कोरोना के खौफ में बंदूकों की बिक्री बढ़ी, गन स्टोर्स के बाहर लगी लंबी लाइन
अमेरिका में लॉक डाउन की घोषणा होने से पहले ही लोग बंदूकों की ख़रीदारी करने लिए दुकानों पर टूट पड़े। कई राज्यों में टॉइलेट पेपर से ज्यादा मांग बंदूकों और कारतूसों की हो गई। गन स्टोर्स के बाहर ग्राहकों की वैसे ही लाइन लगने लगी जैसे कि सुपर मार्केट्स में लग रही थी।
नई दिल्ली: कोरोना के प्रकोप के बीच अमेरिका और अन्य देशों में खाने-पीने के सामान और टॉइलेट पेपर की खूब खरीदी की गई और लोगों ने लंबे लॉक डाउन के डर से अनावश्यक ज्यादा से ज्यादा सामान खरीद लिया। लेकिन सिर्फ यही आइटम नहीं बल्कि अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में तो बंदूकों पर भी लोग टूट पड़े।
इन हथियारों की बिक्री भी 800 फीसदी तक बढ़ गई। ऑस्ट्रेलिया में तो ये हाल हो गया कि सरकार ने कैबिनेट में नया कानून पेश करके नए हथियारों की बिक्री पर रोक लगा दी।
गन स्टोर्स के बाहर ग्राहकों की लाइन लगी
अमेरिका में लॉक डाउन की घोषणा होने से पहले ही लोग बंदूकों की ख़रीदारी करने लिए दुकानों पर टूट पड़े। कई राज्यों में टॉइलेट पेपर से ज्यादा मांग बंदूकों और कारतूसों की हो गई। गन स्टोर्स के बाहर ग्राहकों की वैसे ही लाइन लगने लगी जैसे कि सुपर मार्केट्स में लग रही थी। सरकार ने भी बंदूकों को आवश्यक सामग्री की कैटेगरी में रखा था सो इनकी दुकानें भी खुली रहीं। कानूनन जिस तरह के हथियार तुरंत खरीदे जा सकते थे वो सब बिक गए।
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मानो कोई युद्ध छिड़ने वाला है
ग्राहक भी दो तरह के थे। एक ऐसे जिनके पास पहले से बंदूकें थीं वो अपनी दूसरी या तीसरी बंदूक खरीद रहे थे और उतने ही ऐसे ग्राहक थे जो पहली मर्तबा बंदूक खरीदने आए थे। गन स्टोर्स के मुताबिक लोग इस अंदाज में ख़रीदारी कर रहे थे मानो कोई युद्ध छिड़ने वाला है या बंदूकों की बिक्री बंद होने वाली है। ओरेगन राज्य में ही सात दिन के भीतर पुलिस ने 40 हजार लोगों का बैक्ग्राउण्ड चेक किया।
अमेरिका के कई राज्यों में बंदूक खरीदने के लिए पहले पुलिस में अर्जी देनी होती है। पुलिस आवेदक का बैकग्राउंड चेक करती है कहीं उस इनसान का कोई क्रिमिनल रेकॉर्ड तो नहीं है। इसके बाद ही बंदूक खरीदने की अनुमति मिलती है। ये पूरा प्रोसेस दो दिन में कंप्लीट हो जाता है।
पांच दिन में बंदूक खरीदने की 19 हजार अर्ज़ियाँ
20 मार्च को ही ओरेगन पुलिस ने इंस्टेंट चेक सिस्टम के तहत 3189 आवेदन क्लियर किए। इलिनोय राज्य में भी पाँच दिन में बंदूक खरीदने
की 19 हजार अर्ज़ियाँ आ गईं। तुलना करें तो पिछले साल 9 से 20 मार्च के बीच बंदूक खरीदने के 17136 आवेदन आए थे जबकि इस साल इन्हीं दिनों में 35473 आवेदन आए। कैलिफोर्निया में तो बंदूकों की बिक्री 800 फीसदी बढ़ गई।
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पुलिस और स्टोर्स मालिकों का कहना है लोग घबराहट में बंदूकें खरीद रहे हैं। एक गेरर्डो ओवाल नामक एक ग्राहक ने कहा कि उसने इसलिए 9 मिलीमीटर की पिस्टल खरीद ली है ताकि कोई अफरातफरी मचे तो वह सुरक्षित रह सके। कुछ लोगों का कहना है कि उन्होने इसलिए हथियार खरीदे हैं ताकि खाद्य पदार्थों की कमी होने पर शिकार कर सकें। चीन से आयात बंद होने के कारण बंदूकों और कारतूसों का बहुत स्टॉक भी नहीं था सो बहुत से राज्यों में गन स्टोर्स से माल खत्म हो गया।
अनिश्चितता का भय
जिस तरह कोरोना वायरस फैल रहा है और जो बातें आने वाले दिनों के बारे में काही जा रहीं हैं उससे लोगों में एक अन्जान स्थिति का भय समा गया है। लोगों को लग रहा है कि बीमारी के प्रकोप से समाज टूट जाएगा और अराजकता फैल जाएगी। इसलिए निजी सुरक्षा के लिए लोग हथियार खरीद रहे हैं।
लोगों को लाग्ने लगा कि जन टॉइलेट पेपर और खाने पीने की चीजों के लिए लोग मारामारी करने लगे हैं तो आगे पता नहीं क्या क्या होगा। इस अंदेशे में हथियारबंद होने की होड लग गई। वैसे ये अच्छी बात है कि अभी तक अमेरिका में बंदूकों के इस्तेमाल की खबरें नहीं आई हैं।