वाशिंगटन। अमेरिका में कम से कम डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थकों ने दिखा दिया है कि एलजीबीटी समुदाय का होना बिल्कुल आम बात है। शिकागो के गे मेयर के अलावा, विस्कॉन्सिन राज्य के मैडिसन में भी एक लेस्बियन मेयर चुनी गई है और मिसूरी के कनसास में भी एक समलैंगिक उम्मीदवार मेयर पद की दावेदारी पेश कर रहा है। चुनावों में जीतने के ये सभी हाल के मामले असल में राजनीति में 'रेनबो यानी सतरंगी लहर ' का असर माना जा सकता है। इससे पता चलता है कि समलैंगिकों और ट्रांसजेंडरों को लेकर अमेरिकी लोगों की सांस्कृतिक मान्यताएं बदल रही हैं।
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने भले ही एलजीबीटी समुदाय को संरक्षण देने से दूरी बना रखी हो, फिर भी देश में गे और लेस्बियन उम्मीदवारों की तादाद में बढ़ोतरी हो रही है। इस समुदाय के लोगों को राजनीति में आगे लाने में मदद करने वाले संगठन विक्ट्री फंड के अनुसार, पूरे अमेरिका में खुद को सार्वजनिक रूप से गे घोषित करने वाले नेताओं की तादाद बीते एक साल में ही दोगुनी होकर 682 हो गई है।
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विक्ट्री फंड ने ही शिकागो में मेयर पद के लिए खड़े होने वाले लोरी लाइटफुट की मदद की थी। इसके पहले लाइटफुट के पास किसी सार्वजनिक पद पर काम करने का अनुभव नहीं था। लाइटफुट ने जीतने के बाद अपने भाषण में कहा कि युवा अमेरिकी 'हमें देख रहे हैं, और यह भी देख पा रहे हैं कि यहां कुछ तो बहुत अलग हो रहा है। लैंगिकता के मामले में लाइटफुट ने कहा, 'आप किस से प्यार करते हैं यह इतना अहम नहीं है, प्यार करना सबसे अहम है।'
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एलजीबीटी समुदाय के लोगों को सार्वजनिक पदों और समाज में स्वीकार करने के उदाहरण देश भर में दिख रहे हैं। अमेरिकी राजनीति में प्रतिनिधित्व के मामले में अब तक यह समुदाय पिछड़ा रहा है। अमेरिकी चुनावों में परंपरागत रूप से यौन वरीयता और पारिवारिक मूल्यों को लेकर बहसें होती रही हैं। यहां तक कि 2006 में भी, एक सर्वेक्षण में पाया गया था कि अधिकतर अमेरिकी किसी राष्ट्रपति के रूप में किसी समलैंगिक उम्मीदवार को लेकर असहज थे।
हाल ही में एनबीसी न्यूज के एक सर्वे में बताया गया है कि देश के 68 फीसदी लोग ऐसे उम्मीदवार को लेकर या तो काफी उत्साहित हैं या फिर कम से कम सहज हैं। मौजूदा कांग्रेस में खुल कर खुद को लेस्बियन, गे या बाईसेक्सुअल बताने वाले प्रतिनिधियों की तादाद सबसे ज्यादा है। यह सभी डेमोक्रेटिक पार्टी से हैं। 435 सीटों वाले हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में आठ जबकि 100 सदस्यों वाली सीनेट में दो लोग इसी समुदाय के हैं।
मेयरों के अलावा बीते साल नवंबर में चुने गए कोलोराडो के नए गवर्नर जेरेड पोलिस भी गे हैं। अमेरिका की कुल आबादी की 4.5 फीसदी हिस्सा खुद को एलजीबीटी समुदाय का हिस्सा मानता है लेकिन चुने हुए प्रतिनिधियों में उनकी तादाद अब भी 0.1 प्रतिशत ही है। अमेरिका में अगले राष्ट्रपति चुनावों की तैयारी में लगे 37 साल के उम्मीदवार पीट बटगीग के लिए यह रुझान बहुत उत्साहित करने वाले हो सकते हैं। वह इंडियाना प्रांत में साउथ बेंड के मेयर रह चुके हैं और काफी संभावनाओं से भरे नेता माने जा रहे हैं। हार्वर्ड से पढ़े और पूर्व में नेवी इंटेलीजेंस में काम कर चुके बटगीग खुले तौर पर गे हैं और अपने पार्टनर से शादी भी रचा चुके हैं। वोटरों को विश्वास होता है कि इन समुदायों के उम्मीदवार कम से कम लैंगिक बराबरी के मामले में तो प्रगतिवादी सोच वाले होंगे।
क्या है एलजीबीटी
एलजीबीटी में शामिल 5 शब्दों में पहले दो शब्दों एलजी यानी लेस्बियन और गे के बारे में तो लगभग सभी जानने लगे हैं। लेस्बियन वह महिला होती है जिनका सेक्सुअल ओरिएंटेशन पुरुषों नहीं महिलाओं के प्रति होता है। गे ऐसे पुरुष होते है जिन्हे स्त्रियों के बजाए मर्दों से ज्यादा प्यार होता है और वह उनके पुरुषत्व की ओर आकर्षित होते हैं। बी यानी बाईसेक्सुअल को कई जगहों पर पैनसेक्सुअल भी कहा जाता है। ऐसे लोग जिनका सेक्सुअल ओरिएंटेशन स्त्री-पुरुष के फर्क में नहीं पड़ता है। बाइसेक्सुअल औरत या मर्द समान रूप से किसी के भी प्रति आकर्षित हो सकते हैं।
टी यानी ट्रांसजेंडर शब्द का अर्थ लोग अक्सर किन्नर समझ लेते हैं। मगर सुप्रीम कोर्ट के 2014 के फैसले के अनुसार ट्रांसजेंडर एक व्यापक टर्म है। यानी इसके भीतर कई अर्थ और श्रेणियां आ जाते हैं। ट्रांसजेंडर्स के अंदर मोटे तौर पर कुछ श्रेणियां तय की गई हैं। किन्नर एक सामाजिक वर्ग है। एक खास तरीके से जिंदगी बसर करने वाले ट्रांसजेंडर लोगों को ही किन्नर कहा जा सकता है। किन्नर होने का अर्थ सिर्फ बच्चे पैदा करने में अक्षम होना नहीं होता। इस वर्ग में अक्सर तीन तरह के लोग शामिल रहते हैं। पहले वह जिनके अंदर पुरुष प्रजनन अंग ढंग से विकसित नहीं हो पाए हैं। दूसरे वह जिनमें महिलाओं के प्रजनन अंगों का विकास नहीं हुआ है। तीसरा प्रकार ऐसे लोगों का होता है जो थर्ड-जेंडर या ए-जेंडर कहलाते है। इनके अंदर पुरुष और स्त्री दोनों के ही अधूरे लक्षण होते हैं। ट्रांस फीमेल लोग जो पैदा तो पुरुष के शरीर में हुए मगर जिनके अंदर दिमाग एक महिला का है। मेडिकल साइंस के तरक्की करने के बाद कई ट्रांस फीमेल्स ने सर्जरी के जरिए खुद को फीमेल में बदल लिया है। ट्रंास मेल स्त्री की देह में कैद पुरुष होता है। ट्रांस फ्लुइड ऐसी शख्सियत होते है जिनकी लैंगिक पहचान बदलती रहती है। पुरुष की तरह व्यवहार करते करते अचानक से अपनी पहचान एक महिला की तरह देखने वाले या ठीक इसका उलटा करने वाले होते हैं।