाने में लगा PAK

नई दिल्ली: कश्मीर के विवादित इलाके गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान की इमरान खान सरकार की ओर से प्रांत का दर्जा दिया जाने वाला है। पाकिस्तान के कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान मामलों के केंद्रीय मंत्री अली आमिन गंदापुर की तरफ से ये घोषणा की गई है। आमिन ने कहा कि इमरान खान जल्द ही कश्मीर का दौरा करेंगे और इसे लेकर औपचारिक ऐलान करेंगे। वहीं इमरान सरकार के इस फैसले के बाद हलचल तेज हो गई है और इसे लेकर कई तरह के मायने निकाले जा रहे हैं।

पाकिस्तानी सेना डाल रही इसके लिए दबाव

केंद्रीय मंत्री ने इस संबंध में बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने सभी संबंधित पक्षों से बातचीत करने के बाद गिलगित-बाल्टिस्तान के नागरिकों को संवैधानिक अधिकार देने का फैसला किया है। हमारी सरकार यहां के लोगों से किए हुए वादे को पूरा करने जा रही है। हालांकि भले ही इमरान सरकार इस प्रक्रिया को पूरा करते नजर आ रही है, लेकिन कहा जा रहा है कि पाकिस्तानी सेना इस बदलाव के लिए दबाव डाल रही है। ये बात तब और जाहिर हो गई, जब पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट में ये बात सामने आई कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने विपक्ष के अन्य नेताओं के साथ डिनर पर मुलाकात की।

विपक्षी दलों ने मुलाकात का किया विरोध

बताया जा रहा है कि वैसे तो इस मुलाकात का उद्देश्य मकसद गिलगित-बाल्टिस्तान में आगामी चुनाव और बदलाव की प्रक्रिया पर चर्चा करना था, लेकिन कुछ पाकिस्तानी नेता इस मुलाकात को लेकर विरोध जता रहे हैं। विपक्षी दल के कुछ नेता इसे देश की राजनीति में सैन्य हस्तक्षेप करार दे रहे हैं। वहीं हाल ही में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरयम नवाज ने भी सेना और नेताओं के बीच हुई इस मुलाकात की वैधता को लेकर सवाल खड़े किए थे। जिसके बाद पाकिस्तान में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है।

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इमरान खान (फोटो- सोशल मीडिया)

सेना नहीं थी इसके लिए इच्छुक

बता दें कि जब 1947 में कश्मीर विवाद शुरू हुआ तो गिलगित-बाल्टिस्तान कश्मीर का ही हिस्सा माना जाता था। लेकिन 1970 में पाकिस्तान ने इसे कश्मीर इलाके से अलग करके एक अलग प्रशासनिक इकाई बनाने का फैसला किया। पाकिस्तानी सरकार हमेशा से ही गिलगित-बाल्टिस्तान पर अपना नियंत्रण मजबूत करना चाहती थी, लेकिन सेना इसके लिए इच्छुक नहीं थी। बता दें कि पाकिस्तान की सरकार गिलगित-बाल्टिस्तान की राजनीति को सख्ती से नियंत्रित करती है। साथ ही इस इलाके में कश्मीरी राजनीतिक दलों को प्रतिबंधित कर रखा है।

शिया-सुन्नी विवाद के लिए पाकिस्तानी सरकार जिम्मेदार

वहीं, गिलगित-बाल्टिस्तान के निर्वासित ऐक्टिविस्ट सेंग हसनान सेरिंग ने बताया कि 70 के दशक में पाकिस्तान सरकार की वजह से ही पहली बार शिया-सुन्नी के बीच तनाव हुआ था। ये वहीं समय था जब पाकिस्तान और चीन को जोड़ने वाला कराकोरम हाईवे बनाया जा रहा था। इसके अलावा भी ऐसी कई घटनाएं हुईं, जिससे शिया-सुन्नी के बीच तनाव बढ़ता ही गया। लेकिन स्थानीय इंटेलिजेंस अधिकारी इन घटनाओं को दबाते रहे ताकि चीन परेशान ना हो। क्योंकि चीन ने इस इलाके में काफी ज्यादा निवेश किया है।

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पाकिस्तान चीन को लुभाने के लिए कर रहा ये काम (फोटो- सोशल मीडिया)

चीन पाकिस्तान के साथ कर रहा काम

बता दें कि कुछ समय पहले तक चीन इस इलाके में केवल खदानों और यातायात के ढांचे का विकास में निवेश तक ही सीमित था, लेकिन अब वह यहां तेजी से अपने पैर पसार रहा है। चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) का अधिकतर हिस्सा भी गिलगित-बाल्टिस्तान से ही होकर गुजरता है। इसलिए कई लोग ऐसा कह रहे हैं कि चीन अपने निवेश की सुरक्षा करना चाहता है, इसलिए वो क्षेत्र को स्थिर करने में जुटा हुआ है। इसके लिए वह पाकिस्तान के साथ मिलकर काम कर रहा है।

चीन पाकिस्तान को दे रहा ये सलाह

चूंकि चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) का अधिकतर हिस्सा गिलगित-बाल्टिस्तान से होकर गुजरता है, इसलिए चीन पाकिस्तान को सलाह दे रहा है कि वह यहां मजबूती से कदम आगे बढ़ाए। साथ ही कश्मीर संघर्ष की यथास्थिति को स्वीकार कर ले। चीन की मंशा सीपीईसी के तहत आने वाले सभी इलाकों को सुरक्षित करना है, ताकि उसके प्रोजेक्ट्स में किसी तरह की परेशानी ना आए।

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कश्मीर मसले को सैन्य तरीके से हल करने में सक्षम नहीं पाकिस्तानी सेना (फोटो- सोशल मीडिया)

मसले को सैन्य तरीके से हल करने में सक्षम नहीं पाकिस्तानी सेना

साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि अब पाकिस्तानी सेना कश्मीर के मसले को सैन्य तरीके से हल करने में सक्षम नहीं है, जिसमें गिलगित-बाल्टिस्तान भी शामिल है। सेना का कहना है कि अगर पाकिस्तान द्वारा गिलगित-बाल्टिस्तान को प्रांत का दर्जा दे दिया जाता है तो फिर पाकिस्तान कश्मीर को नियंत्रण में लेने और उसके दर्जा को बदलने को लेकर विरोध नहीं कर सकेगा। जिस वजह से सेना गिलगित-बाल्टिस्तान को नियंत्रण में लाने का विरोध करती रही है, लेकिन अब सीपीईसी की बागडोर चीन ने सेना को ही सौंप दी है तो कश्मीर पर भारत के कदम के बाद उसके पास बहुत विकल्प रह नहीं गए हैं।

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