बचके रहियेगा शैतान के इन पुजारियों से, करते हैं ये काम

दुनिया के सभी धर्मों में ईश्वर की भक्ति पर खास जोर दिया जाता है। सभी धर्म ईश्वर और इंसानियत में विश्वास रखते हैं और लगभग सभी धर्म और संप्रदाय शालीनता का पाठ ही पढ़ाते हैं, लेकिन आज हम आपको जिस पंथ के बारे में बताने जा रहे हैं वह आपको दुनिया से अलग कर सिर्फ शैतान की पूजा में सौंप देता है।

Update: 2019-05-07 06:35 GMT

लखनऊ: दुनिया के सभी धर्मों में ईश्वर की भक्ति पर खास जोर दिया जाता है। सभी धर्म ईश्वर और इंसानियत में विश्वास रखते हैं और लगभग सभी धर्म और संप्रदाय शालीनता का पाठ ही पढ़ाते हैं, लेकिन आज हम आपको जिस पंथ के बारे में बताने जा रहे हैं वह आपको दुनिया से अलग कर सिर्फ शैतान की पूजा में सौंप देता है।

इस पंथ को मानने वाले परिवार और अपने आप से इतनी दूर चले जाते हैं कि वापस आने का आपके पास कोई रास्ता तक नहीं रहता। ये किसी ईश्वरीय शक्ति पर यकीन करने के बजाय अपने नियम खुद बनाते हैं और खुद की जिंदगी अपनी शर्तों के मुताबिक जीते हैं।

इस अजीबोगरीब पंथ का नाम है ‘साइंटोलॉजी’ जो सबसे अलग है। 1955 में ‘एल. रॉन हबॉर्ड’ ने साइंटोलॉजी की खोज की थी। इसे तकनीक कह लीजिए, विज्ञान या फिर धर्म लेकिन साइंटोलॉजी का अनुसरण करने से व्यक्ति अपनी आए दिन की परेशानियों से मुक्ति पा लेता है। उसे ना तो नौकरी की फिक्र सताती है, ना बच्चों की और सफलता और असफलता के भेद से भी वह मुक्त हो जाता है।

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इस धर्म के लोग मानते हैं कि वे इलेक्ट्रो साइकोमीटर यंत्र से अपनी भावनाएं, खुशी, दुख और आत्मा को भी माप सकते हैं। इसमें 30 साल तक के लोगों को दीक्षा दी जाती है। इसके तहत यंत्रों के जरिए शरीर में विद्युत का प्रवेश कराया जाता है। इससे करंट का एक हल्का झटका लगता है। फिर उनसे कुछ अजीब किस्म के सवाल पूछे जाते हैं जो उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि और विभिन्न विषयों पर आधारित होते हैं।

इस धर्म का सबसे विचित्र पहलू ये है कि यहां संयम और रिश्तों की पवित्रता पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जाता और इसके अनुयायी किसी के साथ भी शारीरिक संबंध बनाने को तैयार रहते हैं। इसलिए दुनिया के अधिकांश लोग इसे अच्छा नहीं मानते, लेकिन इसे मानने वालों के पास इसके समर्थन में अपने तर्क हैं और वे इसमें कुछ भी गलत स्वीकार करने को तैयार नहीं होते।

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साइंटोलाॅजी में दीक्षा के समय लोगों को अपने घर-परिवार, दोस्त, रिश्तेदार, पुरानी विचारधारा आदि से दूर रहने को कहा जाता है। फिर करंट के जरिए उनमें नए विचारों का समावेश किया जाता है। इस तरह साइंटोलाॅजी का एक सदस्य तैयार होता है।

पश्चिम में भी कई लोग इस धर्म का विरोध करते हैं और उन देशों में इसकी वजह से कई परिवार टूट चुके हैं। बहरहाल धर्म और विज्ञान के नाम पर चलने वाली ऐसी विचित्र परंपराओं का भविष्य क्या होगा, यह कालचक्र ही तय करेगा।

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