मुस्लिम बच्चे का दाह संस्कार: सिर्फ 20 दिन थी उम्र, देश में मचा हंगामा
श्रीलंका में मोहम्मद फहीम और उनकी पत्नी फातिमा शफना को 18 नंवबर को बेटा हुआ था। 7 दिसंबर की रात को उसको सांस लेने में परेशानी हुई जिसके बाद उसे राजधानी कोलंबो के बच्चों के अस्पताल लेकर जाया गया। वहां एंटीजन टेस्ट में बच्चा कोरोना पॉजिटिव पाया गया।
कोलंबो: श्रीलंका में 20 दिन के मुस्लिम बच्चे के जबरन दाह संस्कार करने के बाद बवाल मच गया है। आलोचकों ने कहा कि सरकार का यह आदेश विज्ञान आधारित नहीं है। इसके आदेश का लक्ष्य सिर्फ अल्पसंख्यकों को टारगेट करना है।
दरअसल श्रीलंका में मोहम्मद फहीम और उनकी पत्नी फातिमा शफना को 18 नंवबर को बेटा हुआ था। 7 दिसंबर की रात को उसको सांस लेने में परेशानी हुई जिसके बाद उसे राजधानी कोलंबो के बच्चों के अस्पताल लेकर जाया गया। वहां एंटीजन टेस्ट में बच्चा कोरोना पॉजिटिव पाया गया।
मां को नहीं हुआ कोरोना
अस्पताल के डॉक्टरों ने फहीम और उनकी पत्नी का भी टेस्ट किया, लेकिन दोनों कोरोना नेगेटिव पाए गए। बच्चे के पिता ने डॉक्टरों से पूछा कि कैसे संभव है बच्चा कोरोना पॉजिटिव है और हम दोनों को कोरोना नहीं है। बच्चे को स्तनपान कराने वाली मां को भी कोरोना नहीं हुआ।
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लेकिन डॉक्टरों ने कुछ नहीं बताया और फहीम और उनकी पत्नी को घर भेज दिया और कहा कि वे फ़ोन कर बच्चे के हालचाल ले सकते हैं। इसके बाद अगले दिन बताया गया कि बच्चे की कोरोना से मौत हो गई है। इसके बाद डॉक्टरों ने श्रीलंका के कानून का पालन करते हुए बच्चे के दाह संस्कार के लिए फहीम को दस्तावेज पर हस्ताक्षर के लिए कहा, लेकिन फहीम ने मना कर दिया।
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मुस्लिम नेताओं की मांग
श्रीलंका के राजनीतिक, धार्मिक और सामुदायिक नेताओं ने सरकार से अपील की है कि वह दाह संस्कार की नीति को बदले। नेताओं ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाह को मानने कहा है। श्रीलंका के मुस्लिम काउंसिल के उपाध्यक्ष हिल्मी अहमद ने एक मीडिया से बात करते हए कहा कि साफ था कि यह हरकत "नस्लवादी" एजेंडा का हिस्सा था, जो मुस्लिम अल्पसंख्यक को टारगेट कर किया गया था। बिना मां बाप को दिखाए बच्चे का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
तो वहीं सरकार ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया है। सरकार ने कहा कि यह आरोप गलत है कि इन उपायों का लक्ष्य मुस्लिम है।
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