Plura Cave Accident: एक खतरनाक गोताखोरी अभियान की दर्दनाक कहानी, "प्लुरा गुफा दुर्घटना"

Plura Gufa Ki Dardnaak Ghatna: प्लुरा गुफा दुर्घटना (2014) नॉर्वे में हुई एक भयावह गोताखोरी दुर्घटना थी, जिसमें फिनलैंड के दो अनुभवी गोताखोर गहराई में फंसकर मारे गए, जबकि तीन अन्य किसी तरह बचने में सफल रहे।;

Written By :  Shivani Jawanjal
Update:2025-03-16 12:59 IST

Plura Cave Accident (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Plura Cave Accident 2014: दुनिया में कई लोग रोमांच और एडवेंचर के दीवाने होते हैं, जो अपनी सीमाओं को लांघकर खतरों का सामना करना चाहते हैं। गहरी गुफाओं में गोताखोरी (Cave Diving) उन्हीं चुनौतियों में से एक है, जो साहस और अनुभव दोनों की परीक्षा लेती है। लेकिन कभी-कभी यही जुनून खतरनाक साबित हो जाता है और जानलेवा हादसों में बदल जाता है।

2014 में नॉर्वे की प्लुरा गुफा में ऐसा ही एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ, जिसमें फ़िनलैंड के दो अनुभवी गोताखोरों (Divers) की जान चली गई। यह अभियान रोमांच और खोज की भावना से शुरू हुआ था, लेकिन जल्द ही एक भयावह त्रासदी में बदल गया। संकरी, अंधेरी और ठंडी पानी से भरी इस गुफा ने गोताखोरों को ऐसी मुसीबत में डाल दिया, जहां से निकल पाना लगभग नामुमकिन था। इस घटना ने न सिर्फ गुफा गोताखोरी के जोखिमों को उजागर किया, बल्कि यह भी दिखाया कि एडवेंचर की दुनिया में एक छोटी सी गलती भी घातक साबित हो सकती है। आइए विस्तार से जानते हैं कि उस दिन प्लुरा गुफा में क्या हुआ और कैसे एक रोमांचक सफर मौत के जाल में बदल गया।

कहां स्थित है प्लुरा गुफा (Where is Plura Cave located)?

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

प्लुरा गुफा नॉर्वे के प्लूरा वैली में प्लुरा नदी के पास स्थित है और इसकी गहराई 130 मीटर तक जाती है। यह गुफा नॉर्वे के नॉर्डलैंड (Nordland) क्षेत्र में मोआ रण (Mo i Rana) नामक स्थान के पास स्थित है। यह गुफा पानी से भरी हुई है और इसे नॉर्वे की सबसे लंबी पानी के भीतर स्थित गुफाओं में से एक माना जाता है। प्लुरा गुफा गुफा गोताखोरी (Cave Diving) के लिए मशहूर है, लेकिन इसकी संकरी और जटिल संरचना इसे बेहद खतरनाक भी बनाती है।

यूरोप की सबसे बड़ी जलमग्न प्राकृतिक गुफा

प्लुरा गुफा को यूरोप की सबसे बड़ी भूमि के भीतर स्थित पानी से भरी हुई प्राकृतिक गुफा माना जाता है। प्लुरा गुफा की खोज 1980 के दशक में हुई और तब से यह गुफा गोताखोरों और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। इस गुफा की अधिकतम गहराई 130 मीटर तक जाती है, जो इसे एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण और जोखिमपूर्ण स्थान बनाती है।

गुफा के प्रमुख प्रवेश और निकास बिंदु

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Plura Sink (प्लुरा सिंक) - मुख्य प्रवेश द्वार

• प्लुरा सिंक यह गुफा का मुख्य प्रवेश बिंदु (Entry Point) है, जो प्लुरा नदी के पास स्थित है।

• गोताखोर इसी स्थान से जलमग्न गुफा में प्रवेश करते हैं और संकरी, घुमावदार सुरंगों से होकर आगे बढ़ते हैं।

Steinugleflåget Cave (स्टेनुगलेफजेललेट गुफा) - निकास बिंदु

• यह गुफा का निकास बिंदु (Exit Point) है, जो गुफा के दूसरे छोर पर स्थित है।

• केवल अनुभवी गोताखोर ही इस मार्ग का उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि यह रास्ता बेहद संकरा और जटिल है।

प्रवेश से निकास तक का मार्ग

• Plura Sink (प्रवेश) से Steinugleflåget Cave (निकास) तक की कुल दूरी लगभग 2 किलोमीटर है।

• इस संकरी और जलमग्न गुफा को पार करने में औसतन 5 घंटे का समय लगता है।

• रास्ते में अंधेरा, ठंडा पानी, सीमित दृश्यता और संकरी सुरंगें गोताखोरों के लिए गंभीर खतरा पैदा करती हैं।

6 फरवरी 2014 का दिन उन गोताखोरों के लिए एक रोमांचक अभियान की शुरुआत था, लेकिन यह जल्द ही एक भयावह हादसे में बदल गया। इस दिन, फिनलैंड के पांच अनुभवी गोताखोरों का एक दल प्लुरा गुफा में गोताखोरी के लिए पहुंचा। उनका लक्ष्य Plura Sink (प्रवेश बिंदु) से Steinugleflåget Cave (निकास बिंदु) तक की 2 किलोमीटर लंबी जलमग्न यात्रा को पूरा करना था। यह यात्रा लगभग 5 घंटे में पूरी होने वाली थी। सभी गोताखोरों के पास पर्याप्त ऑक्सीजन और उन्नत डाइविंग उपकरण मौजूद थे।

दुर्घटना कैसे हुई?

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

6 फरवरी 2014 गोताखोरों ने प्लूरा सिंक (Plura Sink) से प्रवेश किया और गहराई में उतरना शुरू किया। शुरुआती रास्ता अपेक्षाकृत चौड़ा था, लेकिन जैसे-जैसे वे आगे बढ़े, गुफा की सुरंगें संकरा और जटिल होने लगीं। पानी बेहद ठंडा था और दृश्यता भी सीमित थी। शुरुआत में अभियान ठीक चल रहा था, लेकिन जैसे-जैसे गोताखोर गहराई में पहुंचें, गुफा की सुरंगें संकरी और जटिल होने लगीं।

गोता लगाने के लगभग एक घंटे बाद पैट्रिक ग्रोनक्विस्ट - Patrik Gronquivst (42) और जारी हुआतारीनन - Jari Huotarinen (40) गुफा के सबसे संकरे हिस्से में पहुंचें, जारी हुआतारीनन लगभग 112 मीटर (360 फीट) की गहराई पर फंस गए। इस स्थान पर गुफा का मार्ग इतना संकरा था कि आगे बढ़ना मुश्किल हो गया। जैसे ही उन्होंने निकलने की कोशिश की, उनका डाइविंग गियर चट्टान से टकरा गया, जिससे संतुलन बिगड़ गया और चारों ओर तलछट (silt) फैल गई। इससे पानी पूरी तरह अंधकारमय हो गया और दिशा भ्रम की स्थिति बन गई। जारी को फंसा देखकर यारी ऊसीमाकी - Jari Uusimaki (34) उनकी मदद के लिए आगे बढ़े, लेकिन ऑक्सीजन की कमी, अत्यधिक पानी के दबाव और दृश्यता खत्म होने के कारण दोनों वहीं फंस गए और उनकी मौत हो गई।

दूसरी ओर, बाकी तीन गोताखोरों ने अपने साथियों को बचाने की कोशिश की, लेकिन स्थिति इतनी भयावह थी कि वे खुद भी संकट में फंस सकते थे। उन्होंने किसी तरह गुफा के प्रवेश द्वार की ओर लौटने का फैसला किया और कठिन परिस्थितियों के बावजूद सुरक्षित बाहर निकलने में सफल रहे।

बचे हुए गोताखोरों की संघर्ष गाथा

बचे हुए तीन गोताखोरों पैट्रिक ग्रोनक्विस्ट (Patrik Gronquivst), काय कांकानन (Kai kankanen- 46) और वेसा रांतेनेन (Vesa Rantenen- 33) ने तुरंत स्थिति को संभालने की कोशिश की। उन्होंने देखा कि दो साथी डाइवर्स अब जीवित नहीं हैं और उनकी वापसी का मार्ग अत्यधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है। सीमित ऑक्सीजन और जटिल मार्ग के कारण, उन्हें जल्द ही निर्णय लेना था।

इस त्रासदी के कारण शेष तीन गोताखोरों को मजबूरन अपने अभियान को अधूरा छोड़कर गुफा से बाहर आना पड़ा। अतः तीनों गोताखोर धीरे-धीरे गुफा के बाहर आने में सफल हुए और किसी तरह मौत की मुँह से बच निकले।

शवों को निकालने का ऑपरेशन

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

बाहर आने के बाद, उन्होंने तुरंत अधिकारियों को हादसे की सूचना दी। यह आपदा इतनी भयानक थी कि नॉर्वे की सरकार ने गुफा में गोताखोरी को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया था। लेकिन मृतकों के परिवारों ने उनके शवों को बाहर निकालने की अपील की। स्थानीय प्रशासन ने इसे अत्यंत जोखिमपूर्ण कार्य बताया और प्रारंभ में इससे इनकार कर दिया।

हालांकि, बचे हुए तीन गोताखोरों काई कैन्केनेन (Kai Känkänen), पैट्रिक ग्रोनक्विस्ट (Patrick Grönqvist) और वेसा रंतानेन (Vesa Rantanen) ने अपने साथियों को गुफा में ही छोड़ने को तैयार नहीं थे। इसलिए, उन्होंने स्वयं यह मिशन हाथ में लिया अपने स्तर पर एक खतरनाक बचाव अभियान शुरू करने का निर्णय लिया और अपने साथियों के शवों को निकालने का फैसला किया। उन्होंने सरकारी प्रतिबंधों के बावजूद एक गोपनीय बचाव अभियान चलाया।

इस बचाव अभियान में कुल मिलाकर, 27 लोगों की एक टीम 20 मार्च 2014 को प्लुरडालेन पहुंची, जिसमें 17 सदस्य फिनलैंड से और 10 नॉर्वे से थे। बचाव अभियान के दौरान, सहायक गोताखोरों की दो टीमें गुफा के दोनों छोर पर उथले पानी में काम कर रही थीं। वहीं, ग्रोनक्विस्ट, पाककारिनन और कंकनन गुफा के सबसे गहरे हिस्से में जाकर शवों को बाहर निकालने के लिए एक बार फिर गोता लगाने वाले थे। उन्होंने पहले से बेहतर रणनीति बनाई और उन्नत उपकरणों का उपयोग किया। कई दिनों के कठिन प्रयासों के बाद, आख़िरकार 26 मार्च 2014 उन्होंने अपने साथियों के शवों को गुफा से सफलतापूर्वक बाहर निकाल लिया। यह शोध अभियान 20 मार्च २०२४ को शुरू हुआ यह शोध अभियान 26 मार्च 2014 तक चला।

शवों को वापस लाने का यह अभियान बेहद चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि:

• गुफा की गहराई और जटिल मार्ग: मृत गोताखोरों के शव लगभग 110 मीटर (360 फीट) की गहराई में थे, जहां रास्ता बेहद संकरा और अंधकारमय था।

• ऑक्सीजन की सीमित आपूर्ति: इतने लंबे मिशन के लिए गोताखोरों को अपनी ऑक्सीजन की खपत को सटीक रूप से मैनेज करना था।

• बर्फीला पानी और सीमित दृश्यता: पानी बेहद ठंडा था, और तलछट (silt) के फैलने से हर तरफ घना अंधेरा छा सकता था।

• भारी शवों को बाहर लाने की मुश्किल: गहरे पानी में डूबे शवों को निकालना शारीरिक रूप से बहुत कठिन था, क्योंकि वे डाइविंग सूट और उपकरणों के कारण भारी हो चुके थे।

सावधानीपूर्वक योजना और बहादुरी

गोताखोरों ने इस मिशन को अंजाम देने के लिए महीनों तक गहन योजना बनाई और अभ्यास किया। वे बार-बार गुफा में गए, रास्तों का विश्लेषण किया और शवों को निकालने के लिए विशेष रणनीति तैयार की।

आखिरकार, लगभग 5 दिन बाद में, उन्होंने अपने दम पर इस खतरनाक मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया। उन्होंने सावधानीपूर्वक अपने साथियों के शवों को गहराई से निकालकर गुफा के बाहर पहुंचाया।

दुनिया के सबसे साहसी बचाव अभियानों में से एक

यह अभियान गोताखोरी के इतिहास में एक अविश्वसनीय और प्रेरणादायक उपलब्धि माना जाता है। बचे हुए गोताखोरों ने असाधारण साहस, टीमवर्क और तकनीकी कौशल का परिचय दिया। उन्होंने अपने साथियों को अंतिम विदाई देने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी और यह साबित कर दिया कि सच्ची दोस्ती और जिम्मेदारी का अर्थ क्या होता है।

इस घटना ने गोताखोरी की दुनिया में सुरक्षा मानकों और जोखिम प्रबंधन पर गंभीर चर्चाएं शुरू कीं, जिससे भविष्य में ऐसे अभियानों को और अधिक सुरक्षित बनाने की दिशा में काम किया गया।

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